रिपोर्ट- शिखा श्रेया
रांची. झारखंड में आदिवासी समुदाय की लजीज पारंपरिक व्यंजन को देखते ही आपके मुंह में पानी आ जाएगा. आज के जमाने में जहां एक से बढ़कर एक फास्ट फूड आइटम आ गए हैं. लेकिन ट्राइबल के पारंपरिक खाने आज भी मिट्टी की हांडी और लकड़ी के चूल्हे में ही बनती है, जो खाने में बेहद स्वादिष्ट होती है. हम आज बात कर रहे हैं एक स्पेशल बिरयानी की. वैसे तो बिरयानी आपने बहुत खाई होगी, चिकन से लेकर मटन बिरयानी शायद ही किसी को ना पसंद हो. लेकिन झारखंड में इससे सूरी भात या देसी बिरयानी कहा जाता हैं. जिसे बनाने का तरीका भी थोड़ा अलग है.
झारखंड की राजधानी रांची में हमने सूरी भात बनाते हुए महिलाओं से बात की, व्यंजन बनाते हुए मीनू कहती है यह हमारा देसी बिरयानी है इसे हम मिट्टी की हांडी में बनाते हैं और इसे बाजार में मिलने वाली बिरयानी की तरह नहीं बल्कि देसी स्टाइल में बनाया जाता है. जिसे आजकल के लोगों ने चिकन बिरयानी व मटन बिरयानी का नाम दे दिया है.
कैसे बनता है सूरी भात
सूरी भात बनाने के लिए सबसे पहले चावल को धोकर आधे घंटे के लिए सुखाना होगा. फिर आधा किलो चिकन अच्छे से धोकर मिट्टी के हांडी में सारे मसाले डालकर आधे घंटे तक पकाने होंगे. जब चिकन अच्छे से पक जाए, तब उसमें चावल डालकर अच्छे से भूंनना है. साथी एक बात का ध्यान रखें खड़े मसाले पहले ना डाले बल्कि, चिकन बनाते समय चिकन को जब ढक्कन लगाएंगे उसी ढक्कन के ऊपर ही सारे खड़े मसाले रख देंगे ताकि भाप से ही सारे खड़े मसाले पक जाए व अंत में जब चावल अच्छे से मिल जाए तब उसमे सारे खड़े मसाले ले और चावल के दुगने पानी डालकर पकाए , ध्यान रहे बीच-बीच में इसे चलाते भी रहना है.
आदिवासियों का त्यौहार इसके बिना है अधूरा
मीनू कहती है इसके बिना हमारा कोई व्रत-त्योहार नहीं मानता, चाहे घर में कोई भी खुशी का माहौल हो सूरी भात जरूर बनता है. यह हमारा पारंपरिक, विशेष व लजीज व्यंजन है. पहले लोगों के पास अधिक तेल मसाले नहीं हुआ करते थे. इसलिए सब चीजों को एक साथ मिलाकर अच्छे से पकाकर खाया जाता था. इससे स्वाद के साथ तेल मसालों की भी कम खपत होती थी. ऐसे ही आज लोगों ने इसमे थोड़ा फेरबदल करके दम बिरयानी बना रहे हैं.
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