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काले क्यों नहीं होते हैं सभी ‘काले भालू’?

दुनिया में सभी काले भालुओं (Black Bears) के रंग में बहुत विविधता पाई जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

दुनिया में सभी काले भालुओं (Black Bears) के रंग में बहुत विविधता पाई जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

काले भालुओं (Black Bears) पर हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठाने का काम किया है कि उनमें रंगों की ...अधिक पढ़ें

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भालुओं (Bears) की कई प्रजातियों में से एक काले भालू (Black bear) होते हैं और लेकिन उनमें से सभी काले नहीं होते हैं. कुछ काले भालुओं का केवल रंग थोड़ा अलग होता है. एक प्रजाति पूरी तरह से काले भालू की है लेकिन केवल उसका रंग ही काला नहीं बल्कि दालचीनी के रंग (Cinnamon Black bear) का यानि भूरा है. उत्तर अमेरिका में ही पाया गया है कि काले भालू का नाम या रंग के नाम पर पुकारे जाने भालू ही काफी भ्रमित करते हैं. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इसके पीछे की वजह का पता लगा लिया है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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हडसन एल्फा, मेमफिस यूनिवर्सिटी और पेनसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की टीम ने भालुओं (Bears) के अलग अलग रंग होने के रहस्य को सुलझाया है. जहां अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क कमें काले भालू (Black bears) ज्यादा आम हैं, वहीं उत्तरपश्चिमी प्रशांत तटों के इलाकों में भूरे भालू का मतलब खाकी रंग के भालू होता है, जबकि सभी भूरे भालू खाकी भालू नहीं होते हैं. वहीं नाम के विपरीत अमेरिकी काले भालू कई रंगों में, जैसे की भूरे (दालचीनी काले भालू, Cinnamon Black bear), ब्लोंड, नीले रंग वाले धूसर रंगों में भी मिलते हैं. इसके अलावा कई अलग अलग रंगों के संयोजन भी मिलते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
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नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने भालुओं (Bears) में रंगों के इसी भ्रम के रहस्य से पर्दा उठाने का काम किया है. उन्होंने उत्तरी अमेरिका के भालुओं के सैंकड़ों डीएनए (DNA of Bears) और बालों के नमूने जमा किए और यह जानने का प्रयास किया कि क्यों सभी काले भालू काले नहीं हैं. स्तनपायी जानवरों में त्वचा कोशिकाओं से मेलनोसाइट्स नाम का पिग्मेंट पैदा होता है. मेलेनिन दो प्रकार के होते हैं यूमेलेनिन काला या कत्थई होता हैतो वहीं फ्योमेलेनिन लाला या पीला होता है. मोटे तौर पर माना जाता है कि मेलेनिन बायोसिंथेसिसि में अनुवांशिकी विविधता (Genetic variation) के कारण ही बाल, आंखें और त्वचा के रंग में अंतर आता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
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शोधकर्ताओं ने पाया कि दालचीनी रंग के काले भालू (Cinnamon Black Bears) में यूमेलेनिन की मात्रा कम हो जाती है जैसा कि खाकी रंग के भालुओं में भी होता है. 200 भालुओं के जीनोम सीक्वेंस (Genome Sequence) विश्लेषण से पता चला कि अलग अलग प्रकार के टायरोसिनेज संबंधी प्रोटीन 1 (TYRP1) में म्यूटेशन (Gene mutation) होते हैं. TYRP1R153C म्यूटेशन दालचीनी रंग वाले काले भालू में जबकि TYRP1R114C म्यूटेशन खाकी भालूओं में पाया गाया. TYRP1 जीन ही ऐसे एंजाइनम पैदा करता है जिसकी मदद से यूमेलेनिन पैदा होता है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने भालुओं (Bears) दूसरी प्रजातियों में देखा तो यह देख कर वे हैरान हुए कि सिनामिन यू अमेरिकनस (cinnamon U. americanus) के लिए जिम्मेदार TYRP1R153C वेरिएंड इंसानों में ओक्यूलोक्यूटोनियस अलबीनिज्म (OCA3) के लिए जिम्मेदार होता है. OCA3 की वजह से मानव त्वचा और बालों का रंग लाल हो जाता है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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काले भालुओं (Black Bears) में TYRP1R153C वेरिएंट मूलतः दक्षिण पश्चिमी अमेरिका में मिलता है. इसका सबंध दालचीनी रंग के काले भालुओं (Cinnamon Black bear) और चॉकलेट एवं हलके भूरे रंग के भालुओं से है. लेकिन TYRP1R153C म्यूटेशन (Mutation) कैसे फैला इस पर अलग अलग मत हैं. लेकिन ज्यादातर माना जाता है कि यह म्यूटेशन 9 हजार साल पहले शुरू हुए था और फिर धीरे धीरे फैलता गया. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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वहीं काले भालुओं (Black Bears) के रंगों में विविधता पैदा ही क्यों हुई इसका संबंध क्रिप्सिस से माना जाता है जिसका मतलब जानवरों (Animals) में छिपने की क्षमता से हैं जिससे वे पीछे की पृष्ठभूमि में ऐसे मिल जाते हैं कि शिकार करने वाले जानवर उन्हें आसानी से पहचान नहीं पाते हैं. ऐसा उन जानवरों में देखने को मिलता है जिनका शिकार (Prey Species) होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

Tags: Environment, Research, Science

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