रिपोर्ट- प्रभंजन कुमार
जमशेदपुर. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने 106 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है. इसके तहत 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्मश्री पुरस्कार का ऐलान किया गया है. इस सूची में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा स्थित मड़कमहातू गांव निवासी डॉ. जानुम सिंह सोय का नाम भी शामिल है. डॉ. जानुम को झारखंड की जनजाति की ‘हो भाषा’ के संरक्षण व संवर्धन के लिए पद्म श्री से नवाजा जाएगा. वह पिछले 3 दशक से भी अधिक समय से इस भाषा पर काम कर रहे हैं. 72 वर्षीय जामुन सिंह हो भाषा पर 6 किताबें भी लिखी है.
डॉ. जामुन सिंह सोय पिछले तीन दशक से से अधिक समय से हो भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. उन्होंने हो जनजाति की संस्कृति पर आधुनिक हो शिष्ट काव्य सहित कई पुस्तकें लिखी हैं. प्रो सोय कोल्हान यूनिवर्सिटी (झारखंड) से रिटायर करने के बाद हो भाषा को पीजी के औपचारिक पाठ्यक्रम में शामिल करने में लगे रहे.
मातृ भाषा को अपनाने की जरूरत
डॉ. जमुन सिंह जोय ने बताया कि पद्म श्री के लिए नाम की घोषणा से काफी खुशी हो रही है. इस खुशी को बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है. पद्म श्री तो क्या मैंने किसी प्रकार के राष्ट्रीय पुरस्कार की भी कल्पना नहीं की थी. हो समाज के विकास व उत्थान के साथ-साथ हो भाषा और साहित्य के लिए जो काम किया हूं. यह मेरी जिवन की सबसे बड़ी उपलब्धी है.
उन्होंने कहा कि इसी उपलब्धी के कारण पद्म श्री के लिए मेरे नाम का चयन किया गया है. वर्तमान युवा पीढ़ि जो अपनी मातृ भाषा से विमूख हो रहे हैं. उन्हें इसके महत्व को समझना चाहिए व इसे सहर्ष अपनाना चाहिए. साथ ही मातृ भाषा के मान सम्मान को आगे बढ़ाना चाहिए.
इतनी खुशी की इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते
वहीं, डॉ. जमुन सिंह की पत्नी हीरा देवी ने बतााय कि 1983 में हमारी शादी हुई है. पति करीब 3 दशक से हो भाषा पर काम कर रहे हैं. इस भाषा में 6 किताबें भी लिखी है. पद्म श्री के लिए इनके नाम की घोषणा हुई है. इससे परिवार में खुशी का माहौल है. इतनी खुशी है की इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं. हम लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि इतना बड़ा पुरस्तार मिल सकता है. हीरा देवी बेलापुर मीडिल स्कूल में सहायक शिक्षिका थी. 2017 में सेवानिवृत्त हुई हैं.
सीएम हेमंत सोरेन ने दी बधाई
डॉ. जमुन सिंह को पद्मश्री दिए जाने की घोषणा के साथ ही बधाइयों का तांता लग गया है. सीएम हेमंत सोरेन ने भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई व शुभकामनाएं दी हैं. प्रदेश के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा, भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन में जुटे, हो जनजाति की संस्कृति व जीवनशैली पर कई पुस्तकें लिख चुके कोल्हान विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. जानुम सिंह सोय पद्मश्री के लिए चयनित किए गए हैं.
अर्जुन मुंडा ने जाहिर की प्रसन्नता
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, कोल्हान विश्वविद्यालय(झारखंड) से सेवानिवृत्त प्रो जनम सिंह सोय को हो भाषा के लिए मिला पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर उन्हें बहुत बधाई और शुभकामनाएं. प्रो सोय का पिछले चार दशक से हो भाषा के संवर्धन और उत्थान में उल्लेखनीय योगदान रहा है. उन्होंने छह पुस्तकें भी लिखी हैं.
पीएम मोदी ने दिलाया माटी से जुड़े लोगों को सम्मान
इसी क्रम में राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास ने कहा, झारखंड फिर हुआ गौरवान्वित! झारखंड के जनजातीय भाषा के विद्वान डॉ जनुम सिंह सोय को “हो” भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया. आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने माटी से जुड़े लोगों को सम्मान देने के लिए आभार.
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