पश्चिमी सिंहभूम में मनरेगा के तहत 4 हजार एकड़ में बागवानी कराने का फैसला लिया गया है.
चाईबासा. राज्य के निर्देश पर पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन ने चार हजार एकड़ जमीन पर मनरेगा (MNREGA) के तहत बागवानी कराने का फैसला लिया है. इसके लिए जिले के सभी 18 प्रखंडों में दो-दो सौ एकड़ जमीन चिन्हित किये जा रहे हैं. डीडीसी आदित्य रंजन ने इस बाबत सभी बीडीओ को जमीन तलाशी का आदेश दिया है. बागवानी के तहत केला, पपीता, कटहल, आम और अमरूद के पेड़ लगाये जाएंगे. इस काम में लॉकडाउन (Lockdown) में बाहर से प्रदेश लौटे मजदूरों को लगाया जाएगा.
जिले में हजारों एकड़ जमीन परती
डीडीसी आदित्य रंजन ने बताया कि कोरोना बंदी में जिले के मजदूरों के पास काम नहीं हैं. ऊपर से बड़ी संख्या में बाहर फंसे मजदूरों की भी घर वापसी जारी है. इनसभी को रोजगार देने के लिए सरकार के आदेश पर ये सब किया जा रहा है. मनरेगा के तहत बागवानी का काम सबसे अच्छा विकल्प है.
डीडीसी ने बताया कि जिले में आज भी हजारों एकड़ जमीन परती पड़ी हुई हैं, जिन पर किसी तरह की कोई खेती या बागवानी नहीं होती है. इन खाली जमीनों पर बागवानी कराकर बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है. उन्हें स्थायी रूप से स्वाबलंबी बनाया जा सकता है. ऐसे मजदूर जो काम की तलाश में बाहर जाते हैं, उन्हें अब अपने ही घर में काम मिलेगा.
लॉकडाउन-2 में ही मनरेगा के कामों को मिली छूट
बता दें कि लॉकडाउन-2 में ही झारखंड सरकार ने मनरेगा के काम को शुरू कराने की मंजूरी दे दी. राज्य में मनरेगा के तरह मजदूरों को संशोधित मजदूरी दी जा रही है. इन मजदूरों को कुएं की खोदाई, मेड़ बनाने, आम के बागीचे के रखरखाव व अन्य कार्यों में लगाया गया है.
झारखंड में 1.75 लाख नए मजदूरों को मिला रोजगार
)झारखंड के मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि पहली अप्रैल तक झारखंड में मनरेगा के तहत सिर्फ 200 मजदूरों को अस्थायी रोजगार दिया गया था. ऐसे मजदूरों की संख्या अब बढ़कर 1.75 लाख तक पहुंच गई है. इस योजना के तहत करीब 97 फीसदी रोजगार व्यक्तिगत लाभ की योजनाएं हैं. झारखंड में 32,000 गांव हैं. इन गांवों में मनरेगा के तहत 65,000 विभिन्न योजनाएं लांच की गई हैं.
इनपुट- उपेन्द्र गुप्ता
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