रांची. झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार को बड़े ही धूम-धाम से रथयात्रा निकाली गयी. दोपहर बाद प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ भ्रमण पर निकले. प्रभु के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. भक्तों ने रथ भी खींचा. प्रभु जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ मौसीबाड़ी जाएंगे. रांची के ध्रुवा से निकली रथ यात्रा में राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हुए. दोनों ने पूजा अर्चना भी की.
वहीं जमशेदपुर में निकले रथ यात्रा में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता शामिल हुए. दो साल बाद रथ यात्रा को लेकर भक्तों में काफी उत्साह देखा गया. इधर, रथ यात्रा को लेकर प्रशासन भी मुस्तैद रहा. जगह-जगह पर भारी संख्या में फोर्स की तैनाती की गई थी. कहीं भी किसी प्रकार की अप्रिय घटना की सूचना नहीं है.
राज्यपाल रमेश बैस और सीएम हेमंत सोरेन ने की पूजा
रथ यात्रा के पावन अवसर पर राज्यपाल रमेश बैस एवं मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज रांची धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर पहुंचकर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र की विधिवत पूजा-अर्चना की. राज्यपाल ने महाप्रभु जगन्नाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना कर देश एवं राज्य की खुशहाली, सुख-समृद्धि, शांति और प्रगति की कामना की. रमेश बैस ने कहा कि विधिवत मंत्रोच्चार के साथ आज प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के चरणों में पूजा-अर्चना करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. भगवान जगन्नाथ सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें. राज्यपाल ने राज्यवासियों को रथ यात्रा की शुभकामनाएं दीं.
6.45 बजे रथ मौसीबाड़ी मंदिर प्रांगण पहुंचा
जगन्नाथ मंदिर और मौसीबाड़ी के बीच की दूरी महज पांच सौ मीटर है. रथयात्रा के दौरान भक्तों की भीड़ इतनी होती है कि 500 मीटर की दूरी तय करने में 1.45 मिनट तक का समय लग जाता है. तय कार्यक्रम के अनुसार पूजन के उपरांत 4.30 बजे रथ में विधानपूर्वक रस्सी बांधा कर शाम पांच बजे जगन्नाथ स्वामी का रथ मौसीबाड़ी के लिए प्रस्थान किया. शाम 6.45 बजे रथ मौसीबाड़ी मंदिर प्रांगण पहुंचा. इससे पूर्व एक जुलाई को नित्य आराधना के बाद सुबह पांच बजे मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया. दोपहर दो बजे तक दर्शन किया इसके बाद रथयात्रा की तैयारी आरंभ हो गई.
ऐतिहासिक है जगन्नाथपुर रांची का यह मंदिर
जगन्नाथपुर रांची का यह मंदिर धार्मिक सहिष्णुता और समन्वय का अद्भुत उदाहरण है. श्री जगन्नाथ के इस मंदिर का निर्माण पहाड़ी पर किया गया है जिसकी ऊंचाई लगभग 80-90 मीटर है. यह अल्बर्ट एक्का चौक से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसका निर्माण करीब 350 साल पूर्व सन् 1691 ई ० में नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने किया था. इस मंदिर को पुरी के जगन्नाथ मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है.
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