रांची. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम पत्थर खदान का पट्टा आवंटित होने से जुड़े मामले में गुरुवार को रांची हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई होगी. ऐसा माना जा रहा है कि इस सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के द्वारा इस तफ्तीश का जिम्मा केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंपा जा सकता है. दरअसल इस मामले में पिछले कुछ समय पहले रांची हाई कोर्ट में शिव शंकर शर्मा की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने एक जनहित याचिका यानी पीआईएल (PIL ) फाइल किया गया था.
11 फरवरी को दायर उस जनहित याचिका के माध्यम से अपील की गई थी कि- एक पत्थर खदान का पट्टा राज्य के मुख्यमंत्री को कैसे आवंटित किया जा सकता है ? क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं ,इसके साथ-साथ उनके पास राज्य के वन और पर्यावरण से जुड़े मंत्रालय का प्रभार भी उनके पास भी है. यानी खनन पट्टा आवंटन का अधिकार और उसके खनन के लिए ग्रीन सिग्नल यानी क्लीयरेंस देने का अधिकार भी हेमंत सोरेन के पास ही था.
इसी मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पर बेहद संगीन आरोप लगे. उस जनहित याचिका के द्वारा ये आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन द्वारा जन प्रतिनिधि अधिनियम कानून का उल्लंघन किया गया है. लिहाजा जनहित याचिका के माध्यम से झारखंड उच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि तत्काल प्रभाव से हेमंत सोरेन की सदस्यता को रद्द किया जाए और झारखंड उच्च न्यायालय इस मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड के राज्यपाल को ये निर्देश दें कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज (FIR ) करने अभियोजन की स्वीकृति प्रदान किया जाए.
ईडी की तफ्तीश के दौरान मिले कई सबूत
केंद्रीय जांच एजेंंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को पिछले कुछ दिनों पहले आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल और उससे जुड़े मामले की तफ्तीश के दौरान झारखंड खनन घोटाला से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत मिले हैं. लिहााजा इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एजेंसी ने झारखंड उच्च न्यायालय को उन तमाम सबूतों को और कई अन्य आरोपियों के बयानों को सीलबंद लिफाफे में सौंप दिया था. उसी रिपोर्ट पर हाईकोर्ट उस मामले की तफ्तीश सीबीआई को सौंप सकती है.
ईडी के वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक झारखंड स्थित जिस खनन विभाग से जुड़े जिला स्तरीय अधिकारियों से पूछताछ के लिए जब बुलाया गया था. तब उनलोगों से भी माइनिंग घोटाला और अवैध तौर पर खनन पट्टा आवंटन से जुड़े कई जानकारियां जुटाई गई थी, जिसके बाद औपचारिक तौर पर उनका भी हाल फिलहाल में बयान दर्ज किया जा चुका है.
झारखंड में मनरेगा से लेकर माइनिंग घोटाला
पिछले कुछ समय पहले जब मनरेगा घोटाला मामले में झारखंड की निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल समेत कई अन्य आरोपियों के खिलाफ ईडी द्वारा 25 लोकेशन पर छापेमारी की जा रही थी. उसी दौरान कुछ आरोपियों के पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावजों को जब्त किया गया था. लेकिन, उस वक्त उन दस्तावेजों और कई इलेक्टॉनिक उपकरणों को जब जब्त किया गया था. उसी उपकरणों को ईडी के द्वारा विशेषज्ञों के द्वारा जांच -पड़ताल करने के दौरान कई नए इनपुट्स जांच एजेंसी के तफ्तीशकर्ताओं को मिले, जिसके आधार पर आगे की तफ्तीश की जा रही है. ईडी के सूत्र के मुताबिक छापेमारी के दौरान जो सबूत मिले हैं, उसमें खनन घोटाले से जुडे कई नए सबूत हैं लिहाजा उस मामले को जानने और समझने के लिए फिलहाल कई अधिकारियों को समन देकर पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है और फिलहाल तफ़्तीश जारी है.
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