कहते हैं कि वक्त के साथ रोजगार के तरीके न बदलेे जाएं तो इससे जुड़े लोगों के अस्तित्व पर ही खतरा हो जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी लोहरदगा जिले पठारी इलाके में देखने को मिल रहा है. संसाधनों के अभाव में यहां भेड़ पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों के सामने पेट पालने की मुसीबत खड़ी हो गई है.
लोहरदगा के पठारी क्षेत्र में रहने वाले किसानों की आय का मुख्य श्रोत पशुपालन है. छोटे छोटे पशुओं को पालकर उन्हें बेचना इनका मुख्य व्यवसाय है. जिले में ऐसे पशुपालक भी हैं, जिनके पास हजारों भेड़ हैंं, लेकिन उसकी उपयोगिता शून्य है.
ये किसान इन भेड़ों के बाल को काटकर यूंं ही बर्बाद कर देते हैंं. जिले में भेड़ खरीदने वाला एकाध प्रतिशत ही लोग हैंं. ऐसे में भेड़ पाल रहे किसानों के साथ जीवीकोपार्जन की समस्या उत्पन्न हो गई है.
बाप-दादा काल से इनके पास भेड़े हैंं. पहले इसकी उपयोगिता तो थी, लेकिन आज ये परेशान हैंं कि इन भेड़ों का ये क्या करेंं.
जिला प्रशासन के पास पशुपालकों के लिए कई योजनाएंं तो हैंं, लेकिन भेड़ पालकों के लिए कोई प्लान नहीं है. ऐसे में ये किसान क्या करेंं. इन भेड़ों को पाले या फिर यूंं ही छोड़ देंं. अब ये इनके समझ से परे है.
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Tags: Jharkhand news, Lohardaga news
FIRST PUBLISHED : December 11, 2016, 23:17 IST