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3 साल से सुनसान पड़ा है मॉडल थाना, इस वजह से पुलिसवाले जाने की हिम्मत नहीं करते

सारंडा जंगल में स्थित किरीबुरू थाने का मॉडल भवन

सारंडा जंगल में स्थित किरीबुरू थाने का मॉडल भवन

एसपी इंद्रजीत महथा का कहना है कि पानी की व्यवस्था किये बिना थाने को नये भवन में शिफ्ट नहीं किया जा सकता है. दो बार डीप ...अधिक पढ़ें

    चाईबासा. पश्चिमी सिंहभूम जिले के अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र सारंडा (Saranda) में आज भी किरीबुरू थाना (Kiriburu Police Station) सेल के क्वार्टर में चल रहा है. जबकि दो करोड़ की लागत से नया मॉडल भवन साढ़े तीन साल से बनकर तैयार है. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghuvar Das) ने 26 जून 2016 को इसका उद्घाटन किया था. लेकिन अबतक थाना नये भवन में शिफ्ट नहीं हो सका है. ऐसे में नया भवन खडंहर में बदलता जा रहा है. साथ ही यह असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बन गया है.

    नये भवन में पानी की व्यवस्था नहीं

    किरीबुरू थाने का नया भवन सारंडा जंगल में सुनसान पहाड़ी पर बना है. यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से ठीक नहीं है. साथ ही नये भवन में पानी की भी व्यवस्था नहीं है. दो बार डीप बोरिंग की कोशिश हुई, लेकिन सफलता नहीं मिली. इस वजह से थाने को शिफ्ट करने में परेशानी आ रही है.

    एसपी इंद्रजीत महथा का कहना है कि पानी की व्यवस्था किये बिना थाने को नये भवन में शिफ्ट नहीं किया जा सकता है. दो बार डीप बोरिंग की कोशिश हुई, लेकिन फेल साबित हुई. पानी के बिना पुलिसकर्मी वहां ड्यूटी नहीं कर सकते. हालांकि इसके लिए कोशिश जारी है.

    असामाजिक तत्वों का अड्डा बना मॉडल थानाभवन

    नये भवन में सौ पुलिसकर्मियों के रहने की व्यवस्था है. लेकिन अब यह खंडहर में बदलता जा रहा है. आसपास कोई आबादी नहीं है. ऐसे में यह असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. सारंडा जंगल को नक्सलियों का गढ़ माना जाता है. रघुवर सरकार ने नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए मॉडल थानाभवन को उनकी मांद में बनवाया था. लेकिन वह मकसद पूरा होता नहीं दिख रहा.

    इनपुट- उपेन्द्र गुप्ता

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    Tags: Chaibasa news, Jharkhand news, Naxal

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