पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के सामने बीजेपी के दिग्गज करिया मुंडा की विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती है. खूंटी लोकसभा सीट से करिया मुंडा आठ बार सांसद रहे. लेकिन इस बार बीजेपी उनके बदले अर्जुन मुंडा को यहां से मैदान में उतारा. अर्जुन मुंडा का मुकाबला कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से रहा.
तीन बार रहे हैं सीएम
5 जून 1968 को जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में जन्मे अर्जुन मुंडा झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले मुंडा बिहार और झारखंड विधानसभा में खरसांवा का प्रतिनिधित्व किये. 2009 में जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भी बनाये गये.
जेएमएम से सियासी सफर की शुरुआत
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक जीवन 1980 से शुरू हुआ. उस वक्त अलग झारखंड आंदोलन का दौर था. अर्जुन मुंडा ने राजनीतिक पारी की शुरूआत झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से की. झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहते हुए उन्होंने जनजातीय समुदायों और समाज के पिछड़े तबकों के उत्थान की कोशिश की. 1995 में वह जेएमएम उम्मीदवार के तौर पर खरसावां से चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने बीजेपी का रूख किया. 2000 और 2005 में वह बीजेपी के टिकट पर खरसावां से विधायक बने.
2003 में पहली बार सीएम बने
वर्ष 2000 में अलग झारखंड राज्य बनने के बाद अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी सरकार में समाज कल्याण मंत्री बने. वर्ष 2003 में विरोध के कारण बाबूलाल मरांडी को सीएम पद से हटना पड़ा. यही वो वक्त था, जब मुंडा एक मजबूत नेता के रूप में उभरे. 18 मार्च 2003 को अर्जुन मुंडा झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री बने. इसके बाद 12 मार्च 2005 को उन्होंने दोबारा सीएम पद की शपथ ली. लेकिन निर्दलीयों का समर्थन नहीं जुटा पाने के कारण उन्हें 14 मार्च 2006 को त्यागपत्र देना पड़ा. इसके बाद मुंडा झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. 11 सितम्बर 2010 को वह तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने.
पांच भाई- बहनों में सबसे छोटे
स्वर्गीय गणेश मुंडा और साइरा मुंडा के पांच बच्चों में से सबसे छोटे अर्जुन मुंडा हैं. मुंडा ने स्थानीय स्कूल से पढ़ाई करने के बाद इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में डिप्लोमा किया. अर्जुन मुंडा ने मीरा मुंडा से शादी की. इनके तीन बेटे हैं.
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