झारखंड: बजट सत्र में चढ़ रहा सियासी पारा, विपक्ष के बाद अब सत्ता पक्ष के निशाने पर सरकार

झारखंड विधानसभा में विपक्ष के सवालों से परेशान सरकार अब अपनों से भी सदन में घिरती नजर आ रही है.
झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में विपक्ष के हंगामे के बाद अब सत्ता पक्ष भी सवाल को घेर रहा है. बीजेपी ने सदन के बाहर और सदन के अंदर बिजली बिल के मुद्दे पर खुब हंगामा किया.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: March 9, 2021, 12:54 AM IST
झारखंड. झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में विपक्ष के हंगामे के बाद अब सत्ता पक्ष के तेवर भी तल्ख है. सोमवार को सदन के अंदर जहां बीजेपी विधायकों ने बिजली बिल के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला, वहीं सत्ता पक्ष के विधायकों ने पत्थलगड़ी, डायन बिसाही, विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग के गठन के मुद्दे पर सरकार को कठघरे खड़ा किया. बीजेपी के विधायक जहां वेल में डटे रहे, वही सरकार को समर्थन दे रहे दलों ने अपनी जगह से ही सरकार को जवाब देने के लिये मजबूर किया.
100 यूनिट फ्री का वादा भूल सरकार मुकदमा पर आतुर
झारखंड बजट सत्र के 7वें दिन सदन के बाहर और सदन के अंदर बिजली बिल के मुद्दे पर बीजेपी ने खुब हंगामा किया. बीजेपी विधायकों ने तख्तियों के साथ बिजली बिल माफ करो, बिजली उपभोक्ताओं पर दर्ज मुकदमा वापस लो के नारा के साथ सरकार की कथनी और करनी पर सवाल उठाए. बीजेपी का राज्य सरकार पर आरोप था कि ग्रामीण जनता को एक साथ हजारों रुपया का बिजली बिल देकर उनके साथ अन्याय कर रही है. बिजली बिल का भुगतान नहीं करने पर दर्ज किए जा रहे मुकदमा पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी विधायकों ने कहा है कि 100 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा करने वाली हेमंत सोरेन सरकारी की ये जमीनी हकीकत है.अपनों ने भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया
बजट सत्र का पारा समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है. झारखंड विधानसभा में विपक्ष के सवालों से परेशान सरकार अब अपनों से भी सदन में घिरती नजर आ रही है. सदन में सरकार को समर्थन दे रहे माले विधायक विनोद सिंह ने पत्थलगड़ी के मामले में दर्ज मुकदमा वापस लेने को लेकर मंशा जानना चाहा. संसदीय कार्य मंत्री के द्वारा सदन में दिए जा रहे बयान से विनोद सिंह संतुष्ट नहीं दिख रहे थे. वो बार-बार समय सीमा को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे. फिर 90 दिन के आश्वासन पर बात बनी. प्रदीप यादव ने डायन बिसाही के मामले पर सरकार के द्वारा किये जा रहे तमाम प्रयासों को नाकाफी बताया. पिछले 5 साल 4 हजार 556 मामले सामने आए.
सरकार को समिति बनाने की नसीहत. वही बंधु तिर्की ने HEC के 32 गांव के विस्थापन का दर्द सदन में रखते हुये पूरे सदन का ध्यान अपनी ओर खींचा. बंधु तिर्की ने कहा कि 10 से 15 डिसमिल जमीन तो इन्हें दे दी गई, पर आज तक पट्टा नहीं मिला. ऐसा होने से जाति प्रमाण पत्र को लेकर यहां के नौजवान दर-दर की ठोकर खाने को मजदूर है. बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग गठन की मांग करते हुए चुनावी घोषणा पत्र की याद दिलाई. बाद में मुख्यमंत्री को भविष्य में आयोग बनाने या बेहतर विकल्प की ओर बढ़ने का आश्वासन देना पड़ा.
100 यूनिट फ्री का वादा भूल सरकार मुकदमा पर आतुर
झारखंड बजट सत्र के 7वें दिन सदन के बाहर और सदन के अंदर बिजली बिल के मुद्दे पर बीजेपी ने खुब हंगामा किया. बीजेपी विधायकों ने तख्तियों के साथ बिजली बिल माफ करो, बिजली उपभोक्ताओं पर दर्ज मुकदमा वापस लो के नारा के साथ सरकार की कथनी और करनी पर सवाल उठाए. बीजेपी का राज्य सरकार पर आरोप था कि ग्रामीण जनता को एक साथ हजारों रुपया का बिजली बिल देकर उनके साथ अन्याय कर रही है. बिजली बिल का भुगतान नहीं करने पर दर्ज किए जा रहे मुकदमा पर बीजेपी ने आपत्ति जताई है. बीजेपी विधायकों ने कहा है कि 100 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा करने वाली हेमंत सोरेन सरकारी की ये जमीनी हकीकत है.अपनों ने भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया
बजट सत्र का पारा समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है. झारखंड विधानसभा में विपक्ष के सवालों से परेशान सरकार अब अपनों से भी सदन में घिरती नजर आ रही है. सदन में सरकार को समर्थन दे रहे माले विधायक विनोद सिंह ने पत्थलगड़ी के मामले में दर्ज मुकदमा वापस लेने को लेकर मंशा जानना चाहा. संसदीय कार्य मंत्री के द्वारा सदन में दिए जा रहे बयान से विनोद सिंह संतुष्ट नहीं दिख रहे थे. वो बार-बार समय सीमा को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहे. फिर 90 दिन के आश्वासन पर बात बनी. प्रदीप यादव ने डायन बिसाही के मामले पर सरकार के द्वारा किये जा रहे तमाम प्रयासों को नाकाफी बताया. पिछले 5 साल 4 हजार 556 मामले सामने आए.
सरकार को समिति बनाने की नसीहत. वही बंधु तिर्की ने HEC के 32 गांव के विस्थापन का दर्द सदन में रखते हुये पूरे सदन का ध्यान अपनी ओर खींचा. बंधु तिर्की ने कहा कि 10 से 15 डिसमिल जमीन तो इन्हें दे दी गई, पर आज तक पट्टा नहीं मिला. ऐसा होने से जाति प्रमाण पत्र को लेकर यहां के नौजवान दर-दर की ठोकर खाने को मजदूर है. बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग गठन की मांग करते हुए चुनावी घोषणा पत्र की याद दिलाई. बाद में मुख्यमंत्री को भविष्य में आयोग बनाने या बेहतर विकल्प की ओर बढ़ने का आश्वासन देना पड़ा.