देश के चार राज्यों में इस चुनाव (Election) का मौसम है. इस मौसम से पूरा देश प्रभावित है. राजनीतिक दल मतदाताओं के लुभाने के लिए कई तरह उपाय अपना रहे हैं. चुनावों में लहरों का अपना प्रभाव, कभी सत्ता विरोधी लहर हावी हो जाती है तो कभी किसी नेता की लहर होती है. लेकिन आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh) के पूर्व मुख्य मंत्री एनटी रामाराव (NT Rama Rao) के सामने इंदिरा गांधी की मौत के बाद जन्मी सहानुभूति की लहर भी टिक नहीं पाई थी. उस समय इस तेलुगु सुपरस्टार की लोकप्रियता जितनी भी पॉलिटीशयन एनटीआर की लोकप्रियता थी आज एनटीआर की 26वीं पुण्यतिथि है.
एक्टिंग के लिए सबकुछ
नन्दमूरि तारक रामाराव या एनटी रामाराव या एनटीआर का जन्म 28 मई 1923 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के गुडिवादा तालुका के निम्माकुरू गांव में हुआ था. उन्हें उनके मामा ने गोद लिया था. उनमें एक्टिंग करने के बहुत जुनून था. एक्टिंग को करिअर बनाने के लिए उन्होंने तीन हफ्ते की रजिस्ट्रार की शानदार नौकरी छोड़ दी थी. शुरुआती फिल्मों में एनटीआर ने धार्मिक चरित्र किए जिसमें उन्हें बहुत ज्यादा लोकप्रियता मिली.
एक संवेदनशील व्यक्तित्व
यह कहना गलत नहीं होगा कि एनटीआर काम के प्रति अति लगनशील होने पर भी भावनात्मक रूप से अधिक संवेदनशील थे. फिल्मों में पौराणिक किरदार निभाने से ऊब जाने पर उन्होंने युवा नायक का किरदार निभाना शुरू किया तो उसमें भी सफल रहे. कहा जाता है कि एक बार उन्हें एक राजनेता की वजह से अपमान सहना पड़ा था जिसकी वजह से उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया.
प्रदेश के 10वें मुख्यमंत्री
29 मार्च 1982 को एनटी रामाराव ने तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की. आंध्रप्रदेश में उस समय लोग सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के भ्रष्ट शासन से बहुत तंग आ चुके थे. रामाराव को राजनीति में आते ही सफलता मिल गई. उनकी पार्टी को 294 में 202 सीटें मिली और राव प्रदेश के 10वें पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने.
सफलता के बाद भी संघर्ष
1983 के चुनाव में भारी सफलतापर लोगों को लगा कांग्रेस की सत्ताविरोधी लहर के कारण एनटीआर को सफलता मिली. लेकिन इसमें एनटीआर का विशेष प्रचार भी एक बड़ी वजह था. लेकिन राव को 15 अगस्त 1984 को तत्कालीन गर्वरन ठाकुर राम लाल ने मुख्यमंत्री पद से हटा दिया तब कांग्रेस से टीडीपी में गए भास्कर राव को मुख्य मंत्री बनाया गया जिनका दावा था कि उन्हें टीडीपी विधायकों का बहुमत हासिल है जबकि ऐसा बिलकुल नहीं था. राव ने अपना समर्थन राज्यपाल को दिखाया और सत्ता वापसी भी की.
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इंदिरा लहर ना रोक पाई
31 अक्टूबर 1984 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई और उसके बाद जब देश में आम चुनाव हुए तो देश भर में उनके पुत्र राजीव गांधी और कांग्रेस के प्रति सहानुभूति की लहर चली. लेकन इस लहर का असर आंध्र प्रदेश में नहीं दिखा और एनटीआर की लोकप्रियता के आगे लहर नहीं चली और तेलुगु देशम पार्टी को प्रदेश में भारी सफलता मिली.
राष्ट्रीय नेता के रूप में
इसका नतीजा यह हुआ कि तेलुगु देशम पार्टी लोक सभा कांग्रेस के बाद दूसरी ऐसी पार्टी बनी जिसके सबसे ज्यादा सदस्य थे इस तरह राव की पार्टी पहली ऐसी पार्टी बनी जिसे लोक सभा में विपक्षी दल बनने का गौरव हासिल हुआ. इसने एनटीआर को एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित कर दिया.
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लेकिन एनटी रामाराव की राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री 1989 के बाद हुई जब उनकी पार्टी को विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का शिकार होना पड़ा. कई विश्लेषक मानते हैं कि इसकी वजह राव की बीमारी थी जिसकी वजह से वे खुद प्रचार नहीं कर सके थे. लेकिन इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में आने का मौका मिला लेकिन उन्होंने आंध्रप्रदेश में विरोधी दल का नेता बने रहना पसंद किया. इसके बात 1994 के विधानसभा जीत कर वे फिर से मुख्यमंत्री बने, लेकिन 19 जनवरी 1996 को उनका हृदयाघात से निधन हो गया.
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