Ranchi News: 373 करोड़ का टेंडर, लेकिन 6 साल में एक बूंद पानी की नहीं हो पाई सप्लाई, पेयजल योजना के नाम पर बड़ा खेल

रांची के कई बड़े इलाके में अंडरग्राउंड पाइप बिछाकर पानी सप्लाई करने का टेंडर एलएंडटी कंपनी को दिया गया था.
Ranchi News: जवाहरलाल लाल नेहरू अर्बन रिनुअल मिशन के तहत राजधानी रांची के कई बड़े इलाकों में अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाकर जलापूर्ति करने की योजना बनाई गई थी. लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी एक बूंद पानी की सप्लाई नहीं हो पाई है.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: February 23, 2021, 7:58 PM IST
रांची. झारखंड की राजधानी रांची (Ranchi) में पेयजल आपूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. बड़ी-बड़ी कंपनियों को करोड़ों के टेंडर दिए जाते हैं. लेकिन परिणाम के तौर पर ढाक के तीन पात वाली स्थिति ही सामने आती है. इन सबके बीच जवाहरलाल नेहरू अर्बन रिनुअल मिशन के तहत राजधानी में जलापूर्ति के नाम पर करोड़ों का खेल सामने आया है.
आगामी गर्मी में राजधानी रांची के कई बड़े इलाकों में विभागीय लापरवाही की वजह से पेयजल को लेकर गंभीर समस्या बढ़ सकती है. दरअसल 6 साल पहले 2015-16 में जवाहरलाल लाल नेहरू अर्बन रिनुअल मिशन के तहत राजधानी के कई बड़े इलाकों में अंडर ग्राउंड पाइप लाइन बिछाकर जलापूर्ति करने की योजना बनाई गई थी. जिसके लिए 373 करोड़ रुपये का टेंडर एलएंडटी कंपनी को दिया गया था. लेकिन 6 साल गुजर जाने के बाद भी जलापूर्ति के नाम पर एक बूंद पानी भी इस पाइप लाइन में बहाया नहीं जा सका. बूटी जलापूर्ति पंप हाउस से थोड़ी ही दूरी पर स्थित रानी बागान, सहजानंद कॉलोनी, सत्तार कॉलोनी और इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में जोर शोर से पाइप बिछाने का काम तो सालों पहले शुरू हुआ था. लेकिन अंडरग्राउंड बिछाए गए इस पाइपलाइन का लाभ आज तक स्थानीय लोगों को नहीं मिला.
इंद्रप्रस्थ कॉलोनी के रहने वाले 60 वर्षीय एसके चौधरी की माने तो छह साल से पेयजलापूर्ति के नाम पर धोखा किया जा रहा है. आसपास के किसी भी मुहल्ले में सप्लाई का पानी नहीं पहुंचता है. वहीं आबादी बढ़ने से बोरिंग भी फेल हो चुकी है. ऐसे में गर्मी के दिनों में पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
वार्ड नंबर 9 की पार्षद प्रीति रंजन बताती हैं कि उन्होंने कई बार पेयजलापूर्ति को लेकर पीएचईडी को लिखकर दिया है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है. लोगों की मानें तो मुहल्लों में पाइप लाइन टुकड़ों में बिछाया गया है. और उन्हें मेनलाइन तो दूर आपस में जोड़ा भी नहीं गया.दरअसल रुक्का डैम से रंगलौली पुल होते हुए बूटी से नयी अंडरग्राउंड पाइप को पुराने पाइप लाइन में जोड़ा जाना था. जिसके तहत एलएंडटी कंपनी को अंडरग्राउंड पाइप लाइन का काम राजधानी के इन इलाकों में पूरा करना था.
* चुटिया, चर्च रोड, सिरम टोली और अशोक नगर के इलाके मेंं
* UGR- 1 के तहत रंगरौली ब्रिज से रिंग रोड होते हुए सुकुरहुटू तक
* UGR- 2 के तहत सुकुरहुटू से पुनदाग, दलादली और कटहल मोड़ तक
* कटहल मोड़ से डिबडीह हरमू तक
* कटहल मोड़ से सेक्टर 2 से होते हुए रिंग रोड जगन्नाथपुर तक
वहीं, इस पूरे मामले को देख रहे पीएचइडी विभाग के कार्यपालक अभियंता की माने तो चुटिया, चर्च रोड और बरियातू वाले फेज में एनओसी नहीं मिलने की वजह से देर हो रही है. बाकी जगहों पर टेस्टिंग का काम पूरा हो चुका है.
