रिपोर्ट – शिखा श्रेया
रांची. यूपीएससी परीक्षा की बात करें तो यह एक ऐसी परीक्षा है जिसे कभी न कभी देश के हर युवा के दिल में देने की चाह जरूर होती है. इसे पास करने के लिए मेहनत के साथ हिम्मत और हौसले की भी जरूरत होती है. कई बार ऐसा भी होता है कि विद्यार्थी एक दो बार फेल होने के बाद ही हिम्मत हार जाते हैं व अपने संघर्ष को बीच में ही छोड़ देते हैं. लेकिन यूपीएससी आईएमडी 2013 के टॉपर अभिषेक आनंद की कहानी थोड़ी अलग हैं, जिन्होंने कई बार फेल होने के बावजूद अपने हौसले को टूटने नहीं दिया.
अभिषेक आनंद फिलहाल झारखंड की राजधानी रांची के मौसम विज्ञानकेंद्र में मौसम साइंटिस्ट एवं प्रमुख के रूप में कार्यरत है.अभिषेक आनंद ने News18 Localको बताया, जिंदगी में सफलता से ज्यादा महत्वपूर्ण विफलता है.क्योंकि विफलता ही आपको सफलता की कीमत सिखाती है.हमें पद या पैसे से ज्यादा किसी के संघर्षों व उसके प्रयासों की इज्जत करनी चाहिए.
वीआईटी वेल्लोर से किया इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग
अभिषेक आनंद ने कहा, ‘मैं मूल रूप से हजारीबाग का रहने वाला हूं.वहीं से अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की फिर 2010 में वीआईटी वेल्लोर से इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग पूरी की.इसके बाद मैंने गेट भी क्वालीफाई किया पर एमटेक में एडमिशन न लेकर मैंने पीएसयू सेल बोकारो में ज्वाइन किया.लेकिन मन हमेशा यूपीएससी में ही अटका था.हमेशा से समाज व सोसाइटी के लिए सीधे तौर पर जुड़कर कुछ करना चाहता था इसलिए मैंने यूपीएससी देने की सोची.
1 साल में 14 इंटरव्यू में फेल हो गया
अभिषेक आनंद बताते हैं, एक समय ऐसा भी था जहां हताशा निराशा काफी थी.लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी 1 साल में मैंने 14 पीएसयू इंटरव्यू दिए.लेकिन उन सारे में मैं फेल हो गया 15 महीनों तक घर नहीं गया.परिवार के किसी सदस्य से नहीं मिला व कोई त्यौहार सेलिब्रेट नहीं किया.यह दौर वाकई में मेरे लिए बड़ा मुश्किल था.
इतना ही नहीं मैंने यूपीएससी के चार अटेम्प्ट दिए.जिनमें एक बार प्रेलिमस् व दूसरी बार मेंस में फेल हुआ.वही, तीसरी व चौथी बार में मैं इंटरव्यू तक पहुंच पाया पर आखिरकार सिलेक्शन नहीं हो पाया.तब जाकर फिर से 2014 में यूपीएससी आईएमडी एग्जाम दिया और इसमें ऑल ओवर इंडिया 4 रैंक लाया.
जॉब के साथ 6 से 7 घंटे की फोकस पढाई काफी
अभिषेक आनंद बताते हैं ,यह भ्रम है कि 12 से 14 घंटा पढ़ने की जरूरत पड़ती है. मात्र 6 से 7 घंटा पूरे फोकस के साथ पढ़कर एग्जाम निकाला जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘मैं बोकारो सेल में नौकरी करने के दरमियां 8 से 10 घंटे की ड्यूटी किया करता था. इसके बाद घर आकर 6 से 7 घंटे फोकस के साथ पढ़ा करता था. यह परीक्षा की तैयारी जॉब के साथ भी की जा सकती है.साथी परीक्षा के साथ-साथ करियर का दूसरा विकल्प खुला रखें. जिंदगी सिर्फ यूपीएससी एग्जाम निकालने में ही नहीं बल्कि इससे कहीं अधिक है’.
अभिषेक बताते हैं, विद्यार्थियों में सबसे अधिक डिप्रेशन का कारण होता है समाज और सोसाइटी के द्वारा दिया गया प्रेशर.क्योंकि समाज इस बात से आपको तय करता है कि आप कितने बड़े पद पर बैठे हैं या आपके पास कितना पैसा है.बल्कि हमें उन लोगों की सराहना करनी चाहिए जिन्होंने अधिक प्रयास किया है या अधिक स्ट्रगल किया हैं.
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