रांची. झारखंड में बेरोजगारों के नाम पर राजनीति (Jharkhand Politics) का खेल जारी है. राज्य के 24 जिलों के 43 नियोजनालय के आंकड़ों पर गौर करें तो इस वक्त 5 लाख 60 हजार 722 बेरोजगर नौजवानों के आवेदन लंबित हैं, यानी हेमंत सोरेन सरकार (Hemant Soren Government) की घोषणा के मुताबिक बेरोजगारी भत्ता के हकदारों की संख्या 5 लाख 60 हजार के पार चली गई है जबकि श्रम नियोजन विभाग ने बेरोजगारी भत्ता के मामले में चुप्पी साध ली है. जानकारी के अनुसार झारखंड में बेरोजगारी दर देश में चौथे स्थान तक पहुंच गया है.
झारखंड में समय के साथ बेरोजगर नौजवानों की फौज बढ़ती ही चली जा रही है. राज्य में हेमंत सोरेन सरकार के गठन के बाद से आवेदकों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ है. दरअसल हेमंत सोरेन सरकार के द्वारा रोजगार नहीं दे पाने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा का ये असर है.
झारखंड में रिक्त पद और बेरोजगारों का आवेदन
झारखंड के 24 जिलों के 43 नियोजनालय के ताजा आंकड़े पर ध्यान दें तो जनवरी 2020 से जून 2021 तक निबंधित आवेदकों की संख्या 5 लाख 60 हजार 722 साल है. 2019 में निबंधित आवेदकों की संख्या 85 हजार 122 थी. झारखंड के सरकारी कार्यालयों में कुल सृजित पद की संख्या 5 लाख 25 हजार 115 है वहीं वर्तमान में सृजित पद पर कुल कार्यरत कर्मचारियों की संख्या 1 लाख 95 हजार 255, जबकि रिक्त पदों की संख्या 3 लाख 29 हजार 860 के करीब है. झारखंड का ये आंकड़ा तब है जब राज्य सरकार ने साल 2021 को नियुक्ति का वर्ष घोषित कर रखा है. मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने रोजगार के मुद्दे पर हेमंत सोरेन सरकार को सदन से लेकर सड़क तक घेरने में कामयाबी हासिल की है .
बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा कर हेमंत सोरेन सरकार फंसती हुई नजर आ रही है. पहले ग्रेजुएट को 5 हजार और पोस्ट ग्रेजुएट्स को 7 हजार देने की घोषणा की गई थी. हेमंत सोरेन सरकार ने इस मुद्दे पर यू टर्न लेते हुए अब तकनीकी रूप से प्रशिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का एलान किया है. हालांकि अब तक किसी भी बेरोजगर नौजवान के बैंक खाते में एक भी रुपया नहीं गया है. सत्ताधारी दल के विधायक भी इस मुद्दे पर मुंह खोलने को तैयार नहीं है. हां ये बात जरूर है कि कांग्रेस के विधायक रिक्त पड़े पदों पर जल्द से जल्द बहाली करने की मांग जरूर कर रहे हैं.
झारखंड में नियुक्ति वर्ष की हकीकत किसी से छिपी नहीं है. JPSC की परीक्षा विवादों में है और जिला से लेकर राज्य स्तर की नियुक्तियों को लेकर अभी इंतजार के सिवाय कोई विकल्प नहीं है. राज्य के बेरोजगारों को बंपर नियुक्ति प्रक्रिया का इंतजार है, साथ ही वैसे बेरोजगारों को बेरोजगरी भत्ता के मिलने का इंतजार होगा, जो रोजगार से वंचित रह जाएंग.
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