रांची. झारखंड बीजेपी एक बार फिर सुर्खियों में है. झारखंड विधानसभा में नमाज कक्ष को लेकर पार्टी ने सदन से सड़क तक विरोध प्रदर्शन किया था. मामला 8 सितंबर 2021 का है जब विरोध प्रदर्शन को लेकर धुर्वा थाने में सदर अंचल सीओ की ओर से प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. इसमें बीजेपी नेताओं पर तोड़फोड़ और एक पुलिसकर्मी से हथियार छीनने के आरोप भी लगे थे. जिसको लेकर रांची के बीजेपी सांसद संजय सेठ, मेयर आशा लकड़ा और प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव समेत 27 लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. लेकिन, इस लिस्ट से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दीपक प्रकाश और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी का नाम ही गायब है जिनके नेतृत्व में विरोध मार्च निकाला गया था. अब इसी को लेकर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन दबी जुबान में.
बीजेपी के जिन 27 नेताओं पर कानूनी कार्रवाई की गई है. उनमें से कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नजर नहीं आता. पूछने पर मेयर आशा लकड़ा बताती हैं किस पर कार्रवाई करनी है या नहीं करनी है, यह तय करना सरकार और पुलिस प्रशासन का काम है. उन्होंने कहा कि सरकार ने राजनीतिक विरोध को कानूनी कार्रवाई की शक्ल दे दी है.
पार्टी के तमाम बड़े नेता और प्रदेश प्रवक्ता ने इस सवाल पर चुप्पी साध रखी है. पूछने पर पार्टी के मीडिया प्रभारी ने सीधे हेमंत सरकार पर निशाना साधा ओर कहा कि सरकार और प्रशासन की ओर से राजनीतिक विरोध को कानूनी शक्ल देकर बीजेपी नेताओं को परेशान किया जा रहा है.
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