रिपोर्ट – शिखा श्रेया
रांची. रांची से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अंनगड़ा गांव. जहां की महिलाएं एक एक धागे बुनकर साड़ी नहीं बल्कि अपनी तकदीर को भी बुनती है. किसी से ना कोई उम्मीद और ना ही कोई शिकायत अपने मेहनत के दम पर अपनी रोजमरा जरूरतें के साथ पूरी परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रही हैं.
अंनगड़ा गांव की बुनकर कमला देवी कहती है, चार दशक पहले हम आसपास के जंगल में अर्जुन के पेड़ों से रेशम के कीड़े इकट्ठा करते थे. जिसमें काफी समय लगता है उतनी कमाई नहीं होती थी पर आज दिन भर में एक सूती या तसर सिल्क साड़ी तैयार करके अच्छी खासी कमाई हो जाती है.इस तरह महिलाओं को स्वावलंबी बनने का अवसर भी प्राप्त हो रहा है.
क्राफ्ट क्लस्टर है अंनगड़ा गांव
अंनगड़ा गांव क्राफ्ट क्लस्टर है यहां पर एक से बढ़कर एक तसर सिल्क व सूती साड़ी की बुनाई होती है. इस गांव में 1000 से अधिक महिलाएं है जो साड़ी बुनने का काम करती है. साड़ी तैयार होने के बाद इसे आसपास के बाजारों में और रांची की व्यापारियों द्वारा मार्केट में बेचा जाता है. सिर्फ रांची ही नहीं बल्कि आसपास के राज्य जैसे छत्तीसगढ़, कोलकाता, यूपी बिहार तक साड़ियां जाती है.
रांची से लूमंग क्राफ्ट के संचालक अभिलाषा कहती है यह हमारा क्लस्टर है और हम यहीं से साड़ियां आर्डर करके ले जाते हैं. इससे ना सिर्फ यह महिलाएं अपने पैर पर खड़ी हो रही है बल्कि, इनके हाथों में कला भी विकसित हो रही है. वही एक से बढ़कर एक डिजाइन जैसे सोहराइ व पैटकर पेंटिंग साड़ियों में की जाती है.
अभिलाषा कहती है, सबसे पहले इन महिलाओं द्वारा स्वयं सहायता समूह बनाई जाती है और फिर उनको कुछ मदद राशि देकर व सरकार की भी मदद लेकर साड़ी बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है जब ट्रेनिंग पूरी होती है तो उन्हें हर साड़ी पर अच्छा खासा नगद मिलता है.
काम की देखरेख कर रहे मयंक कहते हैं हमारे समूह में अभी करीबन 15 से 30 महिलाएं है जो यह काम कर रही है. एक साड़ी बनाने में 1 दिन का वक्त लगता है सबसे पहले चरखा के द्वारा धागा तैयार किया जाता है फिर हैंडलूम मशीन में धागा डाल इसकी बुनाई होती है.
पीएम मोदी तक कर चुके हैं महिलाओं की तारीफ
जनवरी के पहले हफ्ते में आयोजित हुई मन की बात में पीएम मोदी ने बुंडू के बांस क्लस्टर के साथ क्राफ्ट क्लस्टर की भी चर्चा की थी. उन्होंने तारीफ करते हुए कहा था इन महिलाओं के हाथ में कला है और इनमें आगे बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं. सरकार इस पर विशेष ध्यान दे रही हैं.
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