पाकुड़िया स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण विभाग द्वारा बनाए जा रहे अत्याधुनिक मॉडल अस्पताल और मातृ सेवा सदन अस्पताल का निर्माण पिछले दस साल में भी पूरा नहीं हो पाया. दोनों अस्पतालों केनिर्माण के लिए 4-4 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया था, जो लगभग निकाल भी लिया गया है लेकिन अब तक अस्पताल के आधे हिस्से का भी काम पूरा नहीं हुआ है.
और जिला प्रशासन की उपेक्षा के कारण इलाके में इस तरह के दो अस्पतालों का निर्माण अधर में लटका हुआ है. नतीजतन दो लाख की आबादी वाले प्रखंड के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा और उपचार के लिए पश्चिम बंगाल का रूख करना पड़ता है.
के निर्माण की स्वीकृति पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानुप्रताप शाही ने दी थी. तीन करोड़ से अधिक की निकासी की जा चूकी है. पैसों की निकासी तो समय-समय पर होती रही, लेकिन निर्माण काम अधूरा छोड़ दिया गया. अभी हालत यह है कि पूरा भवन खंडहर में तब्दील हो गया है.
प्रखंड के झरिया गांव में भी करीब चार करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन मातृ सेवा सदन अस्पताल का निर्माण कार्य आठ साल से अधूरा पड़ा है. 2009 में तत्कालीन विधायक सुफल मरांडी के प्रयास से झरिया में इस अस्पताल के निर्माण की मंजूरी मिली थी. लेकिन आज तक यह अस्पताल नहीं बन पाया. अस्पताल नहीं होने की वजह से प्रखंड की गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए हजारों रुपये अतिरिक्त खर्च कर सीमावर्ती राज्य पश्चिम बंगाल का रूख करना पड़ता है.
सुत्रों का कहना है कि दोनों अस्पताल का निर्माण बगैर टेंडर के विभागीय स्तर पर जिला परिषद के जरिए कराया जा रहा था. इस दरमियान जूनियर इंजीनियर राजगृह सिंह की आकस्मिक मृत्यु के बाद अस्पताल का निर्माण काम रोक दिया गया. अधूरे अस्पताल के बारे में स्थानीय विधायक स्टीफन मरांडी ने बताया कि अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार को लिखित जानकारी दे दी गयी है.
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FIRST PUBLISHED : October 07, 2018, 15:09 IST