रांची. रांची के खेलगांव में 27 से 29 मई के बीच नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में पहलवान अपना सबकुछ झोंकते नजर आ रहे हैं. अंडर 15 और अंडर 20 बालिका और बालक पहलवानों से पूरा स्टेडियम पटा नजर आ रहा है, हालांकि इस चैंपियनशिप में अभी भी हरियाणा का दबदबा नजर आ रहा है लेकिन बड़ा सवाल है कि आखिर कुश्ती के इस खेल में हरियाणा की बेटियां दूसरों से अलग कैसे हैं. आइये आपको बताते हैं…
रांची के खेलगांव में पहलवानों की भी़ड़ में हरियाणा की सात बेटियां दूसरों से बिलकुल अलग नजर आ रही हैं. कुश्ती के लिए समर्पित इन बेटियों ने अपने बाल के मुंडन करा लिये हैं. रेसलर्स की मानें तो बाल की वजह से कई बार दंगल के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ता है. रेसलर मनजीत संधू ने बताया कि दंगल के बीच 30 सेकंड का जो समय होता है उससे बाल की वजह से कई परेशानी होती है. पसीना भी काफी आता है. माइंड रिलैक्स करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है लेकिन बाल नहीं होने की वजह से ये तमाम परेशानियां खत्म हो जाती है. पूरा फोकस खेल पर होता है.
खेलो इंडिया की गोल्ड मेडलिस्ट दीप्ति की मानें तो उसके जीवन का लक्ष्य पदक जीतना है. बाल तो कभी भी बढ़ाये जा सकते हैं. उसने बताया कि कई बार विरोधी पहलवान के हाथ में बाल आ जाता है या फिर दंगल के दौरान चेहरे पर बाल आने की वजह से चूक की गुंजाइश बनी रहती है. ऐसे में बाल रहना कुश्ती में हमेशा परेशानी का सबब रहता है.
हरियाणा के कोच संजय मल्लिक बताते हैं कि महिला पहलवानों का बाल हटाने की वजह एकदम लॉजिकल है. उन्होंने बताया कि यह उम्र बाल संवारने की नहीं बल्कि पदक कमाने की है. उन्होंने कहा कि रेसलर का धर्म पदक जीतना है न कि बाल संवारना. ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडलिस्ट विजेता मुस्कान ने बताया कि वह हर दिन पांच लीटर दूध पीती हैं. इसके अलावा फल और दूसरे पौष्टिक आहार पर भी पूरा फोकस रहता है. ऐसे में बाल की वजह से पदक से चूक जाना हरियाणा की बेटियों को पसंद नहीं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Ranchi news, Wrestling