लंबे समय से बदहाल है. काफी जद्दोजहद के बाद सरकार ने राज्य विधि आयोग के कार्यकाल को 2019 तक के लिए बढ़ा तो दिया मगर आयोग में अब तक न तो अध्यक्ष और न ही सदस्य सचिव की नियुक्ति की गई. ऐसे में यह सरकारी संस्था महज कागजी संस्था बन कर रह गया है.
आड्रे हाउस में राज्य विधि आयोग का दफ्तर बिल्कुल सुनसान है. सरकार ने 15 मई को इस कार्यालय का कार्यकाल 2019 तक के लिए बढ़ा दिया. मगर मई से तीन महीने बीतने के बाद भी न तो अध्यक्ष मनोनित किए गए और न ही विधि विभाग ने कोई सदस्य सचिव को पदस्थापित किया. ऐसे में यह
बनकर रह गया है. यहां लंबे समय से संविदा पर काम कर रहे कर्मियों की माने तो आयोग का कार्यकाल सरकार ने तो बढ़ा दिया मगर संविदा कर्मियों के बारे में नहीं सोचा गया.
विधि आयोग के बंद कमरे में पड़ी किताबें अब बरबाद होने के कगार पर है. तत्कालीन अध्यक्ष राज किशोर महतो ने लाखों रुपये मूल्य की दुर्लभ किताबें मंगवाई थी. आलम यह है कि पैसों की कमी के कारण विधि आयोग में न फोन-फैक्स है और न ही कोई संसाधन. हद तो यह है कि यहां काम कर रहे पांच कर्मियों को भी पूछने वाला कोई नहीं है. इस वजह से इनकी स्थित दयनीय हो चुकी है.
13 नवंबर 2002 को राज्य में विधि आयोग का गठन किया गया था. इसका काम न केवल
बल्कि खास विषयों पर पूरी रिपोर्ट सरकार को सौंपकर कानून संगत कदम उठाने की पहल की जाती रही है. मगर पिछले कई वर्षों से राज्य सरकार ने जिस तरह से इसे नजरअंदाज किया उससे साफ जाहिर होता है कि आयोग के प्रति सरकार गंभीर नहीं है. आवश्यकता इस बात की है कि आयोग का कार्यकाल बढ़ाने के बाद अध्यक्ष सहित अन्य अधिकारियों की भी नियुक्ति हो जिससे यहां कामकाज हो सके.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : July 28, 2018, 11:47 IST