झारखंड एक बार सियासी उठापटक को लेकर सुर्खियों में है। चौदह साल में 9 मुख्यमंत्री, राजनीतिक अनिश्चितता की सारी कहानी बयां कर देते हैं।
झारखंड एक बार सियासी उठापटक को लेकर सुर्खियों में है। चौदह साल में 9 मुख्यमंत्री, राजनीतिक अनिश्चितता की सारी कहानी बयां कर देते हैं।
इस बार लोकसभा चुनाव में सूफड़ा साफ होने के बाद बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) में मची खलबली से हर कोई हैरान है। आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले झाविमो के सात विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। यह बाबूलाल मरांडी के लिए बहुत बड़ा सियासी झटका माना जा रहा है।
इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा 'मिशन 42' को लेकर मैदान में उतरने जा रही है। ऐसे में अमित शाह और उनकी टीम की नजर झारखंड की कुर्सी पर है। वैसे लोकसभा चुनाव में मिली शानदार कामयाबी से भाजपा के हौसले बुलंद हैं। हालिया उठापटक से भाजपा का कुनबा बढ़ गया है। विधानसभा में इसके विधायकों की संख्या 17 से बढ़कर 24 हो गई है।
बाबूलाल मरांडी के लिए अग्निपरीक्षा
वहीं, पहले ही अंतर्कलह से जूझ रही बाबूलाल मरांडी के लिए विधानसभा चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी में मची भगदड़ ने मरांडी की परेशानी बढ़ा दी है। अब विधानसभा में झाविमो विधायकों के नंबर 11 से सिमटकर केवल चार रह गए हैं। माना जा रहा है कि इन विधायकों का अगले चुनाव में पत्ता कटना साफ था, ऐसे में खतरे को भांपते हुए इन विधायकों ने पहले ही भाजपा का हाथ थाम लिया।
हालांकि, इस उठापटक में हेमंत सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के कुल विधायकों की संख्या 43 होती है। ऐसे में 81 सदस्यीय विधानसभा में हेमंत सरकार को कोई खतरा नहीं दिखता।
इस सबके बीच विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें किसी विधायक के दूसरे दल में चले जाने की कोई जानकारी नहीं है। किसी भी विधायक ने इस्तीफा देने या दूसरी पार्टी में शामिल होने को लेकर कोई सूचना नहीं दी है। ऐसे में अब सबकी नजरें विधानसभा अध्यक्ष पर जा टिकी है।
सियासी समीकरण
वैसे झारखंड में सभी राजनीतिक दलों का अपना-अपना गढ़ और वोट बैंक हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा और झारखंड विकास मोर्चा का संथाल परगना में अच्छा दबदबा है। राज्य में कर्मचारियों का अच्छा वोट बैंक है, जिस पर झामुमो की पकड़ है।
वहीं, कांग्रेस और भाजपा का अन्य इलाकों में दबदबा है। भारतीय जनता पार्टी का हर क्षेत्र में कैडर और प्रभाव है। भाजपा सिंहभूम और कोयला क्षेत्र में काफी मजबूत स्थिति में है।
पिछले 14 साल में प्रदेश में नौ मुख्यमंत्री बन चुके हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या चंद महीनों के लिए झारखंड को कोई नया मुख्यमंत्री मिलेगा या फिर कोई चकित करने वाला परिणाम दिखेगा।
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Tags: Babulal marandi, BJP