बिरसा जू में शेर-बाघ और तेंदुओं की ठाठ है और ठंड में उनका विशेष ख्याल रखा जा रहा है
रांची. झारखंड की राजधानी रांची में गिरते पारा के बीच बिरसा जैविक उद्यान में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. बिरसा जू में रहने वाले कुल 1526 जानवरों को ठंड से बचाने के हर संभव उपाय किए जा रहे हैं. कनकनी और ठंड के बीच बाघों को राहत और सुकून देने की कोशिश की जा रही है, खासकर जंगली जानवरों की सेहत का ख्याल रखा जा रहा है. बाघों को उनके बाड़े के बाहर में हीटर और ब्लोअर लगाये गये हैं. बिरसा जू में इस समय कुल 9 बाघ, चार शेर और 8 तेंदुए हैं. इनमें हर के बाड़े के बाहर शाम के बाद पूरे हिस्से को गर्म रखने की पुख्ता व्यवस्था की गयी है.
बिरसा जू के चिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश बताते हैं कि बाघ, शेर और तेंदुए समेत सभी जंगली जानवरों के भोजन का ठंड के दिनों में खास ख्याल रखा जाता है. दरअसल ठंड के दिनों में जंगली जानवरों की भूख और उनकी डायट भी बढ़ जाती है. आमतौर पर एक बाघ एक दिन में ठंड के दिनों में 10 किलो मांस खा जाते हैं. उन्हें दिन में एक ही बार कम्पलीट भोजन दिया जाता है.
बिरसा जू में बाघों के बाड़े की देखभाल करने वाले संजय कुमार बताते हैं कि ठंड के दिनों में बाघ, शेरों और तेंदुओं का खास ख्याल रखना पड़ता है. उन्हें नियमित रूप से भोजन में ही मिलाकर मल्टी विटामिन दी जाती है ताकि उनके शरीर में पोषण कम न हो और उनकी एक्टिविटी में किसी तरह की सुस्ती जाहिर न हो. चूंकि बिरसा जैविक उद्यान का पूरा वातवरण जंगल की तरह ही है, ऐसे में दिन के वक्त धूप में बाघों को पानी से खेलना पसंद हैं लिहाजा वो पानी से मस्ती भी करते नजर आते हैं.
ठंड के दिनों में उन्हें भूख खूब लगती है, ऐसे में उन्हें शाम के वक्त एक ही बार कंप्लीट भोजन दिया जाता है जिसमें एक वयस्क बाघ 10 किलो तक मांस खा जाते हैं, हालांकि दिन भर उन्हें दूध के साथ हल्का फूड दिया जाता है. गर्मी की रातों में जो बाघ जमीन पर सोना पसंद करते हैं ठंड में उसी बाघ को बिचाली की सुविधा दी जाती हैं ताकि उनके शरीर का तापमान मेंटेन रखा जा सके लिहाजा ठंड के दिनों में शाम होते ही पारा तेजी से गिरने लगता है.
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