नई दिल्ली. Know Your Army Heroes: कारगिल युद्ध में मुंह की खाने के बावजूद पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा था. पाकिस्तानी सेना ने एक ऐसी ही नापाक हरकत 9 नवंबर 1999 को जम्मू और कश्मीर में भारत-पाक सीमा पर स्थित फौलाद पोस्ट पर की. पाकिस्तानी सेना ने सबसे पहले इस पोस्ट पर आर्टलरी फायरिंग शुरू की, जिसके बाद अत्याधुनिक हथियारों से लैस पाक सैनिकों ने हमला बोल दिया. उस वक्त, कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी के नेतृत्व में घातक कमांडो टीम को दुश्मनों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी.
कैप्टन गुरजिंदर और उनकी घातक टीम ने कुछ ही समय में रणभूमि को दुश्मनों के शवों से पाट दिया, जो दुश्मन सैनिक बचे, वे पीठ दिखाकर भागने को मजबूर हो गए. कैप्टन गुरजिंदर को पाकिस्तानी सेना की फितरत पता थी. वे जानते थे कि मुंह की खाने के बावजूद, वह पलटवार जरूर करेगा. लिहाजा, दुश्मन सेना के पलटवार से निपटने के लिए उन्होंने अपने साथियों को नई पोजीशन पर तैनात किया और दुश्मनों के बंकरों को खाली कराना शुरू कर दिया. इसी बीच, कैप्टन गुरजिंदर का एक साथी दुश्मन के पलटवार का शिकार हो गया.
कैप्टन गुरजिंदर को वह मशीन गन खोजने में देर नहीं लगी, जहां से निकली गोली ने उनके साथी को निशाना बनाया था. उन्होंने अपनी एके-47 राइफल से न केवल उस मशीनगन को खामोश कर दिया, बल्कि दो दुश्मनों को मौत की नींद सुला दिया. इसी बीच, दुश्मन ने राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड से कैप्टन गुरजिंदर पर हमला बोल दिया. इस हमले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए. गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने रण भूमि छोड़ने से इंकार कर दिया और अपनी आखिरी सांस तक दुश्मनों से लड़ते रहे. उन्होंने महज 25 वर्ष की उम्र में देश के लिए अपनी प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे दिया.
कैप्टन गुरजिंदर ने युद्ध भूमि में नकेवल असाधारण बहादुरी का परिचय दिया, बल्कि भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को निभाते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. उनके इस अभूतपूर्व बलिदान को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया. कैप्टन गुरजिंदर प्रतिष्ठित सेना आयुध कोर के पहले ऐसे अधिकारी हैं, जिन्हें यह गौरव प्राप्त हुआ है.
1997 में आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प में हुआ था कमीशन
आर्मी पब्लिक स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद कैप्टन गुरजिंदर सिंह का चयन जुलाई 1993 में नेशनल डिफेंस एकेडमी के लिए हुआ था. कैप्टन गुरजिंदर का सपना था कि वे भी अपने पिता की तरह सिख लाइट इंफ्रेंटी का हिस्सा बनें, लेकिन कुछ कारणों के चलते उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका. 7 जुलाई 1997 में कैप्टन गुरजिंदर को आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प के लिए कमीशंड किया गया. उल्लेखनीय है कि आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प की जिम्मेदारी भारतीय सेना को मटेरियल और लॉजिस्टिक सप्लाई की होती है.
फौजी परिवार में हुआ था कैप्टन गुरजिंदर का जन्म
कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी का जन्म हरियाणा के अंबाला शहर के एक फौजी परिवार में हुआ था. कैप्टन गुरजिंदर सिंह के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल टीपी सिंह सिख लाइट इंफ्रेंटी का हिस्सा थे और 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने जम्मू और कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तानी दुश्मनों के विरुद्ध वीरता की इबारत लिखी थी. वहीं, कैप्टन गुरजिंदर के दादा सूबेदार गुरबक्श सिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध के साथ-साथ 1947 के भारत पाक युद्ध और 1962 के भारत-चीन युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाई थी. कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी के छोटे भाई लेफ्टिनेंट कर्नल रणधीर सिंह भी भारतीय सेना के माध्यम से देश की सेवा में तत्पर हैं.
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