बाबूलाल दलबदल मामला: स्पीकर कोर्ट के स्वत: संज्ञान नोटिस की वैधानिकता पर सुनवाई करेगा हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 2 मार्च को होगी (फाइल फोटो)
हाईकोर्ट (Jharkhand High court) ने स्पीकर का स्वत: संज्ञान नोटिस संवैधानिक है या असंवैधानिक, इस पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है. और अगली तारीख 2 मार्च निर्धारित की है.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: January 19, 2021, 8:47 PM IST
रांची. पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) के दलबदल मामले में झारखंड विधानसभा के स्पीकर द्वारा भेजे गये स्वत: संज्ञान नोटिस पर झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High court) ने सुनवाई करने का निर्णय लिया है. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद, स्पीकर का स्वत: संज्ञान नोटिस संवैधानिक है या असंवैधानिक, इस पर सुनवाई करने का निर्णय लेते हुए अगली तारीख 2 मार्च निर्धारित की है. इसके अलावा स्पीकर द्वारा स्वत: संज्ञान पर आगे की कार्रवाई नहीं करने संबंधी शपथ पत्र दाखिल किये जाने के बाद कोर्ट ने इसपर लगी रोक को हटाने का निर्णय लिया.
बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता आरएन सहाय ने जानकारी देते हुए कहा कि स्वत: संज्ञान के साथ-साथ विधायक विरंची नारायण की याचिका पर भी 2 मार्च को सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान विधानसभा की ओर से जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा, वहीं बाबूलाल मरांडी की ओर से झारखंड हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आरएन सहाय ने पक्ष रखा.
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधानसभा न्यायाधीकरण में स्वत: संज्ञान लेते हुए कांड दर्ज कर नोटिस जारी किया गया था, जिसकी संख्या 01/2020 है. इसके खिलाफ बाबूलाल मरांडी द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी. जिसपर हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर को सुनवाई करते हुए तत्काल कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, मगर सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में हो रही है. अब इस मामले में वृहत सुनवाई कर हाईकोर्ट निर्णय लेगा.
बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता आरएन सहाय ने जानकारी देते हुए कहा कि स्वत: संज्ञान के साथ-साथ विधायक विरंची नारायण की याचिका पर भी 2 मार्च को सुनवाई होगी. सुनवाई के दौरान विधानसभा की ओर से जाने माने वकील कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा, वहीं बाबूलाल मरांडी की ओर से झारखंड हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आरएन सहाय ने पक्ष रखा.
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधानसभा न्यायाधीकरण में स्वत: संज्ञान लेते हुए कांड दर्ज कर नोटिस जारी किया गया था, जिसकी संख्या 01/2020 है. इसके खिलाफ बाबूलाल मरांडी द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी. जिसपर हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर को सुनवाई करते हुए तत्काल कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, मगर सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में हो रही है. अब इस मामले में वृहत सुनवाई कर हाईकोर्ट निर्णय लेगा.