चीन ने लॉन्च किया दुनिया का पहला 6जी सैटेलाइट, हो सकता है बड़ा उलटफेर

चीन ने स्पेस में अपना 6G सैटेलाइट लॉन्च कर दिया- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
6G सैटेलाइट का सफल होना चीन (6G satellite by China) को मजबूत देशों की लिस्ट में काफी आगे खड़ा कर सकता है. ये सुपर पावर के खेल में भी बड़ा बदलाव लाएगा.
- News18Hindi
- Last Updated: November 28, 2020, 8:20 AM IST
इस समय, जबकि बहुत से देशों में 5G तकनीक के लिए ढंग के ब्रॉडबैंड नेटवर्क नहीं हैं, ऐसे में चीन ने अपना स्पेस में अपना 6G सैटेलाइट लॉन्च कर दिया. तियानयान-5 नाम से इस उपग्रह (Tianyan-5 satellite) को 12 दूसरे उपग्रहों के साथ इसी महीने की शुरुआत में लॉन्च किया गया. माना जा रहा है कि चीन का ये कदम दुनिया में क्रांति ला देगा, साथ ही सुपर पावर गेम में भी बड़ी उलटफेर हो सकती है.
तियानयान-5 को चेंगदू गुओक्सिंग एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी और बीजिंग मिनोस्पेस टेक्नोलॉजी ने मिलकर बनाया. इसका वजन लगभग 70 किलोग्राम है. फिलहाल प्रायोगिक स्तर पर बनाया गया ये सैटेलाइट अंतरिक्ष में टेट्राहर्ट्स तरंगों का परीक्षण करेगा.
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माना जा रहा है कि इस सैटेलाइट की मदद से चीन अपने जंगलों में आग पर नजर रखेगा ताकि किसी तरह का नुकसान न हो. बता दें कि हर साल दुनियाभर के देशों में गर्मियों के मौसम या दुर्घटनावश आग लगती रही है, जिससे काफी नुकसान होता है. मिडिल ईस्ट के कई देशों ने तो इस नुकसान की भरपाई के जनता पर बड़े टैक्स लगाने तक की कोशिश की थी. जंगलों की निगरानी के अलावा सैटेलाइट फसलों पर किसी आपदा पर भी नजर रखेगा, जैसे टिड्डियों का हमला. ये समय से पहले सचेत कर देगा ताकि फसलों का नुकसान न हो.
वैसे 6G सैटेलाइट लॉन्च तो हुआ है लेकिन फिलहाल ये प्रायोगिक स्तर पर ही काम करेगा. अगर से सफल रहा तो माना जा रहा है कि मौजूदा स्ट्रीमिंग की गति 100 गुना तक बढ़ सकती है, यानी पलक झपकते ही कोई भी सर्च हो सकेगा. ये 5जी तकनीक से काफी ज्यादा तेज होगा.
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इसके लिए जिस टेराहर्ट्ज तरंग का इस्तेमाल ये सैटेलाइट करेगा, अब एक बार उसे भी समझते हैं. टेराहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी उच्च- आवृति विकिरण है, जो डाटा के सफर की गति 100 गीगाबाइट्स प्रति सेकंड से भी ज्यादा कर देती है. ये 5जी की तुलना में सौ गुना ज्यादा तेज हो सकता है. अगर अंतरिक्ष में ये प्रयोग सफल रहा तो ये तकनीक चीन के भीतर भी इस्तेमाल होने लगेगी.

बता दें कि चीन ने साल 2019 में अपने यहां 5G नेटवर्क आने के साथ ही साथ आगे के लिए काम शुरू कर दिया था. इसके लिए चीन के प्रौद्योगिकी ब्यूरो ने संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संस्थानों और निगमों के 37 दूरसंचार विशेषज्ञों के एक पैनल का गठन किया था. ये पैनल तब से ही लगातार इसपर काम कर रहा था, जिसके नतीजे अब दिखे हैं.
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अगर ये तकनीक काम कर गई तो चीन के लिए ये काफी बड़ी उपलब्धि होगी. जंगलों और खेतों पर निगरानी रखने पर देश की उत्पादकता कई गुना बढ़ जाएगी. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से बताया गया है.
चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार चाइना डेली का कहना है कि निकट भविष्य में चीन का ये 6जी सैटेलाइट कई वैश्विक मुद्दों पर काम करेगा. जैसे जंगलों में आग जैसी दुर्घटनाएं हर साल के साथ बढ़ती जा रही हैं. इससे केवल पर्यावरण का ही नहीं, बल्कि इंसानों का भी नुकसान हो रहा है. जंगलों की आग से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है, जिससे हालात और बिगड़ते हैं. इस 6जी जांच का एक मकसद रिअल-टाइम में पर्यावरण में हो रहे बदलाव को देखना भी है.

