नए साल पर जंगल में खाना पकाने का देसी जुगाड़, अपनाएं ये बेहतरीन उपाय; देखें VIDEO
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Agency:News18 Jharkhand
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नए साल में वन भोज के लिए खाना पकाने के लिए अगर आप देसी जुगाड़ ढूंढ रहे हैं, तो अब आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि गोड्डा में आपको बना बनाया लोहे और मिट्टी का चूल्हा मिल जाएगा.
आदित्य आनंद/गोड्डा. नए साल में वन भोज के लिए खाना पकाने के लिए अगर आप देसी जुगाड़ ढूंढ रहे हैं, तो अब आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि गोड्डा में आपको बना बनाया लोहे और मिट्टी का चूल्हा मिल जाएगा. इससे दुर्गम स्थान में भी खाना पकाने में आपको काफी सुहूलियत होगी. लोहे की चादर से तैयार किया गया यह चूल्हा आपको मात्र 150 रुपए से 300 रुपए तक अलग-अलग आकार में मिल जाएगा. इसके अलावा अगर आप लोहे के चूल्हे में मिट्टी की लेप वाला घर जैसा चूल्हा चाहते हैं तो वह भी आपको गोड्डा के बस स्टैंड के समीप सड़क किनारे उपलब्ध हो जाएगा.
चूल्हा बनाने वाले गौतम शाह ने बताया कि वह गोड्डा के गुलजारबाग के रहने वाले हैं और पिछले 15 वर्षों से सड़क किनारे चूल्हा बनाकर बेचते आ रहे हैं. वह यह चूल्हा खुद से बनाते हैं. वह बाजार से लोहा खरीद कर लाते हैं और इसके बाद खुद से उसे पीट कर लोहे के तार से बनाते हैं. गौतम बताते हैं कि गैस चूल्हा का प्रचलन बढ़ जाने के बाद हालांकि अब उनका ये चूल्हा कम खरीदने हैं. लेकिन नए साल के उपलक्ष पर वह इन दिनों रोजाना दो-चार चूल्हे की बिक्री कर ले रहे हैं. नया साल नजदीक आएगा और लोगों को इसकी जरूरत महसूस होगी तो इसकी बिक्री भी अधिक होगी.
क्या होती है कीमत
सबसे छोटा लोहे का चूल्हा 150 रुपए, मंझले साइज का चूल्हा 250 रुपए और सबसे बड़े साइज का चूल्हा 300 रुपए में बिक्री की जाती है. वहीं सभी चूल्हे में मिट्टी का लेप लगाने का 300 रुपए अलग से चार्ज लेते हैं. चूल्हा बेचने वाले गौतम ने बताया कि ज्यादातर लोग आम दिनों में इस चूल्हे का इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में खाना बनाने में और शहरी क्षेत्र में होटल दुकान व घरों में कबाब, लिट्टी, वगैरा बनाने के लिए ले जाते हैं.
सबसे छोटा लोहे का चूल्हा 150 रुपए, मंझले साइज का चूल्हा 250 रुपए और सबसे बड़े साइज का चूल्हा 300 रुपए में बिक्री की जाती है. वहीं सभी चूल्हे में मिट्टी का लेप लगाने का 300 रुपए अलग से चार्ज लेते हैं. चूल्हा बेचने वाले गौतम ने बताया कि ज्यादातर लोग आम दिनों में इस चूल्हे का इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में खाना बनाने में और शहरी क्षेत्र में होटल दुकान व घरों में कबाब, लिट्टी, वगैरा बनाने के लिए ले जाते हैं.
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