एक महिला की कर्मठता ने बदल दी रांची के पास स्थित इस गांव की कहानी

एक महिला की कर्मठता ने रांची के पास स्थित गांव की तस्वीर ही बदल दी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
दुष्यंत कुमार ने कभी लिखा था, 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों.' इन लाइनों को हकीकत में तब्दील करती है झारखंड के इस महिला की कहानी.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: July 8, 2019, 9:05 AM IST
दुष्यंत कुमार ने कभी लिखा था, 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों.' इन लाइनों को हकीकत में तब्दील करती है झारखंड के इस महिला की कहानी.
राज्य की राजधानी रांची के पास एक गांव है गुटुयाटोली. इस गांव में कम से कम 400 लोगों की आबादी है. एक साल पहले तक इस गांव के लोग बाहर में शौच के लिए जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है. एक महिला की कर्मठता ने गांव की कहानी हमेशा के लिए पूरी तरह बदल दी है.
मैडम साहिबा कह बुलाते हैं गांव के लोग
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, गुटुयाटोली गांव के लोग इस महिला को मैडम साहिबा कह कर संबोधित करते हैं. इनका नाम फूलमनी देवी है. 30 वर्षीय फूलमनी देवी चार महिलाओं की टीम का नेतृत्व करती हैं. ये सभी मिस्त्री हैं. पुरुष मिस्त्रियों को राज मिस्त्री कहा जाता है तो उसी तर्ज पर इनके लिए रानी मिस्त्री (सशक्त महिला मिस्त्री भी कह सकते हैं) शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है. फूलमनी ने अपनी टीम के साथ मिलकर गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 125 शौचालय बनाए हैं. इन शौचालयों के बनने के बाद गांव का कोई भी सदस्य अब खुले में नित्य क्रिया करने के लिए नहीं जाता.पिछले साल ओडीएफ फ्री घोषित हुआ था झारखंड
2017 में झारखंड सरकार के पेय जल और स्वच्छता विभाग ने सफाई अभियान के तहत 15 लाख शौचालय बनाने का निर्णय लिया. इसके तहत विभाग ने महिला मिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने की सोची. विभाग ने राज्य में कुल 55 हजार रानी मिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया जिनमें फूलमनी और उनकी टीम के साथी भी शामिल थे. इसका लाभ यह हुआ कि झारखंड ने पिछले साल खुद को ओपन डिफेक्शन फ्री (ODF) घोषित कर दिया.
फूलमनी का जीवन आसान नहीं था
गुटुयाटोली गांव के लोगों के जीवन में आए बदलाव उनकी मुस्कान में तो दिख ही रहा है. साथ ही इससे रानी मिस्त्रियों का जीवन भी बदला है. फूलमनी का जीवन इतना आसान नहीं था. उन्हें उनका शराबी पति मारा करता था. हालांकि काफी मान मनौव्वल के बाद उन्होंने पति को यह काम सीखने के लिए मना लिया. वे कहती हैं कि सरकार को ऐसी अन्य भी योजनाएं लानी चाहिए जिससे महिलाएं सशक्त हो सकें.
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राज्य की राजधानी रांची के पास एक गांव है गुटुयाटोली. इस गांव में कम से कम 400 लोगों की आबादी है. एक साल पहले तक इस गांव के लोग बाहर में शौच के लिए जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है. एक महिला की कर्मठता ने गांव की कहानी हमेशा के लिए पूरी तरह बदल दी है.
मैडम साहिबा कह बुलाते हैं गांव के लोग
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, गुटुयाटोली गांव के लोग इस महिला को मैडम साहिबा कह कर संबोधित करते हैं. इनका नाम फूलमनी देवी है. 30 वर्षीय फूलमनी देवी चार महिलाओं की टीम का नेतृत्व करती हैं. ये सभी मिस्त्री हैं. पुरुष मिस्त्रियों को राज मिस्त्री कहा जाता है तो उसी तर्ज पर इनके लिए रानी मिस्त्री (सशक्त महिला मिस्त्री भी कह सकते हैं) शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है. फूलमनी ने अपनी टीम के साथ मिलकर गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 125 शौचालय बनाए हैं. इन शौचालयों के बनने के बाद गांव का कोई भी सदस्य अब खुले में नित्य क्रिया करने के लिए नहीं जाता.पिछले साल ओडीएफ फ्री घोषित हुआ था झारखंड
2017 में झारखंड सरकार के पेय जल और स्वच्छता विभाग ने सफाई अभियान के तहत 15 लाख शौचालय बनाने का निर्णय लिया. इसके तहत विभाग ने महिला मिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने की सोची. विभाग ने राज्य में कुल 55 हजार रानी मिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया जिनमें फूलमनी और उनकी टीम के साथी भी शामिल थे. इसका लाभ यह हुआ कि झारखंड ने पिछले साल खुद को ओपन डिफेक्शन फ्री (ODF) घोषित कर दिया.
फूलमनी का जीवन आसान नहीं था
गुटुयाटोली गांव के लोगों के जीवन में आए बदलाव उनकी मुस्कान में तो दिख ही रहा है. साथ ही इससे रानी मिस्त्रियों का जीवन भी बदला है. फूलमनी का जीवन इतना आसान नहीं था. उन्हें उनका शराबी पति मारा करता था. हालांकि काफी मान मनौव्वल के बाद उन्होंने पति को यह काम सीखने के लिए मना लिया. वे कहती हैं कि सरकार को ऐसी अन्य भी योजनाएं लानी चाहिए जिससे महिलाएं सशक्त हो सकें.
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