झारखंडः बहादुर IPS को दो राज्यों का सलाम, वीरप्पन जैसे खूंखार नक्सली का खत्म किया आतंक

आईपीएस अधिकारी अनीश गुप्ता फिलहाल रांची में जैप-1 के समादेष्टा पद पर तैनात हैं. (फाइल फोटो)
Jharkhand News: झारखंड और ओडिशा दोनों राज्यों की सरकारें चाईबासा के पूर्व एसपी अनीश गुप्ता (IPS Anish Gupta) को क्रमशः 25 और 20 लाख रुपए इनाम में देंगी. यह इनाम कोल्हान इलाके के खतरनाक नक्सली कमांडर संदीप सोरेन के आतंक का खात्मा करने के लिए दिया जा रहा है.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: January 25, 2021, 7:19 PM IST
रांची. झारखंड सरकार (Jharkhand Government) ने चाईबासा के एसपी रहे आईपीएस अधिकारी अनीश गुप्ता (IPS Anish Gupta) को वीरता पदक से नवाजा है. झारखंड के अलावा ओडिशा सरकार (Odisha Government) ने भी अनीश गुप्ता की वीरता को सलाम किया है. नक्सली कमांडर संदीप सोरेन की गिरफ्तारी के लिए अनीश गुप्ता और उनकी टीम को झारखंड सरकार की ओर से 25 लाख रुपए तथा ओडिशा सरकार की तरफ से 20 लाख रुपए का पुरस्कार स्वीकृत किया गया. ये पुरस्कार राशि अनीश गुप्ता सहित उनकी टीम में रहकर 'ऑपरेशन एस' को अंजाम देने वाले बहादुर सुरक्षाकर्मियों को प्रदान की जाएगी.
2008 बैच के आईपीएस अधिकारी अनीश गुप्ता मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं. झारखंड के चाईबासा में एसपी रहते हुए उन्होंने कोल्हान के जंगलों से माओवादी नेता संदीप के आतंक को खत्म किया था. तब ऐसा माना जाता था कि कोल्हान के जंगलों में संदीप का खौफ चर्चित चंदन माफिया वीरप्पन से कम नहीं था. जो भी संदीप तक पहुंचने की कोशिश करता था, उसे पहले ही उसे रास्ते से हटा दिया जाता था. संदीप पूरे प्रमंडल और राज्य में 'लाल आतंक' का बड़ा चेहरा था.
नक्सली नेता संदीप सोरेन को सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच से गिरफ्तार करने के लिये एसपी अनीश गुप्ता ने 9 जाबांज पुलिस अधिकारियों की टीम बनाई थी. टीम के 6 सदस्य जहां लीड कर रहे थे, वहीं 3 सदस्य बैकअप में थे. दो गाड़ियों में सादी वर्दी से सभी अधिकारी फुटबॉल मैदान पहुंचे और मुखबिर के इशारे पर संदीप की पहचान करते हुए उसे दबोच लिया.
2008 बैच के आईपीएस अधिकारी अनीश गुप्ता मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं. झारखंड के चाईबासा में एसपी रहते हुए उन्होंने कोल्हान के जंगलों से माओवादी नेता संदीप के आतंक को खत्म किया था. तब ऐसा माना जाता था कि कोल्हान के जंगलों में संदीप का खौफ चर्चित चंदन माफिया वीरप्पन से कम नहीं था. जो भी संदीप तक पहुंचने की कोशिश करता था, उसे पहले ही उसे रास्ते से हटा दिया जाता था. संदीप पूरे प्रमंडल और राज्य में 'लाल आतंक' का बड़ा चेहरा था.
सैकड़ों की भीड़ में संदीप के सिर पर तान दी थी पिस्टल
वाकया 2017 का है. तत्कालीन एसपी अनीश गुप्ता को गुप्त जानकारी मिली कि संदीप अपने कुछ साथियों के साथ गांव में फुटबॉल मैच देखने जा रहा है. गांव में उसके समर्थकों की पूरी फौज थी. इसके बावजूद अनीश गुप्ता अपनी टीम को लेकर गांव पहुंच गए. वहां संदीप की पहचान सुनिश्चित करने के बाद उसके पास पहुंचे और उसके सिर पर पिस्टल तान दी. यह देखते हुए संदीप के दूसरे साथी भीड़ की आड़ में जान बचाकर भाग निकले. संदीर सोरेन की गिरफ्तारी पश्चिमी सिंहभूम जिले के जेटिया थाना क्षेत्र के लतार कुंदरीझोर गांव से हुई थी. उस पर 36 मामले दर्ज थे.'ऑपरेशन एस' के लिए बनाई थी 9 अधिकारियों की टीम
नक्सली नेता संदीप सोरेन को सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच से गिरफ्तार करने के लिये एसपी अनीश गुप्ता ने 9 जाबांज पुलिस अधिकारियों की टीम बनाई थी. टीम के 6 सदस्य जहां लीड कर रहे थे, वहीं 3 सदस्य बैकअप में थे. दो गाड़ियों में सादी वर्दी से सभी अधिकारी फुटबॉल मैदान पहुंचे और मुखबिर के इशारे पर संदीप की पहचान करते हुए उसे दबोच लिया.