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रोम-यूनान में ऐसे थे स्त्री-पुरुष के शारीरिक संबंध, बेवफाई पर नहीं थी सजा

हालांकि हर धर्म में थी व्यभिचार में कड़ी सजा की व्यवस्था लेकिन अक्सर पुरुष रहते थे फायदे में

    सुप्रीम कोर्ट में एडल्टरी पर चर्चा जारी है. अगर हम प्राचीन काल की बात करें अलग-अलग देशों और धर्मोंं में एडल्टरी को अलग-अलग तरीके देखा गया है. प्राचीन यूनान और रोम में पुरुषों और महिलाओं के शारीरिक संबंधों पर कोई पाबंदी नहीं थी. वो संबंध बनाने में उन्मुक्त थे. विवाह संस्था उन दिनों वहां बहुत कमजोर थी.

    ये बात भी है कि प्राचीन समय में धर्मों और समाजों ने विवाह के परे शारीरिक संबंधों यानि एडल्टरी को लेकर अलग व्यवस्थाएं दी हुई थीं. मौजूदा दौर में एडल्टरी को धार्मिक कानूनों में अलग तरह से ट्रीट किया गया है. एडल्टरी का सीधा मतलब ये है कि जब कोई विवाहित पुरुष या महिला शादी के परे जाकर किसी अन्य पुरुष या महिला से शारीरिक संबंध बनाता तो ये एडल्टरी यानि व्याभिचार की श्रेणी में आता है.

    यहूदियों में क्या थे बेवफाई पर कानून
    प्राचीन समय में यहूदियों में पुरुषों की बेवफाई अपराध नहीं मानी जाती थी. अगर कोई महिला ऐसा करती थी तो उसे गुनहगार माना जाता था. प्राचीन यहूदीवाद में धार्मिक कानून कहते थे कि शादी के समय लड़की वर्जिन होगी और कभी भटकेगी नहीं जबकि पुरुषों पर दूसरे पुरुषों की बीवियों से अफेयर करना मना था. लेकिन धीरे धीरे ये नियम पुरुषों के लिए शिथिल होते गए. हालांकि नए कानूनों ने दोनों को समान धरातल पर ला दिया है. एडल्टरी के मामले में यहूदी दंपति आपसी सहमति से विवाह को खत्म कर सकते हैं. दोनों के लिए नैतिकता के पैमाने एक जैसे हैं.

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    प्राचीन यूनान और रोम
    प्राचीन यूनान और रोम में पुरुष अपनी सेक्स भूख और सेक्स अतिरेक के कारण जाने जाते थे. उन दिनों वहां विवाह संस्था कमजोर थी. एक पुरुष के कई उपपत्नियां और रखैलें होती थीं. मोटेतौर पर रोम उन दिनों बड़े व्याभिचारी समाज में तब्दील हो गया था. पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एडल्टरी बहुत मुक्त और आम बात थी.

    यूनान और रोम में एक जमाने में व्यभिचार की बढ़ती घटनाओं ने अवैध संतानों की संख्या में बेतहाशा बढोतरी कर दी थी


    ईसाइयत का शुरुआती दौर
    11वीं सदी तक पुजारियों के लिए ब्रह्मचर्य अनिवार्य नहीं था. शुरुआती ईसाई धार्मिक नेताओं ने यहूदियों की सख्त सेक्शुअल संहिता को लागू किया. ब्रह्मचर्य को आदर्श मानना शुरू हुआ. व्यभिचार को पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए पाप कर्म माना जाने लगा.

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    मोरमोन बहुविवाह को मानते हैं
    मौजूदा दौर में पश्चिमी देशों में धार्मिक तौर पर एडल्टरी को पापकर्म या गुनाह की तरह देखा जाता है. वैसे वहां बहुत से वर्ग हैं, जहां बहुविवाह प्रथा जारी है और कई पत्नियां रखी जाती हैं. ईसाइयों की ही एक मोरमोन कम्युनिटी है जहां एक व्यक्ति को कई बीवियां रखने या कई शादियां करने की अनुमति है. उनके अपने अलग चर्च हैं. अफ्रीका और हिमालय में कई ऐसे कबीले और वर्ग हैं, जहां महिलाएं कई पुरुष रखती हैं.

    ईसाई धर्म और कुरान में एडल्टरी में कड़ी सजा की बात कही गई है


    कुरान में सौ कोड़ों की सजा का प्रावधान
    कुरान में एडल्टरी पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए गुनाह मानी गई है. जिसके लिए सौ कोड़े की सजा है. कुरान में स्पष्ट कहा गया है कि व्यभिचार के किसी भी दोषी की सजा सौ कोड़े है, चाहे वो विवाहित हो या अविवाहित, पुरुष हो या महिला.

