अफगानिस्तान (Afghanistan) में अफीम की खेती (Poppy Cultivation) लंबे समय से से एक बड़ा मुद्दा रहा है. जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के कई देश इस खेती पर प्रतिबंध लगता देखना चाहते हैं. अफीम के अवैध व्यापार (Opium Illegal Trade) के कारण अफगानिस्तान में अफीम की खेती हमेशा ही मुनाफे का सौदा रहा है. पिछले महीने ही तालिबान ने बड़े जोर शोर से अफीम की खेती पर पाबंदी का सख्त ऐलान किया था. लेकिन अफगानिस्तान से खबरें आ रही हैं कि पाबंदियों के बाद भी किसान वहां अफीम की खेती करना ही पसंद कर रहे हैं. इतना ही नहीं अमेरिका को भी ऐसे संकेत मिले हैं अफीम के अवैध व्यापार में भी खासी तेजी आई हुई है.
अफीम के ड्रग व्यापार में भी तेजी
पिछले सप्ताह ही एक अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में बताया है कि तालिबान के अफीम की खेती पर पाबंदियों के ऐलान के बाद भी अफगानिस्तान का सबसे तेजी से बढ़ता ड्रग उद्योग रेगिस्तान से काम कर रहा है. अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक देश है. दुनिया की 90 प्रतिशत हेरोइन अफगानिस्तान में पैदा हुई अफीम से बनती हैं.
मेथ दवा के उद्योग में तेजी
वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक मेथ श्रेणी की दवाओं का उद्योग रिकॉर्ड गति से बढ़ता ही जा रहा है और वैश्विक स्तर पर भी मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में इस उद्योग में अफगानिस्तान के प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने का खतरा बढ़ गया है. पिछले छह साल में सैकड़ों मैथ प्रयोगशाला खुल गई हैं जिसमें अफीम से मेथ दवाओं को बनाया जाता है.
भारत में भी भारी मात्रा में हेरोइन
हाल में अफीम और उससे संबंधित पदार्थ भारत में भी पकड़े गए हैं. भारत में हेरोइन बड़ी तादाद में पकड़ी गई है और जांच में पाया गया कि यह अफगानिस्तान के रास्ते भारत में आई थी. जब अफागनिस्तान में तालिबान ने अफीम की खेती पर प्रतिबंध लगाया था, तभी कई विशेषज्ञों ने संदेह जताते हुए कहा था कि इस पाबंदी को लागू करना मुश्किल होगा.
नहीं छोड़ी अफीम की खेती
जब तालिबान ने पाबंदी लगाई थी. उससे पहले ही बहुत से किसानों ने अपने अपने खेतों में अफीम बो दी थी. इतना हीं तालिबान के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहे अफगानिस्तान भारी महंगाई का सामना कर रहा है. इसलिए बहुत सारे किसानों ने परंपरागत और अन्य खेती को छोड़ कर मुनाफे वाली अफीम की खेती का चुनाव कर लिया और वे अब भी अपने फैसले पर कायम हैं. यानि वे इस खेती को नहीं छोड़ेंगे.
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मुनाफा और किसानों की चाहत
अफीम की खेती में मुनाफे का आलम यह है कि उत्तरी अफागनिस्तान के किसानों दूसरी फसलों की तुलना अफीम की खेती में चार गुना फायदा मिलता है. अफगानिस्तान में अस्थिरता ने अवैध खेती को और ज्यादा बढ़ावा दे दिया है. तालिबान ने जब पाबंदी लगाई थी तब हजारों एकड़ में अफीम बोई जा चुकी थी. ऐसे में जहां बुआई हो चुकी थी, उन जमीनों के किसानों को छूट मिल गई, इस तरह से पाबंदी भी एक तरह से बेअसर ही रह गई.
अगले सीजन में मौका नहीं
दूसरी तरफ किसान भी मुनाफे के चक्कर में अफीम की खेती करना चाहते हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट में एक किसान ने साफ कहा कि कई गुना फायदे की वजह से किसान अफीम की खेती करना चाहते हैं. इसके अलावा संभावना यह भी जताई जा रही है कि अगले मौसम में किसी भी अफीम की खेती करने नहीं दी जाएगी.
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बहुत से लोगों का मानना है कि अमेरिका और अन्य देशों की पाबंदियों के चलते अफगानिस्तान के पास अफीम की खेती के अलावा पैसा कमाने का और कोई विकल्प नहीं रह गया. वहीं तालिबान अंतरराष्ट्रीय सहयोग पाने के लिए अफीम की खेती पर पाबंदियां भी लगाना चाहता है. ऐसा कुछ अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट भी कह रही है.
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