झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाला: 8 साल बाद दो अफसरों को जबरन रिटायरमेंट

झारखंड विधानसभा के दो अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट दिया गया
झारखंड विधानसभा सचिवालय ने रवीन्द्र कुमार सिंह और राम सागर राम को जबरन रिटायर कर दिया. दोनों अधिकारी संयुक्त सचिव स्तर के थे.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: August 27, 2019, 1:18 PM IST
झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले (Job-Promotion Scam) में आठ साल बाद बड़ी कार्रवाई हुई. विधानसभा सचिवालय ने दो अधिकारियों रवीन्द्र कुमार सिंह और राम सागर राम को जबरन रिटायर (Forced Retirement) कर दिया. दोनों अधिकारी संयुक्त सचिव स्तर के थे. रवींद्र सिंह इसी साल नवम्बर में रिटायर होने वाले थे, जबकि राम सागर राम 2023 में सेवानिवृत्त होते. दोनों कैडर बंटवारे के बाद बिहार विधानसभा से यहां आए थे. इन पर नियुक्ति-प्रोन्नति घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था.
जांच आयोग की रिपोर्ट पर पहली कार्रवाई
बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष रहे इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के कार्यकाल में पांच सौ से अधिक अवैध नियुक्तियां हुई थीं. इसके अलावा शशांक शेखर भोक्ता के कार्यकाल में 150 सहायकों को गलत तरीके से प्रोन्नत किया गया था. इस घोटाले की लंबी जांच चली. तत्कालीन राज्यपाल के आदेश पर जांच के लिए आयोग का गठन हुआ. जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद के आयोग ने जांच पूरी कर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट सौंपी. राज्यपाल ने इस रिपोर्ट को विधासभा भेज दिया. इसी रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा सचिवालय ने यह पहली कार्रवाई की है.
जांच में घोटाले में संलिप्तता पाई गईदोनों पदाधिकारी इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के कार्यकाल के दौरान स्थापना शाखा में तैनात थे. नियुक्ति के दौरान बने कोषांग में भी इनकी भूमिका थी. जांच में गलत तरीके से सृजित पद, स्क्रूटनी और नियुक्ति प्रक्रिया में इनकी संलिप्तता पाई गई.
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जांच आयोग की रिपोर्ट पर पहली कार्रवाई
बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष रहे इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के कार्यकाल में पांच सौ से अधिक अवैध नियुक्तियां हुई थीं. इसके अलावा शशांक शेखर भोक्ता के कार्यकाल में 150 सहायकों को गलत तरीके से प्रोन्नत किया गया था. इस घोटाले की लंबी जांच चली. तत्कालीन राज्यपाल के आदेश पर जांच के लिए आयोग का गठन हुआ. जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद के आयोग ने जांच पूरी कर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को रिपोर्ट सौंपी. राज्यपाल ने इस रिपोर्ट को विधासभा भेज दिया. इसी रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा सचिवालय ने यह पहली कार्रवाई की है.
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