गणित के बहुत से सूत्र ऐसे हैं जिन्हें आज भी नहीं सुलझाया जा सका है. गणित ही नहीं विज्ञान में भी ऐसे बहुत से सूत्र मिलते हैं जिन्हें व्यवहारिक स्तर पर प्रमाणित नहीं किया जा सका और ना ही उनकी पुष्टि हो सकी. इसका मतलब ये नहीं ये सिद्धांत या सूत्र बेकार हैं. अलबर्ट आइंस्टीन की बताई गुरुत्व तरंगें भी सौ साल बाद व्यवहारिक तौर पर सिद्ध हो सकीं. इसी तरह से आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence )की मदद से वैज्ञानिकों श्रोडिंगर समीकरण (Schrodinger Equation ) का हल निकाला है जो भविष्य की एप्लिकेशन (Future applications) बनाने में मददगार होंगे.
एक उपयोगी हल
ताजा शोध में बर्लिन की फयाय यूनिवर्सिटेट के वैज्ञानिकों ने क्वांटम रसायन में आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस आधारित ऐसा हल निकाला है जो श्रोडिंगर समीकरण की ग्राउंड स्टेट की गणना कर सकता है. माना जा रहा है कि इस समाधान से रसायन शास्त्र, चिकित्सा, कम्प्यूटिंग आदि क्षेत्र में नए आयाम खुलेंगे.
यह अध्ययन नेचर कैमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है.
क्या है श्रोडिंगर समीकरण
श्रोडिंगर समीकरण मूलतः किसी अणु की रासायनिक और भौतिक गुणों के अनुमान लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है. यह परमाणुओं के व्यवस्थापन के आधार पर होता है. समीकरण यह तय करने में मदद करता है कि किसी अणु के केंद्रकों में इलेक्ट्ऱॉन कहां होते हैं. इसके अलावा दिए गए हालातों में उनकी ऊर्जा कितनी होती है.
क्या किया गया शोध में
इस समीकरण का न्यूटन के गति के नियम में केंद्रीय महत्व है जो किसी निश्चित समय में किसी पिंड की स्थिति का अनुमान लगा सकता है. लेकिन क्वांटम यांत्रिकी में यह परमाणुओं या सूक्ष्माणु (subatomic particles) की स्थिति बता सकता है. शोध में बताया गया है कि कैसे शोधकर्ताओं का विकसित किया गया न्यूरल नेटवर्क श्रोडिंगर समीकरण हल करने में ज्याद सटीकता ला सकता है और भविष्य में इसका क्या मतलब है.

श्रोडिंगर समीकरण (Schrodinger Equation) का सटीक हल निकालना संभव नहीं था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
यह आ रही थी पहले समस्या
श्रोडिंगर समीकरण वैसे तो सैद्धांतिक रूप से अणुओं में परमाणुओं या सूक्ष्माणु (subatomic particles) की सटीक स्थिति बता सकता है, लेकिन व्यवाहारिक स्तर पर यह बहुत ही मुश्किल है जिसमें बहुत सी समीपता को शामिल करना पड़ता है. इसके साथ एक सबसे बड़ी गणितीय समस्या है जिससे सटीक उत्तर पाना मुश्किल हो जाते हैं और संभावित उत्तर ज्यादा मिलते हैं.
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न्यूरल नेटवर्क ने निकाला रास्ता
इसी समस्या से पार पाने के लिए शोधकर्ताओं ने न्यूरल नेटवर्क तकनीक का उपयोग किया जो इलेक्ट्रॉन की उनके केंद्रकों के आसपास की स्थति के स्वरूपों को समझने में सक्षम था. शोधकर्ताओं ने डीप न्यूरल नेटवर्क (DNN) मॉडल बनाया. यह मॉडल क्वांटम सिस्टम के अध्ययन के लिहाज से कई परंपरागत पद्धतियों से बेहतर है. यह बहुत लचीला है जिससे विभिन्न उपायों द्वारा इलेक्ट्रॉन के प्रवाह पता लगाया जा सकता है.

न्यूरल नेटवर्क (Neural Network) तकनीक ने ही इस हल को संभव बनाने का काम किया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
श्रोडिंगर समीकरण की दुविधा का समाधान
इसके अलावा न्यूरल नेटवर्क ऐसी कई गतिविधियों और प्रवाह की गणना करने में सक्षम है जो और ज्यादा जटिल हैं. इतना ही नहीं इससे श्रोडिंगर समीकरण की सटीकता और गणना की चुनौती के बीच की दुविधा हल करने में सक्षम रहा. इस मॉडल से भारी धातुओं के केंद्रकों की स्थानीय ऊर्जा की गणना करी जा सकती है.
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जिस तरह से आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस ने पिछले कुछ सालों में जटिल से जटिल वैज्ञानिक और गणितीय समस्याओं को सुलझाया है. उसने कई क्षेत्रों अप्रत्याशित आयाम खोल दिए हैं. इस अध्ययन ने श्रोडिंगर समीकरण का एक तेज, सस्ता और सटीक समाधान निकाला है. लेकिन ये समाधान अभी उद्योगों के स्तर पर तैयार नहीं है. लेकिन जब तैयार होगा, तब दुनिया को श्रोडिंगर समीकरण के बहुत सारी उपयोग देखने को मिलेंगे.undefined
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Tags: Artificial Intelligence, Research, Science
FIRST PUBLISHED : January 10, 2021, 06:42 IST