रांची. कोरोना संक्रमण काल में दवा दुकानों की अचानक बाढ़ सी आ गई है. ऐसे में बी फार्मा और डी फार्मा डिग्री को फर्जी तरीके से पाने की होड़ सी मच गयी है. इसके अलावा कई फार्मेसी कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर की भी बेहद कमी है. ऐसे में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने निरीक्षण के बाद झारखंड के 6 प्राइवेट यूनिवर्सिटी में बी. फार्मा आर डी. फार्मा के नामांकन पर अगले सत्र के लिए रोक लगा दी है.
कोरोना ने भले ही लाखों लोगों की रोजी-रोटी छीन ली हो, लेकिन दवा कंपनियों और दवा दुकानों ने संक्रमण के इस दौर में भरपूर मुनाफा कमाया है. ऐसे में तेजी से हर दिन नए दवा दुकान भी खुल रहे हैं. और इसको लेकर बी फार्मा और डी फार्मा की डिग्री को फर्जी तरीके से पाने की होड़ भी मच गई है. ऐसे में बी. फार्मा और डी. फार्मा की पढ़ाई में नामांकन को लेकर हाय तौबा मच गया है. मुनाफे की इस पढ़ाई और डिग्री को भुनाने की इस भीड़ में प्राइवेट फार्मेसी कॉलेजों में मूलभूत संसाधनों की जमकर अनदेखी की गई.
सितंबर 2021 में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने झारखंड के कई प्राइवेट कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में बी फार्मा और डी फार्मा की पढ़ाई को लेकर औचक निरीक्षण किया. जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर की बेहद कमी पाई गई. जिसके बाद पीसीआई में सख्त कदम उठाते हुए झारखंड के छह निजी यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों में आगामी सत्र 2022-23 के नामांकन पर रोक लगा दी है.
इन प्राइवेट यूनिवर्सिटी में फार्मेसी में नामांकन पर रोक
* तिला इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंस, रामगढ़- डी फार्मा
* YBN यूनिवर्सिटी राजाउलातू, रांची, डी फार्मा और बी. फार्मा
* हेरिटेज फार्मेसी कॉलेज, गढ़वा, डी फार्मा
* आरपी कॉलेज ऑफ फार्मेसी, गढ़वा, डी फार्मा
* तुपुदाना इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, रांची, डी फार्मा
* वंशीधर कॉलेज ऑफ फार्मेसी, पलामू, डी फार्मा
झारखंड फार्मेसी कॉउंसिल के रजिस्ट्रार कौशलेंद्र कुमार ने बताया कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने स्टेट काउंसिल को निरीक्षण करने का अधिकार नहीं दिया है. नामांकन पर रोक का आदेश राज्य सरकार को मिला है. ऐसे में राज्य सरकार के निर्देश के बाद ही झारखंड फार्मेसी काउंसिल निरीक्षण का काम शुरू करेगा.
दरअसल जिन प्राइवेट कॉलेज और यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई की गई है. उन सभी पर फार्मेसी की पढ़ाई के लिहाज से इंफ्रास्ट्रक्चर में खामियां पाई गई है. साथ ही वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों ने भी वेतन को लेकर फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से शिकायत की थी. इन सभी को 3 महीने के अंदर अपना जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
रांची के नामकुम में स्थित YBN यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर रामजी यादव ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए न्यूज़ 18 से कहा कि किस आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की है, उन्हें नहीं मालूम. उन्होंने कहा कि उनके कॉलेज में तमाम संसाधन मौजूद हैं, बावजूद कार्रवाई की गई है.
इसके अलावा झारखंड के छह अन्य कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऐसे भी हैं. जहां फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने फिक्स 60 सीटों में कुछ की कटौती का निर्देश दिया है.
अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के महासचिव अमित कुमार बताते हैं कि तमाम प्राइवेट फार्मेसी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में फर्जी तरीके से डिग्री बांटने का धंधा चल रहा है. छात्रों को यह तक नहीं मालूम कि सेमेस्टर में कितने विषयों की पढ़ाई होती है. बस मतलब है तो सर्टिफिकेट से.
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