भारत ने मिसाइल तकनीक में बड़ी छलांग लगाते हुए एक और सफल परीक्षण किया. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की बनाई हुई अग्नि प्राइम मिसाइल (Agni Prime missile) को अपने श्रेणी की आधुनिकतम मिसाइल माना जा रहा है, जो लगभग 1500 किलोमीटर तक वार करती है. इस मारक मिसाइल के कंपोजिट मटेरियल (composite material) से बना होने की बात कही जा रही है, जो अपने साथ परमाणु हथियार (nuclear weapon) तक ले जा सकती है.
क्या है कंपोजिट मटेरियल
ये दो ऐसे पदार्थों का मिश्रण है, जिनके भौतिक और रासायनिक गुण तक अलग-अलग होते हैं. जब इन मटेरियल्स को मिलाया जाता है तो एक नया पदार्थ बनता है. ये अलग तरह से काम करता है. साथ ही इसके गुण बदल जाते हैं, जैसे ये ज्यादा हल्का हो जाता है, ज्यादा मजबूत होता है या फिर बिजली का इसपर कोई असर नहीं होता.
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इन्हीं खासियतों के कारण पारंपरिक पदार्थों की बजाए कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल बढ़ा है. ये मूल तत्व से ज्यादा मजबूत होता है और कई अलग-अलग स्थितियों में काम आ पाता है. साथ ही इसकी कीमत भी कम होती है.

प्राचीन समय में ईंटे, पॉटरी और बोट बनाने के लिए ये तकनीक काम में आती थी- सांकेतिक फोटो (pixnio)
क्या है इसका इतिहास
ये आज के समय की देन नहीं, बल्कि हजारों साल पहले से इसके उपयोग की बात होती रही. जैसे सबसे पहले 3400 ईसा पूर्व इराक में कंपोजिट मटेरियल बनाया गया. तब लोग प्लाईवुड बनाने के लिए लकड़ियों की पट्टियों को एक-दूसरे पर चिपकाया करते थे. आगे चलकर 2181 ईसा पूर्व डेथ मास्क के लिए ये तकनीक काम आई. अपराधियों को सजा देते हुए जो मास्क पहनाया जाता था, वो प्लास्टर में लिनेन को डुबोकर तैयार किया जाता. ये तकनीक इजिप्ट में खोजी गई. इसके बाद से कंपोजिट मटेरियल चलन में आ गया. तब ईंटे, पॉटरी और बोट बनाने के लिए ये तकनीक काम में आती थी.
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आधुनिक समय में कंपोजिट मटेरियल का उपयोग बढ़ता ही चला गया
साल 1961 में पहला कार्बन फाइबर पेटेंट हुआ. नब्बे के दशक में कंस्ट्रक्शन बिजनेस में ये पदार्थ आम होता चला गया. ये ज्यादा मजबूत भी होता और किफायती भी. साल 2000 में बोइंग 787 में कंपोजिट मटेरियल के उपयोग के साथ ये सैन्य तकनीक में भी कॉमन हो गया.

पारंपरिक पदार्थों की बजाए कंपोजिट मटेरियल का इस्तेमाल बढ़ा है- सांकेतिक फोटो
कितनी तरह का होता है कंपोजिट मटेरियल
इसके कई प्रकार हैं. जैसे सिरेमिक कंपोजिट होता है, जो सामान्य सिरेमिक से बेहतर होता है और थर्मल शॉक से भी बचाता है. धातु के लिए भी कंपोजिट मटेरियल होता है. इनके अलावा कांच, फाइबर, लकड़ी और बांस तक के साथ इसका सफल प्रयोग हो चुका और लगातार काम में आ रहा है.
क्या है खासियत
दो अलग गुणों वाले पदार्थों के मिलने से तैयार ये मटेरियल किफायती होता है, जिससे ये हर तरह के बिजनेस में काम आ रहा है. इसके अलावा ये ऐसे तैयार होता है कि फ्लेजिबल हो यानी कई जगहों पर काम आए. इसपर बहुत से रसायनों का कोई असर नहीं होता. इसका वजन भी कम होता है, जो इसे ज्यादा ड्यूरेबल बनाता है.

अग्नि प्राइम मिसाइल, मूल अग्नि मिसाइल से ज्यादा खूबियां लिए हुए हैं- सांकेतिक फोटो
किन जगहों पर काम आ रहा ये
हजारों साल पहले मामूली चीजों में प्रयोग से होते हुए आज कंपोजिट मटेरियल हर घर तक पहुंच चुका है. ये बिजली का सामान बनाने में काम आ रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर में इसका जमकर उपयोग हो रहा है. साथ ही सैन्य और रक्षा से जुड़े बेहद अहम सामानों में भी ये मदद कर रहा है. जैसे एरोस्पेस स्ट्रक्चर बनाने में.
अग्नि प्राइम कैसे अलग है
कुल मिलाकर कंपोजिट मटेरियल अब हर क्षेत्र में उपयोग हो रहा है लेकिन सैन्य उपकरणों में इस्तेमाल बड़ी उपलब्धि है. जैसे अग्नि प्राइम मिसाइल में इसे उपयोग के कारण ये मिसाइलें, मूल अग्नि मिसाइल से ज्यादा खूबियां लिए हुए हैं. साथ ही न्यू जेनरेशन वाली इस एडवांस मिसाइल का वजन काफी कम है, जिससे ऑपरेशन आसान और ज्यादा मारक बन रहा है.undefined
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Tags: DRDO, Indian Army latest news, LAC Indian Army, Missile, Missile trial
FIRST PUBLISHED : June 29, 2021, 09:40 IST