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    बाइबल क्या कहती है
    बाइबल में कहा गया है कि अगर कोई व्यभिचार करता है तो उसकी सजा मौत होनी चाहिए चाहे वो पुरुष हो फिर महिला.
    "अगर कोई पुरुष अपने पड़ोसी की बीवी के साथ व्यभिचार करता है तो दोनों को पक्के तौर पर मौत की सजा दे देनी चाहिए" (लेविटकस 20ः10, ड्यूटेरोमोनी 22ः22). "तुम व्यभिचार नहीं करोगे" (एक्सोदस 20ः14)

    प्राचीन चीन का अजीब कानून
    प्राचीन चीनी कानूनों के अनुसार अगर कोई पत्नी अपने पति को चीटिंग करते हुए रंगे हाथों पकड़ लेती थी तो वो कानूनी तौर पर उसकी हत्या भी कर सकती थी लेकिन ये हत्या वो केवल अपने हाथों से कर सकती थी. कोई हथियार इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी.

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    प्राचीन भारत
    भारत की पौराणिक कथाओं में अवैध संबंधों के किस्से खूब मिल जाएंगे. हालांकि हिंदू धर्म परा वैवाहिक संबंधों की इजाजत नहीं देता. शादी एक पवित्र रिश्ता समझा जाता है. लेकिन प्राचीन भारत में एक पुरुष कई शादियां कर सकता था. समय के साथ ये परंपरा खत्म हो गई.

    स्काटलैंड का रिवाज
    स्काटलैंड में 1939 तक अगर कोई पुरुष किसी महिला के साथ सो लेता था तो उसे महिला की इच्छा पर उससे शादी करनी ही पड़ती थी. ये पुरुष के लिए बाध्यता होती थी.

    प्राचीन दुनिया के कई देशों में व्यभिचार लेकर बनाने गए कानून काफी अजीबोगरीब भी थे


    देखने पर भी जेल की सजा
    कुवैत में प्राचीन कानून भी था कि अगर कोई पुरुष किसी महिला की ओर सेंसुअली देख रहा है तो उसे जेल की सजा भी हो सकती है. यही नहीं वो किसी मादा जानवर की ओर भी कामुक तरीके से नहीं देख सकता था.

    हिंदू लॉ क्या कहता है
    हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 13(1) (आई) के अनुसार, कोई भी विवाह विच्छेद हो सकता है. ये तलाक का आधार बन सकता है. पहले एडल्टरी का अकेला कृत्य भी जूडिशियल अलगाव की आधार बन सकता था. लेकिन इसे 1976 में संशोधित कर दिया गया. हाईकोर्ट एडवोकेट ऋषि कपूर कहते हैं कि सेक्शन 12 के तहत एडल्टरी कानून ये कहता है कि आप तलाक के हकदार है. बशर्ते इसके साक्ष्य पेश कर सकें. इसका आपराधिक मामला अलग चलता है.

    1955 में जब हिंदू मैरिज एक्ट बना, उससे पहले हिंदू शादी में तलाक का कोई प्रावधान नहीं था। लेकिन जब कानून बनाया गया तो तलाक के लिए तमाम आधार दिए गए जिसके तहत हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-13 में तलाक के कई ग्राउंड दिए गए हैं। इसके तहत एडल्टरी, प्रताड़ना जिसमें मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना शामिल है, तलाक का आधार हो सकता है।

    मुस्लिम पर्सनल लॉ क्या कहता है
    मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत कोई ऐसा नियम नहीं है, जिससे एडल्टरी को ग्राउंड बनाकर तलाक लिया जा सके. सेक्शन 2 (8) (बी) का मुस्लिम मैरिज एक्ट कहता है कि अगर कोई पुरुष किसी गलत छवि वाली महिला के साथ शादीशुदा हो और जिंदगी कलहपूर्ण हो तो ये बीवी के खिलाफ क्रूरता का मामला बनता है और वो उस पर मुकदमा कर सकता है. इसे एडल्टरी के बराबर ही ठहराया गया है. इस मामले में क्रूरता का मतलब मानसिक क्रूरता है ना कि शारीरिक क्रूरता.

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में व्यवस्था दी थी कि एडल्टरी के मामलों में केवल स्त्री दोषी नहीं होती. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक और मामले में कहा अगर एक पुरुष खुद एडल्टरी करता है और अपनी बीवी पर इसका अभियोग चलाता है तो क्रूरता के बिना पर तलाक का पर्याप्त आधार बनता है. हालांकि न्यायिक अलगाव इस्लाम के सिद्धांतों में नहीं है.

    ईसाई कानून में एडल्टरी की वही व्याख्या है तो आमतौर पर स्वीकार्य है. पारसी लॉ में सेक्शन 32 (डी) के तहत विवाहित दंपति में एडल्टरी की सूरत में एक दूसरे पर मुकदमे का अधिकार है. इसमें एडल्टरी की व्याख्या वही है, जो सामान्य तौर पर मानी जाती है.

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