रांची. झारखंड की राजधानी रांची में स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. अस्पताल में तकरीबन डेढ़ साल से खराब पड़े लीनियर एक्सलेटर मशीन को ठीक कर दिया गया है. इसके साथ ही इसके इस्तेमाल की मंजूरी भी मिल गई है. इस मशीन के ठीक होने से कैंसर मरीज का प्रतिमाह 1 से डेढ़ लाख रुपये बचेगा, क्योंकि उनकी जांच अब अस्पताल के अंदर ही हो सकेगी. रिम्स प्रबंधन की ओर से यह जानकारी दी गई है. बता दें कि अस्पताल से बाहर से कैंसर की जांच कराने पर लोगों को बड़ी रकम चुकानी पड़ती थी, लेकिन अब रिम्स के अंदर ही यह संभव हो सकेगा.
रिम्स की ओर से मशीन की मरम्मत के बाद लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी को आवेदन दिया गया था. बोर्ड ने आवेदन को स्वीकार कर लिया है. इसके बाद से सोमवार से इस मशीन को मरीजों के लिए शुरू कर दी गई. इसके साथ ही अब रिम्स में कैंसर से ग्रस्त मरीजों को रेडियोथेरेपी की सुविधा मिलनी शुरू हो गई है. वॉल्यूमैट्रिक माड्यूलेटेड आर्क थेरेपी (वीमैट) से मरीजों को साइड इफेक्ट भी कम होगा. इस नई व्यवस्था के तहत मरीजों के रेडियोथेरेपी में समय भी कम लगेगा.
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बता दें कि रेडियोथेरेपी 5 सप्ताह तक चलता है. एक महीने में इस पर तकरीबन खर्च 1 से डेढ़ लाख रुपये खर्च होता है. किसी भी कैंसर रोगियों को रेडियोथेरेपी के पांच सेशन लेने होते हैं. हर सप्ताह इसकी 5 थेरेपी लेनी होती है. रिम्स में थेरेपी लेने वालों को बिल्कुल फ्री सुविधा मिलती है. रेडियोथेरेपी के बदले मरीजों को कोई शुल्क नहीं चुकाने पड़ते हैं. रिम्स में एक नई एडवांस लीनियर एक्सलेटर मशीन भी विभाग में जल्द इंस्टॉल की जाएगी. नई मशीन खरीद के लिए पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है. प्रक्रिया में समय लग रहा है. हालांकि, रिम्स प्रबंधन के अनुसार दो महीने के अंदर नई मशीन रिम्स पहुंच जाएगी. इसके बाद ज्यादा रोगियों को इसका लाभ मिल सकेगा.
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