पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को ट्वीट किया कि वह इस बात से खुश नहीं हैं कि उनके बेटे जयंत सिन्हा ने झारखंड में रामगढ़ लिंचिंग केस के आठ दोषियों का माला पहनाकर स्वागत किया था. सिन्हा ने ट्वीट किया कि वह अपने बेटे के कदम से इत्तेफाक नहीं रखते हैं.
यशवंत सिन्हा ने ट्वीट किया, 'पहले मैं लायक बेटे का नालायक पिता था लेकिन रोल बदल चुके हैं. ऐसा ट्विटर पर लोग कह रहे हैं. मैं अपने बेटे के फैसले से इत्तेफाक नहीं रखता हूं. लेकिन मुझे पता है कि इसके बाद भी ट्विटर पर अपमान होगा. आप कभी जीत नहीं सकते.'
सिन्हा का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.
Earlier I was the Nalayak Baap of a Layak Beta. Now the roles are reversed. That is twitter. I do not approve of my son's action. But I know even this will lead to further abuse. You can never win.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने शुक्रवार को रामगढ़ लिंचिंग केस के आठ दोषियों का माला पहनाकर स्वागत किया था. पिछले साल 27 जून को लगभग 100 गोरक्षकों की भीड़ ने पशु व्यापारी अलीमुद्दीन अंसारी को हजारीबाग जिले के रामगढ़ में दिनदहाड़े मार डाला था. जयंत सिन्हा हजारीबाग लोकसभा सीट से सांसद हैं. भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डाले जाने के इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने रिकॉर्ड पांच महीने में सुनवाई करते हुए इस साल 21 मार्च को 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने इस मामले में पुलिस जांच पर सवाल उठाए हैं और सीबीआई जांच की मांग की है. फास्ट ट्रैक कोर्ट से सजा पाने के बाद सभी दोषियों ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. यहां से आठ को 29 जून को जमानत मिल गई. बुधवार को ये लोग जय प्रकाश नारायण सेंट्रल जेल से बाहर आए थे. यहां से ये सीधे जयंत सिन्हा के घर गए थे, जहां पर मंत्री ने उन्हें माला पहनाई. ये लोग बीजेपी ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष अमरदीप यादव के नेतृत्व में सिन्हा के घर गए थे.
यशवंत सिन्हा के इस ट्वीट पर लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मतभेदों के बावजूद सार्वजनिक मंच में अपने बेटे की आलोचना करने के लिए साहस की जरूरत होती है.
It takes a lot of guts to criticize own son in public platform irrespective of differences in opinion. 🙏🙏
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए किसी ने कहा कि महोदय, यह एक अनूठा मामला है जो मैं अपने जीवन में देखता हूं कि एक हाई प्रोफ़ाइल पिता खुलेआम अपने बेटे के फैसले के खिलवाफ है. संभवतः नैतिकता और मूल्यों की तुलना में शक्ति का लालच अधिक महत्वपूर्ण है.
Sir, this is one unique case I see in my life that a high profile father is openly in disapproval of his son. Perhaps greed of power is more important than ethics and values. Regretful.
बता दें कि मॉब लिंचिंग के आरोपियों का भव्य स्वागत करने की वजह से ट्विटर पर लोग जयंत सिन्हा के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा पर भी निशाने साधने लगे थे.