12 अगस्त 1947 को भारत में आजादी (Independence of India) की खुशियां मनने शुरू हो गईं थीं. माहौल में उत्साह और उमंग की सुगंध घुलने लगी थी. लोग जगह-जगह वंदेमातरम गा रहे थे. गतिविधियां बढ़ने लगी थीं. कश्मीर के महाराजा हरिसिंह (Maharaja of Kashmir Hari Singh) ने भारत और पाकिस्तान में से किसी भी देश में विलय नहीं करने का फैसला किया.
कश्मीर के महाराजा हरिसिंह पर एक ओर जिन्ना अगर डोर डाल रहे थे कि वो अगर पाकिस्तान में मिल जाएं तो कश्मीर को खास स्वायत्ता और अधिकार दिए जाएंगे तो दूसरी ओर भारत भी चाहता था कि कश्मीर का विलय भारत में हो.
दोनों ही पक्ष महाराजा को अपनी ओर करने की कोशिश में लगे थे. लेकिन महाराजा ने फैसला किया कि कश्मीर को अलग देश बनाकर रखेंगे. ना तो पाकिस्तान के साथ मिलेंगे और ना ही भारत में विलय पसंद करेंगे.
हालांकि महाराजा को एक साल बाद ही भारत में विलय करने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने पडे़. क्योंकि तब पाकिस्तान समर्थित कबायली सेना ने उस पर हमला बोल दिया था और कश्मीर को भारतीय सेनाओं की मदद लेनी पड़ी थी.

कश्मीर के महाराजा हरिसिंह
जिन्ना के अखबार के दिल्ली आफिस में आग
दिल्ली में जिन्ना के अखबार डॉन के आफिस में आग लग गई. ये आग उग्र भीड़ द्वारा लगाई गई. अखबार के संपादक अल्ताफ हुसैन का घर भी जला दिया गया. गौरतलब है कि डॉन का प्रकाशन पहले दिल्ली से ही होता था.
इसे दिल्ली में 1941 में साप्ताहिक अखबार के तौर पर जिन्ना ने शुरू किया था. बाद में ये दिल्ली में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग का आधिकारिक समाचार पत्र बन गया. पाकिस्तान बनने के बाद ये वहां चला गया, अब इसका मुख्यालय कराची में है.
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माल्दा पाकिस्तान में गया और कई दिन बाद लौट आया
माल्दा जिले को लेकर ये चर्चा जोरों पर थी कि ये भारत या पाकिस्तान में किसे मिलेगा. 12 अगस्त 1947 को इसका फैसला भी हो गया. हालांकि सर रेडक्लिफ ने इसको पहले पूर्वी पाकिस्तान को दे दिया था. आज ही के दिन रेडक्लिफ इस ओर दोनों देशों के बीच खींची जाने वाली विभाजन रेखा को अंतिम रूप देने वाले थे.
माल्दा को पाकिस्तान को देने पर बड़ा विवाद छिड़ गया. उसकी वजह शायद इसकी रणनीतिक तौर पर स्थिति भी थी. हालांकि इस जिले में मुस्लिम बाहुल्य था लेकिन इसे रेडक्लिफ ने बांटा और ज्यादा ज्यादा बड़ा हिस्सा, जिसमें माल्दा टाउन भी शामिल था, उसको पूर्वी पाकिस्तान में दे दिया गया. भारत ने इस पर कड़ा एतराज जताया.
माल्दा में पाकिस्तान का झंडा फहराया और फिर तिरंगा
हकीकत ये भी है कि भारत को आजादी मिलने के बाद यानि 15 अगस्त 1947 के 03-04 दिन बाद तक माल्दा का अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान के पास ही रहा. लेकिन फिर रेडक्लिफ ने इसमें संशोधन किया. यानि आजादी के बाद माल्दा में पहले पाकिस्तान का झंडा फहरा और फिर उसे उतार कर भारतीय तिरंगा लहराया.
माउंटबेटन का सुझाव था कि जो राज्य या प्रिंसले रियासत जिस देश की सीमा से लग रहे हों, उन्हें उसी ओर विलय करना चाहिए. इसलिए नादिया जिले का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया गया.
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दिल्ली में दो बार बैठक टालनी पड़ी
सीमा आयोग की रिपोर्ट में देरी के कारण माउंटबेटेन को दिल्ली में होने वाली बैठक दो बार स्थगित करनी पड़ी. देर रात रेडक्लिफ ने पंजाब और बंगाल सीमा आयोग की रिपोर्ट वायसराय को भिजवा दी. मद्रास औऱ उदयपुर रियासतों ने भारत में शामिल होने की बात कही.

कलकत्ता में जबरदस्त दंगों के बीच जब गांधीजी वहां पहुंचे तो शहर को जलता हुआ पाया. हालांकि गांधीजी की मौजूदगी ने कलकत्ता के लिए जीवनदान का काम किया
सुहारवर्दी ने गांधीजी ने कलकत्ता में ही रुकने को कहा
गांधी जी ने कलकत्ता में ही रुकने का ऐलान किया.खून, हिंसा, अविश्वास में नहाए कलकत्ता का रंग गांधीजी के रहने के कारण बदलने लगा था. उनका साथ कोई और नहीं वो सुहारवर्दी दे रहे थे, जो इस हिंसा के जनक भी थे. जिन्होंने दिसंबर में जिन्ना के डायरेक्टर एक्शन डे पर इस शहर में आतंक पैदा कर दिया दो दिन पहले ही सुहारवर्दी कराची में पाकिस्तान बनने के समारोहों में शिरकत कर रहा था, वो पाकिस्तान संविधान सभा की बैठक में भी शामिल हुआ था.
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अब वो कलकत्ता में शांति स्थापना में गांधीजी की पूरी मदद कर रहा था. उनके साथ लगा हुआ था. जब कराची में उसे कलकत्ता की स्थिति की जानकारी हुई तो वो फ्लाइट से कराची से दिल्ली आया और फिर वहां से ट्रेन से कलकत्ता.
गांधीजी ने एकबारगी सुहारवर्दी की अपील पर कलकत्ता में अपने प्रवास को बढ़ाने से इनकार कर दिया था लेकिन जब उसके साथ आई मुस्लिमों की भीड़ ने बार-बार प्रार्थना की तो गांधीजी को नोआखाली जाने की बात को आगे बढ़ाने पर विचार करना पड़ा. बदले में गांधीजी ने उनसे और मुस्लिम लीग के अन्य नेताओं से वादा लिया कि वो भी सुनिश्चित करें नोआखाली में अब कोई हिंसा नहीं होगी. ये तुरंत रुक जाएगी.
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Tags: Freedom fighters, Independence day, Independence day of India, Jammu and kashmir, Mahatma gandhi
FIRST PUBLISHED : August 12, 2020, 13:30 IST