Jharkhand Elections: 'गुरूजी' के आशीर्वाद से हेमंत सोरेन के सिर दोबारा सजेगा झारखंड की ताज!
Jharkhand Elections: 'गुरूजी' के आशीर्वाद से हेमंत सोरेन के सिर दोबारा सजेगा झारखंड की ताज!
हेमंत सोरेन दोबारा मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. पिता शिबू सोरेन से आशीर्वाद लेने उनके आवास पर पहुंचे.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के हेमंत सोरेन (Hemant Soren) का मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है. सोरेन 2 जगहों से चुनाव मैदान में हैं. वे बरहेट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं जबकि दुमका से अभी 2750 वोटों से आगे चल रहे हैं. बरहेट में उन्होंने बीजेपी के सीमोन मोलतो का हराया.
रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के नेतृत्व में महागठबंधन ने बाजी मार ली है. विधानसभा की 81 सीटों की मतगणना के रुझानों में 49 सीटों पर महागठबंधन जीतती हुई नजर आ रही है. जेएमएम गठबंधन को जेएमएम 24, कांग्रेस 12 और आरजेडी 5 सीटों पर आगे हैं. ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री (Chief minister) बनना तय माना जा रहा है. सोरेन 2 जगहों से चुनाव मैदान में हैं. वे बरहेट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं जबकि दुमका से अभी 2750 वोटों से आगे चल रहे हैं. बरहेट में उन्होंने बीजेपी के सीमोन मोलतो का हराया.
वर्ष 2013 में पहली बार बने राज्य के मुख्यमंत्री
हेमंत सोरेन ने वर्ष 2013 में पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. उस समय सरकार बनाने में उन्हें कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल का साथ मिला था. हेमंत पहली बार 3 जुलाई 2013 से लेकर दिसंबर 2014 तक मुख्यमंत्री के पद पर बने रहे. वे झारखंड के पांचवें मुख्यमंत्री थे. इससे पहले वह अर्जुन मुंडा मंत्रीमंडल में उप मुख्यमंत्री थे. हेमंत सोरेन वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में बीजेनी के उम्मीदवार हेमलाल मुरमू को 24,087 वोटों के अंतर से हराकर निर्वाचित हुए थे.
विपक्ष में रहते हुए हेमंत सोरेन राज्य के कई आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं. वर्ष 2016 में राज्य में भाजपा की सरकार थी. तत्कालीन बीजेपी सरकार ने छोटा नागपुर टीनेंसी एक्ट और संथाल परगना टीनेंसी एक्ट को बदलने की कोशिश की थी. इसमें आदिवासी भूमि को गैर कृषि कार्यों में इस्तेमाल करने का प्रावधान किया था. इसका राज्य में काफी विरोध हुआ और हेमंत सोरेन ने इस आंदोलन को नेतृत्व दिया था.
बड़े भाई दुर्गा सोरेन की असमय मौत के बाद राजनीति में आए हेमंत
वर्ष 2009 में बड़े भाई दुर्गा सोरेन की असमय मौत के बाद हेमंत सोरेन को शिबू सोरेन के बाद जेएमएम के नेता के रूप में देखा जाने लगा. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने दुमका सीट से पहली बार जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे. वर्ष 2010 में अर्जुन मुंडा की नेतृत्व वाली बीजेपी-जेएमएम गठबंधन सरकार में हेमंत सोरेन पहली बार राज्य के उपमुख्यमंत्री बने. जनवरी 2013 में जेएमएम ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया और राज्य में राष्टपति शासन लगा दिए गए.
वर्ष 2009 में बड़े भाई दुर्गा सोरेन की असमय मौत के बाद हेमंत सोरेन को शिबू सोरेन के बाद जेएमएम के नेता के रूप में देखा जाने लगा.
हेमंत ने पिता की उंगली पकड़कर सीखी राजनीति
झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन राज्य के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन हैं. हेमंत सोरेन सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं में शुमार हैं. हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 में हुआ है. हेमंत सोरेन अपने पिता की तरह राज्य में आदिवासी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं.
शराबबंदी के समर्थक रहे हैं हेमंत
हेमंत सोरेन पीडीएस में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के मुखर आलोचक रहे हैं. एससी—एसटी एक्ट में बदलाव की बात जब आई तब हेमंत सोरेन अपने पिता शिबू सोरेन के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले थे. हेमंत भी झारखंड में शराबबंदी की वकालत करते आए हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में शराब पर पाबंदी लगाएंगे.
झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हेमंत सोरेन राज्य के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं. उनके पिता राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन हैं. हेमंत सोरेन सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं में शुमार हैं. हेमंत सोरेन अपने पिता की तरह राज्य में आदिवासी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है.