दरअसल शहरी इलाकों में सुचारू पेयजलापूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपये के टेंडर का खेल चलता है लेकिन घरों में पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंचती. सवाल यह है कि छह साल पहले जलापूर्ति के नाम पर 373 करोड़ रुपये का हिसाब कौन देगा. फिलहाल जलापूर्ति के नाम पर पानी की कहानी अंडरग्राउंड पाइपलाइन की तरह ही दफन नजर आती है.
आगामी गर्मी में राजधानी रांची के कई बड़े इलाकों में विभागीय लापरवाही की वजह से पेयजल को लेकर गंभीर समस्या बढ़ सकती है. दरअसल 6 साल पहले 2015-16 में जवाहरलाल लाल नेहरू अर्बन रिनुअल मिशन के तहत राजधानी के कई बड़े इलाकों में अंडर ग्राउंड पाइप लाइन बिछाकर जलापूर्ति करने की योजना बनाई गई थी. जिसके लिए 373 करोड़ रुपये का टेंडर एलएंडटी कंपनी को दिया गया था. लेकिन 6 साल गुजर जाने के बाद भी जलापूर्ति के नाम पर एक बूंद पानी भी इस पाइप लाइन में बहाया नहीं जा सका. बूटी जलापूर्ति पंप हाउस से थोड़ी ही दूरी पर स्थित रानी बागान, सहजानंद कॉलोनी, सत्तार कॉलोनी और इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में जोर शोर से पाइप बिछाने का काम तो सालों पहले शुरू हुआ था. लेकिन अंडरग्राउंड बिछाए गए इस पाइपलाइन का लाभ आज तक स्थानीय लोगों को नहीं मिला.
इंद्रप्रस्थ कॉलोनी के रहने वाले 60 वर्षीय एसके चौधरी की माने तो छह साल से पेयजलापूर्ति के नाम पर धोखा किया जा रहा है. आसपास के किसी भी मुहल्ले में सप्लाई का पानी नहीं पहुंचता है. वहीं आबादी बढ़ने से बोरिंग भी फेल हो चुकी है. ऐसे में गर्मी के दिनों में पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
वार्ड नंबर 9 की पार्षद प्रीति रंजन बताती हैं कि उन्होंने कई बार पेयजलापूर्ति को लेकर पीएचईडी को लिखकर दिया है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है. लोगों की मानें तो मुहल्लों में पाइप लाइन टुकड़ों में बिछाया गया है. और उन्हें मेनलाइन तो दूर आपस में जोड़ा भी नहीं गया.दरअसल रुक्का डैम से रंगलौली पुल होते हुए बूटी से नयी अंडरग्राउंड पाइप को पुराने पाइप लाइन में जोड़ा जाना था. जिसके तहत एलएंडटी कंपनी को अंडरग्राउंड पाइप लाइन का काम राजधानी के इन इलाकों में पूरा करना था.
* चुटिया, चर्च रोड, सिरम टोली और अशोक नगर के इलाके मेंं
* UGR- 1 के तहत रंगरौली ब्रिज से रिंग रोड होते हुए सुकुरहुटू तक
* UGR- 2 के तहत सुकुरहुटू से पुनदाग, दलादली और कटहल मोड़ तक
* कटहल मोड़ से डिबडीह हरमू तक
* कटहल मोड़ से सेक्टर 2 से होते हुए रिंग रोड जगन्नाथपुर तक
वहीं, इस पूरे मामले को देख रहे पीएचइडी विभाग के कार्यपालक अभियंता की माने तो चुटिया, चर्च रोड और बरियातू वाले फेज में एनओसी नहीं मिलने की वजह से देर हो रही है. बाकी जगहों पर टेस्टिंग का काम पूरा हो चुका है.
दरअसल शहरी इलाकों में सुचारू पेयजलापूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपये के टेंडर का खेल चलता है लेकिन घरों में पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंचती. सवाल यह है कि छह साल पहले जलापूर्ति के नाम पर 373 करोड़ रुपये का हिसाब कौन देगा. फिलहाल जलापूर्ति के नाम पर पानी की कहानी अंडरग्राउंड पाइपलाइन की तरह ही दफन नजर आती है.