रांची. झारखंड में फिर एक बार राज्य सभा का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है. चुनावी दंगल में बड़े रण बांकुरों के उतरने की संभावना है. सत्ताधारी दल के अंदर राज्य सभा चुनाव की हलचल को महसूस किया जा सकता है. बात चाहे कांग्रेस के दिल्ली दरबार की हो या रांची के मुख्यमंत्री आवास की, उम्मीदवारी की दावेदारी पर मंथन का दौर जारी है. इस बार कांग्रेस ने गठबंधन के अंदर पहली वरीयता के उम्मीदवारी का दावा पेश किया है. प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की के अनुसार गठबंधन के अंदर सबको मिलकर निर्णय लेना है. कांग्रेस का दावा जरूर बनता है और इसके अनुरूप लगातार बातचीत भी चल रही है. बदले राजनीतिक हालात में कांग्रेस बाजी मार सकती है.
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस का दावा मजबूत होता देख पार्टी के अंदर दावेदारी का दौर भी शुरू हो गया है. विधायक इरफान अंसारी ने अपने पिता फुरकान अंसारी को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाने की मांग कर दी है. उनका दावा है कि फुरकान अंसारी को उम्मीदवार बनाने के लिये पार्टी के 14 विधायकों ने सहमति जताई है. अल्पसंख्यक वोट बैंक के बीच सबसे बड़ी आबादी अंसारी समाज के साथ न्याय करने की जरूरत है. 24 या 25 मई को कांग्रेस के विधायक सोनिया गांधी से इस मुद्दे पर अपनी बात रखने के लिये समय मांगेंगे.
सत्ताधारी गठबंधन के अंदर बड़े भाई की भूमिका निभा रही जेएमएम राज्य सभा की दोनों ही सीट जीतने का दावा कर रही है. जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडेय ने साल 2016 के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के फार्मूले की ओर इशारा किया है. उसका कहना है कि जब 43 विधायकों के साथ बीजेपी 2 सीट जीत सकती है, तो उनका आंकड़ा 48 का है. बीजेपी ने रास्ता दिखाया है अब उसी के रास्ते पर चल कर बीजेपी को मात देने की तैयारी है.
10 जून को झारखंड के दो राज्य सभा सीट के लिये मतदान होना है. अगले कुछ दिनों में दलों की उम्मीदवारी से चुनावी घमासान की तस्वीर साफ हो जाएगी. इसके बाद शुरू होगा आंकड़ों का खेल और आंकड़ों के खेल में जिसकी रणनीति सबसे ज्यादा मजबूत होगी, जीत उसी को मिलेगी. बहरहाल, सत्ताधारी गठबंधन के भीतर उथल पुथल का अंतिम परिणाम क्या सामने आता है यह देखना दिलचस्प रहेगा.
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