हाल ही में हुए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि युवा एलीगेटर (Alligators) में भी छिपकली (Lizards) की तरह अपनी पूंछ (Tail) फिर से पैदा करने की क्षमता (Ability to regrow) होती हैं और वे अपने शरीर के18 प्रतिशत लंबाई जितनी पूंछ फिर से हासिल कर सकते हैं. एरीजोना स्टेट यूनिवर्सिटी और लाउसियाना यूनिवर्सिटी ऑफ वाइल्डलाइफ एंड फिशरीज के शोधकर्ताओं की टीम ने उन्नत इमेजिंग तकनीक का उपयोग किया और उसके साथ शरीर एवं ऊतक (Tissue) संबंधी सिद्ध पद्धतियों का उपयोग कर इस बात की पड़ताल की कि कैसे एलीगेटर अपने पूंछ फिर से पैदा कर लेते हैं.
कितनी अलग थी पिछले पूंछ से
विभिन्न विशेषज्ञों की एक टीम ने पाया है कि जिन एलीगेटर्स ने पूंछ फिर से निकली है उनकी पूंछ जटिल संरचनाओं वाली थी. जिसमें प्रमुख हड्डी का ढांचा संयोजी ऊतक (Connective Tissue) से घिरी नरम हड्डी (Cartilage) से बना था जो ये संयोजी ऊतक हड्डी से खून की नसों और तंतुओं से जुड़ी थीं. वैज्ञानिकों को हैरानी तब हुई जब उन्होंने पाया कि नई पूंछ उनके लिए पानी में रहने के लिए ज्यादा फायदेमंद होती है.
यह बड़ी खासियत
साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की पीएचडी स्नातक और इस शोध की प्रमुख लेखिका सिंडा जू ने बताया, “आकार के अलावा एलीगेटर्स को सबसे रोचक बनाने वाली बात है यह है कि दोबारा निकली हुई पूंछ में एक ही संरचना के अंदर दोबारा पैदा होने और घाव भरने दोनों के ही संकेत दिखाई देते हैं.

एलीगेटर (Alligator) में छिपकली (Lizard) की तरह कटी पूंछ फिर से बनाने की क्षमता पाना हैरान करने वाली बात है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
छिपकली से समानता
जू ने बताया कार्टिलेज, तंतुओं, खून की नसों आदि उसी तरह से दिखाई देती हैं जैसा कि लैब में छिपकली की पूंछ के फिर से बनने पर दिखाई देती हैं.लेकिन उनका कहना है कि उन्हें हैरानी यह देखकर हुई कि एलीगेटर की दोबारा बनी पूंछ में हड्डी की मांसपेशी की जगह एक दाग जैसी संयोजी ऊतक का पैदा होना अजीब बात है. इससे इस बात को बल मिलता है कि सरीसृप और जानवरों में फिर से कोई अंग बनाने की क्षमता का तुलनात्मक अध्ययन बहुत जरूरी है.
प्रवासी जानवर और पक्षी तेजी से जीते हैं और जल्दी मर जाते हैं- शोध
जटिल अध्ययन का नतीजा
लाओसियाना डिपार्टमेंट ऑफ वाइल्ड लाइफ एंड फिशरीज में बायोलॉजिस्ट मैनेजर रूथ एम एल्से ने बताया कि उनकी टीम ने कुछ एलीगेटर्स में पूंछ के ऊतकों के फिर से बनने के संकेत देखे. लेकिन उनकी विशेषज्ञता से वे यह पता लगाने में कामयाब रहे कि उनमें पूंछ को फिर से बना पाने या घाव भर लेने की क्षमता है.

यह अध्ययन आर्थराइटिस (Arthritis) सहित कई मानवीय बीमारियों में मददगार हो सकता है.
इंसान भी एक खास श्रेणी में
शोधकर्ताओं ने आगे बताया कि एलीगेटर्स, छिपकलियां और इंसान उन जानवरों में आते हैं जिनकी रीढ़ की हड्डी होती है जिन्हें एम्नीयोट्स (amniotes) कहते हैं. एलीगेटर्स में फिर से नई पूंछ बना लेने की क्षमता के बारे में पता चलने से एम्नीयोट्स की और भी प्रक्रियाओं के बारे में पता चलता है. इसके अलावा शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस पड़ताल से उन्हें आर्थराइटिस और कई अन्य बीमारियों के इलाज के बारे में अहम जानकारी मिल सकेगी.
भेड़ जैसे अजीब से जानवर से भारत में विकसित हुए थे घोड़े
और फिर ये भी सवाल
इस अध्ययन के सहलेखक केनेरो कोसुमी जो एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेस के प्रोफेसर और निदेशक भी हैं, ने बताया, “हमारी पड़ताल कि एलीगेटर्स ने अपने पूंछ फिर से बनाने की जटिल कोशिकीय प्रक्रियाएं बचाए रखी है. जबकि पक्षियों ने वह क्षमता खो दी है. इसेस यह सवाल उठता है कि यह उनके विकास काल में कब हुआ था. क्या ऐसे कुछ जीवाश्म हैं जिनके वंशज आधुनिक पक्षी बन गए जो पूंछ फिर से पैदा कर सकते थे. अभी तक इस बारे में हमारे पास किसी भी तरह का कोई प्रकाशित साहित्य नहीं हैं”
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Environment, Research, Science
FIRST PUBLISHED : November 24, 2020, 20:03 IST