अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली से आहत हैं. उनका कहना है कि उंचे पदों पर बैठे अफसर उनके पत्रों का जवाब तक देना जरूरी नहीं समझते तो महाधिवक्ता बतौर स्टेटबार काउंसिल हेड उनके खिलाफ ही निंदा प्रस्ताव पारित कराते हैं. उनके निर्वाचन क्षेत्र में राज्य का पहला महिला विश्वविद्यालय को लेकर कार्यक्रम होता है और बतौर मंत्री या विधायक सरयू राय का नाम भी निमंत्रण कार्ड में नहीं छपता. अपने दर्द बयां करते करते सरयू राय ने साफ कर दिया कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र छोड़ आए हैं. जरूरत समझी तो अमित शाह उनसे बात करेंगे.
में सरयू राय ने कहा कि वह अगस्त 2017 से ही सरकार और कुछ वरीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते रहे हैं. उम्मीद है कि उन्होंने जिन मुद्दों को उठाया है उसका समाधान राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे. सरयू राय ने दिल्ली से लौटने पर बिरसा मुंडा एअरपोर्ट पर कहा कि 28 फरवरी तक उनके उठाए मुद्दों का समाधान हो जाए तो बेहतर नहीं तो नौबत आई तो मीडिया को बताकर मंत्रिमंडल से अलग हो जाएंगे. सरकार नाराज मंत्री सरयू राय ने कहा कि जब कुछ अधिकारी मंत्री के पद का जवाब नहीं दें तो समझना चाहिए कि दाल में कुछ काला है. सरयू राय ने भ्रष्टाचार और प्रदूषण का हमेशा विरोध किया है.
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FIRST PUBLISHED : February 09, 2019, 22:39 IST