Corona ने रांची के 4 हजार वकीलों का बनाया कंगाल! घर चलाने के लिए लगाई गुहार

रांची कोर्ट में फिजिकल हियरिंग बंद होने के चलते वकीलों की कमाई रूक गई है.
रांची के रहने वाले अधिवक्ता अरविंद कुमार का कहना कि मजदूरों (Laborers) के लिए लेबर वेज फिक्स है, जबकि वकीलों (Lawyers) के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था है. इस बीच आमदनी प्रभावित होने से घरेलू कलह भी सामने आने लगे हैं.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: November 26, 2020, 12:21 AM IST
रांची. कोरोना संक्रमण (Corona Infection) का असर समाज के सभी वर्गों पर पड़ा है. कारोबारी हो या नौकरीपेशा या फिर वकील (Lawyers) सभी आर्थिक तंगी की चपेट में हैं. झारखंड की राजधानी रांची के करीब चार हजार वकील और कोर्ट के अन्य स्टाफ बेहद परेशान है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. इनके सामने परिवार चलाने तक का संकट पैदा हो गया है. दरअसल कोर्ट में फिजिकल सुनवाई बंद होने की वजह से 95 फीसदी अधिवक्ताओं की कमाई बंद हो गई है.
रांची जिला बार एसोसिएशन के प्रशासनिक सचिव पवन खत्री ने बताया कि सामान्य दिनों में कोर्ट में गहमागहमी और केसों की सुनवाई पर वकील, मुंशी समेत दूसरे स्टाफ की रोजी-रोटी टिकी रहती है. लेकिन कोरोना काल में ऑनलाइन सुनवाई के चलते कोर्ट में सन्नाटा पसरा हुआ है. लिहाजा कोर्ट से जुड़े लोगों के आमदनी पर भी ताला लग गया है.
अधिवक्ता अरविंद कुमार ने कहा कि मजदूरों के लिए लेबर वेज भी फिक्स है, जबकि वकीलों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है. हालात यह है कि आमदनी प्रभावित होने से घरेलू कलह भी अब सामने आने लगे हैं.
रांची जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि सिविल कोर्ट में फिजिकल अपीरिएंस को लेकर हाईकोर्ट को पत्र भेजा गया है. उम्मीद है कि जल्द ही इस दिशा में सकारात्मक पहल होगी.
इस बीच राजधानी के वकीलों ने सरकार और कोर्ट से अपने हितों को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है. वकीलों की दलील कि न्याय के मंदिर में आज उन्हें ही गुहार लगानी पड़ रही है. लेकिन इंसाफ की जगह मिल रही है तारीख पे तारीख.
रांची जिला बार एसोसिएशन के प्रशासनिक सचिव पवन खत्री ने बताया कि सामान्य दिनों में कोर्ट में गहमागहमी और केसों की सुनवाई पर वकील, मुंशी समेत दूसरे स्टाफ की रोजी-रोटी टिकी रहती है. लेकिन कोरोना काल में ऑनलाइन सुनवाई के चलते कोर्ट में सन्नाटा पसरा हुआ है. लिहाजा कोर्ट से जुड़े लोगों के आमदनी पर भी ताला लग गया है.
अधिवक्ता अरविंद कुमार ने कहा कि मजदूरों के लिए लेबर वेज भी फिक्स है, जबकि वकीलों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है. हालात यह है कि आमदनी प्रभावित होने से घरेलू कलह भी अब सामने आने लगे हैं.
रांची जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि सिविल कोर्ट में फिजिकल अपीरिएंस को लेकर हाईकोर्ट को पत्र भेजा गया है. उम्मीद है कि जल्द ही इस दिशा में सकारात्मक पहल होगी.
इस बीच राजधानी के वकीलों ने सरकार और कोर्ट से अपने हितों को लेकर वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की है. वकीलों की दलील कि न्याय के मंदिर में आज उन्हें ही गुहार लगानी पड़ रही है. लेकिन इंसाफ की जगह मिल रही है तारीख पे तारीख.