बछेन्द्री पाल चीफ, टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन
पहाड़ पर चढ़कर फतह हासिल करने से भी बड़ी विजय पहाड़ चढ़ने की यात्रा के दौरान जीवन की सीख होती है. पहाड़ चढ़कर लौटनेवाला एक बेहतर इंसान बनकर लौटता है. एवरेस्ट विजेता सह टीएसएफए की चीफ बछेन्द्री पाल ने ये बातें जमशेदपुर में कहीं. दरअसल 'टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन 20' लोगों के दल को लेकर हिमाचल प्रदेश की वादियों में माउंट कनामो को फतह करने निकलेगा.
फाउंडेशन की चीफ बछेन्द्री पाल मेंटर के तौर पर रहेंगी, जबकि संदीप इस ग्रुप का नेतृत्व करेंगे. टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की चीफ बछेन्द्री पाल और सीनियर मैनेजर हेमंत गुप्ता ने संयुक्त
प्रेसवार्ता में ये जानकारी बुधवार को दी. दल में पांच ग्रामीण युवा भी शामिल होंगे. दल को इस एडवेंचर यात्रा में खुद ही खाना बनाना होगा ताकि विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और कर्मठता से वे आगे
बढ़ पाएं.
टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की चीफ बछेन्द्री पाल मानती हैं कि पहाड़ की यात्रा अनुशासन, लीडरशिप से लेकर उत्साह, सहनशीलता सब कुछ सीखा देती है. बछेन्द्री पाल ने कहा कि एक लीडर को एक्जाम्पल सेट करना होता है. उन्होंने कहा कि खाना खुद बनाना है और खाना हम भी बनाते हैं. उन्होंने कहा कि ठंड का मौसम हो या फिर भीषण गर्मी, इसका असर एक लीडर पर नहीं पड़ना चाहिए. कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता है. लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पहल करनी होती है.
बछेंद्री पाल ने आगे कहा कि लीडरशिप पर ज्यादा फोकस होगा. उन्होंने कहा कि एक डरपोक या एक निकम्मा या फिर ऐसा व्यक्ति जिसमें आत्मविश्वास की कमी है वह कभी लीडर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि मुझे लीडर के गुण को दिखाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पूरी यात्रा एक वंडरफुल क्लास रूम जैसा होगा, जहां लोग खुद अनुभव कर सिखेंगे. उन्होंने कहा कि इससे लोगों का आत्मविश्वास बढ़ेगा. यह अनुभव लोगों को जीवनभर काम आएगा.
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