रिपोर्ट – आकाश कुमार
जमशेदपुर. रमजान का महीना सारे महीनों में सबसे पाक माना जाता है. इसमें लोग पूरा महीना रोजा रखते हैं और साफ दिल से अल्लाह की इबादत करते हैं. अपनी सारे जाने या अनजाने गुनाहों की माफी मांगते हैं. इस महीने में लोग अल्लाह की इबादत के साथ-साथ जरूरतमंद की मदद भी करते हैं और साथ ही घर परिवार की सलामती के लिए दुआ मांगते हैं और अल्लाह के दिखाए नेक राह में चलने की कोशिश करते हैं.
जमशेदपुर आजाद नगर के नन्हे से भाई-बहन अली और आयशा इस बार अपनी जिंदगी का पहला रोजा रख रहे हैं. बहुत ही इमानदारी से दोनों उसे पूरा भी कर रहे हैं. अली मात्र 4 साल का है. वहीं, आयशा सिर्फ 8 साल की है. इन दोनों बच्चों को उनके पिताजी से सिखा रहे हैं कि नमाज कैसे पढ़ते हैं और किस तरह से रोजा करने से अल्लाह हमें बरकत देता है. बच्चों ने बताया कि इफ्तारी में उन्होंने समोसा, सेव, सलाद व शरबत आदि खाना सबसे पसंद है.
अली ने दुआ में मांगी अम्मी की सलामती
अली ने कहा कि वह दुआ में अपनी अम्मी की सलामती चाहता है. वहीं, आयशा ने कहा कि अल्लाह उसे पढ़ाई करने में ध्यान दें. उसने बताया कि उसके कई सारे दोस्त इस बार रोजा रखे हैं, इस कारण उन्होंने भी मन बनाया कि इस बार हम लोग भी रोजा रखेंगे और काफी शिद्दत से यह लोग सफल भी हो रहे हैं.
दोनों बच्चों के पिता शाहनवाज आलम ने बताया कि रमजान का मुकद्दस महीना शुरू हो गया है. जाहिर सी बात है कि बच्चे बड़ों को ही देखकर सीखते हैं और घर में जैसा माहौल होता है बच्चे उसी में ढल जाते हैं. सभी लोगों को रोजा करते देखकर इन लोगों के भी मन में ख्याल आया कि इस बार रोजा रखे. बच्चे अल्लाह की राह में चले, इससे ज्यादा खुशी की बात और क्या होगी.
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