रिपोर्ट- शिखा श्रेया
रांची. आदिवासी परंपरा और खानपान को जितना समझने की कोशिश की जाए उतना ही कम है, क्योंकि इतने यूनिक और प्रकृति से जुड़ी हुई चीज हैं जिसे जितना समझा जाए उतना ही कम लगता है. बात की जाए उनके खान-पान की तो आदिवासी खाने में सर्वसाधारण खानपान और पौष्टिक में भरपूरता रहती है. खाने में स्वाद के साथ साथ आपको प्रकृति की सोंधी खुशबू भीभी मिलेगी.
आज हम ऐसे ही आदिवासी खानपान की एक झलक आपके सामने लेकर आये है. जिसका नाम है दुम्बू. दुम्बू चावल के आटे से बनता है. जिसके अंदर गुड़ भरा जाता है. दुम्बू बनाते हुए मीनू कहती है कोई भी तीज-त्यौहार या फिर कोई खास अवसर पर या खुशी के मौके पर यह जरूर बनता है. बाजार के महंगे मिठाई या फिर कोई खोवा मलाई की जरूरत नहीं होती यह साधारण सा दुम्बू ही हमारा सबसे प्रिय मिठाई है.
कैसे बनता है दुम्बू
दुम्बू बनाने के लिए पहले आपको चावल के आटे लेने होंगे चावल के आटे को गर्म खौलते हुए पानी से गूथना है. इसके बाद उसे छोटी-छोटी लोई बनाकर उसके अंदर गुड भरना है. गुड भरने के बाद स्ट्रीमर में खोलते हुए गर्म पानी के ऊपर इसे रखना है और 15 से 20 मिनट के बाद दुम्बू बनकर तैयार है. अब आप इसे परोसकर खा सकते हैं.
बिहारियों में इसे कहते हैं पिट्ठा
मीनू कहती है बिहारी लोग इसे पिट्ठा कहते हैं. असल में यह सबसे पहले हम आदिवासियों ने ही शुरू किया था. इसके बाद आगे चलकर इसमें खोवा, दाल, तीसी, चोखा जैसी चीजें भी भरी जाने लगी. उसके खाने के कई फायदे भी है, अधिकतर इसे ठंडे में खाया जाता है क्योंकि इससे शरीर में गर्माहट मिलती है. गुड से हमें मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे तत्व प्राप्त होते हैं व स्टीम चावल से हमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर जैसे चीजें प्राप्त होती है जो हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करती हैं.
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