क्या है सरना धर्म और इससे जुड़ा विवाद? हेमंत सोरेन के दिए बयान से मचा बवाल

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरना आदिवासी धर्म कोड को जनगणना 2021 में शामिल कराने के लिए वह केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरना आदिवासी धर्म कोड को जनगणना 2021 में शामिल कराने के लिए सत्ता पक्ष के सभी विधायकों के साथ वे केंद्र सरकार और गृह मंत्री से मिलकर अनुरोध करेंगे. बताया गया है कि सरना एक धर्म है जो प्रकृतिवाद पर आधारित है और सरना धर्मावलंबी प्रकृति के उपासक होते हैं.
- News18 Jharkhand
- Last Updated: February 22, 2021, 9:47 PM IST
रांची. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना आदिवासी धार्मिक संहिता का मुद्दा उठाया है. हार्वर्ड कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग परिषद की बैठक में सोरेन ने सरना कोड पर अपनी बात रखी. उन्होंने झारखंड विधानसभा द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आग्रह किया है. इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरना आदिवासी धर्म कोड को जनगणना 2021 में शामिल कराने के लिए सत्ता पक्ष के सभी विधायकों के साथ वे केंद्र सरकार और गृह मंत्री से मिलकर अनुरोध करेंगे. बताया गया है कि सरना एक धर्म है जो प्रकृतिवाद पर आधारित है और सरना धर्मावलंबी प्रकृति के उपासक होते हैं.
समुदाय में ही नई बहस छिड़ गई
झारखंड में 26 प्रतिशत आदिवासी हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की जनसंख्या 3.24 करोड़ है. झारखंड की आबादी का लगभग 26 प्रतिशत आदिवासी हैं. आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार राज्य के अधिकांश आदिवासी जो ईसाई नहीं हैं, उन लोगों ने 2011 की जनगणना में धार्मिक पहचान वाले कालम में अदर का चुनाव किया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासियों के धर्म सरना कोड का प्रस्ताव झारखंड कर केंद्र से इसे जनगणना में शामिल करने को कहा. इसको लेकर पूरे देश के आदिवासी सहमत नहीं हैं. इससे समुदाय में ही नई बहस छिड़ गई है.
50 लाख लोगों ने सरना धर्म दर्ज कियाकुल आबादी का 8 से 9 प्रतिशत आदिवासी हैं. पिछली जनगणना में झारखंड में 50 लाख लोगों ने सरना धर्म दर्ज किया है. राज्य में सरना धर्म कोड की मांग के सबसे अधिक आंदोलन हुए हैं. जनगणना के कॉलम में 1951 तक आदिवासियों का कॉलम अलग-अलग नाम से रहा. 1961 में इसे हटा दिया गया. ''
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरना आदिवासी धर्म कोड को जनगणना 2021 में शामिल कराने के लिए सत्ता पक्ष के सभी विधायकों के साथ वे केंद्र सरकार और गृह मंत्री से मिलकर अनुरोध करेंगे.
समुदाय में ही नई बहस छिड़ गई
झारखंड में 26 प्रतिशत आदिवासी हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की जनसंख्या 3.24 करोड़ है. झारखंड की आबादी का लगभग 26 प्रतिशत आदिवासी हैं. आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार राज्य के अधिकांश आदिवासी जो ईसाई नहीं हैं, उन लोगों ने 2011 की जनगणना में धार्मिक पहचान वाले कालम में अदर का चुनाव किया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासियों के धर्म सरना कोड का प्रस्ताव झारखंड कर केंद्र से इसे जनगणना में शामिल करने को कहा. इसको लेकर पूरे देश के आदिवासी सहमत नहीं हैं. इससे समुदाय में ही नई बहस छिड़ गई है.
50 लाख लोगों ने सरना धर्म दर्ज कियाकुल आबादी का 8 से 9 प्रतिशत आदिवासी हैं. पिछली जनगणना में झारखंड में 50 लाख लोगों ने सरना धर्म दर्ज किया है. राज्य में सरना धर्म कोड की मांग के सबसे अधिक आंदोलन हुए हैं. जनगणना के कॉलम में 1951 तक आदिवासियों का कॉलम अलग-अलग नाम से रहा. 1961 में इसे हटा दिया गया. ''
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरना आदिवासी धर्म कोड को जनगणना 2021 में शामिल कराने के लिए सत्ता पक्ष के सभी विधायकों के साथ वे केंद्र सरकार और गृह मंत्री से मिलकर अनुरोध करेंगे.