झारखंड: 13 साल पुरानी खेल नीति से खिलाड़ियों का नहीं हो रहा भला, सरकार ने लिया ये फैसला

खिलाड़ियों को सम्मानित करते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (फाइल फोटो)
प्रदेश के होनहार पर गरीब खिलाड़ियों के दर्द को देखते हुए अब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन (Hemant Soren) ने 2007 की झारखंड खेल नीति (Jharkhand Sports Policy-2007) में बदलाव करने को कहा है.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: June 14, 2020, 7:18 PM IST
रांची. खेल प्रतिभा (Sports Talents) के मामले में धनी राज्य झारखंड का नाम क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni), तीरंदाज दीपिका कुमारी (Deepika Kumari), भारतीय हॉकी टीम की कप्तान रहीं असुंता लकड़ा जैसे बड़े खेल हस्तियों से रोशन होता रहा है. प्रदेश में खेल प्रतिभाओं की फेहरिस्त काफी लंबी है, जिन्होंने सुविधाओं और संसाधनों के अभाव के बावजूद विश्व पटल पर अपना और राज्य का नाम आगे बढ़ाया. लेकिन कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने अभाव के आगे हारकर मैदान छोड़ दिया और जीवन की गाड़ी चलाने के लिए सब्जी, पान और परचून की दुकान खोल लिया है.
खो-खो के होनहार खिलाड़ी मुन्ना चला रहे हैं गाड़ी
रांची के होनहार खो-खो ,मलखम और एथलेटिक्स खिलाड़ी की कहानी, जिसे मजबूरी ने भाड़े की लॉरी का ड्राइवर बना दिया. गरीबी और बेबसी की मार, ऊपर से पिता के बीमार होने पर घर चलाने की मजबूरी में मुन्ना का अपना सपना टूट गया. मैदान में जीते गए मेडल और शील्ड अब घर की दीवारों की शोभा बढ़ा रहे हैं. और इंटर के छात्र मुन्ना के हाथों में स्टेयरिंग आ गया है. रांची के सुंदरगढ़ झोपड़पट्टी के रहने वाले मुन्ना खेल का मैदान छोड़ जीवन से संघर्ष में जुटा है. हालांकि मां को बेटे के सपना के टूटने का मलाल है. मां मुन्नी देवी की सरकार और व्यवस्था से एक ही गुजारिश है कि सरकार कोई ऐसी व्यवस्था करे, ताकि बेटा ड्राइवरी छोड़ फिर से मैदान उतर पाए.
बदलेगी 2007 की खेल नीतिमुन्ना जैसे प्रदेश के होनहार खिलाड़ियों के दर्द को देखते हुए अब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने 2007 की झारखंड खेल नीति में बदलाव करने को कहा है. राज्य की खेल सचिव पूजा सिंघल ने कहा कि नई खेल नीति में खिलाड़ी और खासकर परंपरागत खेलों के प्रोत्साहन पर ध्यान दिया जाएगा. सब जूनियर लेवल तक के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने, नेशनल लेवल के खिलाड़ियों की मैपिंग कर प्रोत्साहित करने, एक मानक बनाकर खिलाड़ियों को आर्थिक मदद देने, सभी ट्रेडिशनल खेलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ खेल के क्षेत्र टैलेंट हंट का आयोजन सहित कई प्रावधान होंगे, जो झारखंड के खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करेगा. इससे खेल प्रतिभाओं को निखरेगा का मौका मिलेगा.
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खो-खो के होनहार खिलाड़ी मुन्ना चला रहे हैं गाड़ी
रांची के होनहार खो-खो ,मलखम और एथलेटिक्स खिलाड़ी की कहानी, जिसे मजबूरी ने भाड़े की लॉरी का ड्राइवर बना दिया. गरीबी और बेबसी की मार, ऊपर से पिता के बीमार होने पर घर चलाने की मजबूरी में मुन्ना का अपना सपना टूट गया. मैदान में जीते गए मेडल और शील्ड अब घर की दीवारों की शोभा बढ़ा रहे हैं. और इंटर के छात्र मुन्ना के हाथों में स्टेयरिंग आ गया है. रांची के सुंदरगढ़ झोपड़पट्टी के रहने वाले मुन्ना खेल का मैदान छोड़ जीवन से संघर्ष में जुटा है. हालांकि मां को बेटे के सपना के टूटने का मलाल है. मां मुन्नी देवी की सरकार और व्यवस्था से एक ही गुजारिश है कि सरकार कोई ऐसी व्यवस्था करे, ताकि बेटा ड्राइवरी छोड़ फिर से मैदान उतर पाए.
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