चीन के 6जी पर प्रयोग के बीच बता दें कि 5जी तक अभी दुनिया के कुछ ही देशों तक सिमटा हुआ है. इसका उपयोग कर दुनिया में केवल 82 वाणिज्यिक नेटवर्क कर रहे हैं, वे भी चीन के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में स्थित हैं. फिलहाल तक 5जी के कई नुकसान भी गिनाए जा रहे हैं, जिसमें बिजली की ज्यादा खपत के अलावा ये भी है कि इसका उपयोग करने वाले उपकरणों की बैटरी जल्दी खराब हो सकती है.
5जी नेटवर्क के साथ कई कंस्पिरेसी थ्योरीज भी जुड़ी हुई हैं. जैसे कोरोना संक्रमण फैलने के बाद अप्रैल-मई में ब्रिटेन के कई हिस्सों में 5जी नेटवर्क के लिए की जा रही तैयारी को लोगों ने नुकसान पहुंचाया. उनका कहना था कि इस नेटवर्क के कारण ये बीमारी और तेजी से फैल रही है.
तियानयान-5 को चेंगदू गुओक्सिंग एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी और बीजिंग मिनोस्पेस टेक्नोलॉजी ने मिलकर बनाया. इसका वजन लगभग 70 किलोग्राम है. फिलहाल प्रायोगिक स्तर पर बनाया गया ये सैटेलाइट अंतरिक्ष में टेट्राहर्ट्स तरंगों का परीक्षण करेगा.
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माना जा रहा है कि इस सैटेलाइट की मदद से चीन अपने जंगलों में आग पर नजर रखेगा ताकि किसी तरह का नुकसान न हो. बता दें कि हर साल दुनियाभर के देशों में गर्मियों के मौसम या दुर्घटनावश आग लगती रही है, जिससे काफी नुकसान होता है. मिडिल ईस्ट के कई देशों ने तो इस नुकसान की भरपाई के जनता पर बड़े टैक्स लगाने तक की कोशिश की थी. जंगलों की निगरानी के अलावा सैटेलाइट फसलों पर किसी आपदा पर भी नजर रखेगा, जैसे टिड्डियों का हमला. ये समय से पहले सचेत कर देगा ताकि फसलों का नुकसान न हो.

सैटेलाइट की मदद से चीन अपने जंगलों में आग पर नजर रखेगा- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
वैसे 6G सैटेलाइट लॉन्च तो हुआ है लेकिन फिलहाल ये प्रायोगिक स्तर पर ही काम करेगा. अगर से सफल रहा तो माना जा रहा है कि मौजूदा स्ट्रीमिंग की गति 100 गुना तक बढ़ सकती है, यानी पलक झपकते ही कोई भी सर्च हो सकेगा. ये 5जी तकनीक से काफी ज्यादा तेज होगा.
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इसके लिए जिस टेराहर्ट्ज तरंग का इस्तेमाल ये सैटेलाइट करेगा, अब एक बार उसे भी समझते हैं. टेराहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी उच्च- आवृति विकिरण है, जो डाटा के सफर की गति 100 गीगाबाइट्स प्रति सेकंड से भी ज्यादा कर देती है. ये 5जी की तुलना में सौ गुना ज्यादा तेज हो सकता है. अगर अंतरिक्ष में ये प्रयोग सफल रहा तो ये तकनीक चीन के भीतर भी इस्तेमाल होने लगेगी.

तकनीक काम कर गई तो चीन के लिए ये काफी बड़ी उपलब्धि होगी- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
बता दें कि चीन ने साल 2019 में अपने यहां 5G नेटवर्क आने के साथ ही साथ आगे के लिए काम शुरू कर दिया था. इसके लिए चीन के प्रौद्योगिकी ब्यूरो ने संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संस्थानों और निगमों के 37 दूरसंचार विशेषज्ञों के एक पैनल का गठन किया था. ये पैनल तब से ही लगातार इसपर काम कर रहा था, जिसके नतीजे अब दिखे हैं.
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अगर ये तकनीक काम कर गई तो चीन के लिए ये काफी बड़ी उपलब्धि होगी. जंगलों और खेतों पर निगरानी रखने पर देश की उत्पादकता कई गुना बढ़ जाएगी. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से बताया गया है.
चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार चाइना डेली का कहना है कि निकट भविष्य में चीन का ये 6जी सैटेलाइट कई वैश्विक मुद्दों पर काम करेगा. जैसे जंगलों में आग जैसी दुर्घटनाएं हर साल के साथ बढ़ती जा रही हैं. इससे केवल पर्यावरण का ही नहीं, बल्कि इंसानों का भी नुकसान हो रहा है. जंगलों की आग से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड निकलती है, जिससे हालात और बिगड़ते हैं. इस 6जी जांच का एक मकसद रिअल-टाइम में पर्यावरण में हो रहे बदलाव को देखना भी है.

चीन ने साल 2019 में 5G नेटवर्क आने के साथ ही साथ आगे के लिए काम शुरू कर दिया था- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
चीन के 6जी पर प्रयोग के बीच बता दें कि 5जी तक अभी दुनिया के कुछ ही देशों तक सिमटा हुआ है. इसका उपयोग कर दुनिया में केवल 82 वाणिज्यिक नेटवर्क कर रहे हैं, वे भी चीन के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में स्थित हैं. फिलहाल तक 5जी के कई नुकसान भी गिनाए जा रहे हैं, जिसमें बिजली की ज्यादा खपत के अलावा ये भी है कि इसका उपयोग करने वाले उपकरणों की बैटरी जल्दी खराब हो सकती है.
5जी नेटवर्क के साथ कई कंस्पिरेसी थ्योरीज भी जुड़ी हुई हैं. जैसे कोरोना संक्रमण फैलने के बाद अप्रैल-मई में ब्रिटेन के कई हिस्सों में 5जी नेटवर्क के लिए की जा रही तैयारी को लोगों ने नुकसान पहुंचाया. उनका कहना था कि इस नेटवर्क के कारण ये बीमारी और तेजी से फैल रही है.