ये मेढक हमेशा जमीन के नीचे दबा रहता है, इस काम के लिए साल में सिर्फ एक दिन आता है बाहर

विजय और अजय बेदी की ली गई मेढक की एक तस्वीर
भारत के मेढकों पर अजय और विजय बेदी ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त एक फिल्म बनाई है. जिससे मेढ़कों के बारे में कई जानकारियां सामने आती हैं. इस फिल्म में इन छोटे जीवों को खात्मे से बचाने की अपील भी की गई है.
- News18Hindi
- Last Updated: May 20, 2019, 2:59 PM IST
मेढकों की जिंदगी को लेकर एक फिल्म बनाई गई है, जिसमें उनकी जिंदगी से जुड़ी कई बातें सामने आती हैं. अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त इस फिल्म को बनाया है अवॉर्ड विनिंग वाइल्डलाइफ फिल्ममेकर्स विजय और अजय बेदी ने. इस फिल्म में इन छोटे जीवों को खात्मे से बचाने की अपील की गई है. भारत के नंबर 1 वाइल्ड लाइफ चैनल एनिमल प्लैनेट ने भारत के उभयचर (यानि ऐसे प्राणी जो धरती और जल दोनों पर रह सकते हैं) के ऊपर बनी यह फिल्म 1 मई को प्रदर्शित की. इस फिल्म का नाम है 'द सीक्रेट लाइफ ऑफ फ्रॉग्स.'
एनिमल प्लैनेट चैनल पर 1 मई को प्रदर्शित इस फिल्म में बेदी भाइयों ने मेढक जैसे छोटे जीव की जिंदगी को बारीकी से दिखाया है. यह मेढ़कों की कहानी है जिसमें कोई मेढक अपनी पार्टनर को आकर्षित करने के लिए नाचता है, तो कोई सिर के बल खड़ा हो जाता है. तो कोई मेढक अपने अंडों को दुश्मनों से बचाने के लिए बारीकी से रेतीली मिट्टी में दबाता है.

फिल्म मेढकों के व्यवहार से जुड़े कई अनजाने पहलू सामने लाती है. इसमें उनके पूरे जीवन को दिखाया गया है. इसमें इस वक्त खतरे में चल रही गुलाबी मेढक की एक प्रजाति के बारे में भी दिखाया गया है जिसके मेढक साल में केवल एक बार मेट करने के लिए जमीन पर आता है वरना धरती के अंदर ही रहता है.इस फिल्म को कई महत्वपूर्ण पुरस्कार मिले हैं. जिसमें से कांस कॉरपोरेट टीवी एंड मीडिया अवार्ड सबसे प्रमुख है. अजय और विजय बताते हैं कि वे अपने परिवार में वाइल्डलाइफ फिल्ममेकिंग की तीसरी पीढ़ी हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे वे भारत की पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में मेढ़कों को ढूंढ़ते रहते थे. इस दौरान उनके बूट में पानी भर जाने से वे ठिठुरते रहते थे और उनके हाथ-पैर भी सफेद हो जाते थे. वे दोनों जुड़वां भाई हैं और दोनों ने ही मात्र 5 साल की उम्र से अपने पिता के साथ वाइल्डलाइफ फिल्ममेकिंग के लिए सहयोग करना शुरू कर दिया था.

वे कहते हैं कि उनका सबसे कठिन असाइनमेंट कंचनजंघा की पहाड़ियों पर रेड पांडा को शूट करना था. उनके दादा डॉ रमेश बेदी भारत के प्रसिद्ध वाइल्डलाइफ फिल्ममेकर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: लड़कियों जैसी हुई थी गोडसे की परवरिश, नथ पहनने के चलते नाम पड़ा नाथूराम
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एनिमल प्लैनेट चैनल पर 1 मई को प्रदर्शित इस फिल्म में बेदी भाइयों ने मेढक जैसे छोटे जीव की जिंदगी को बारीकी से दिखाया है. यह मेढ़कों की कहानी है जिसमें कोई मेढक अपनी पार्टनर को आकर्षित करने के लिए नाचता है, तो कोई सिर के बल खड़ा हो जाता है. तो कोई मेढक अपने अंडों को दुश्मनों से बचाने के लिए बारीकी से रेतीली मिट्टी में दबाता है.

गुलाबी मेढक (साभार: बेदी यूनिवर्सल)
फिल्म मेढकों के व्यवहार से जुड़े कई अनजाने पहलू सामने लाती है. इसमें उनके पूरे जीवन को दिखाया गया है. इसमें इस वक्त खतरे में चल रही गुलाबी मेढक की एक प्रजाति के बारे में भी दिखाया गया है जिसके मेढक साल में केवल एक बार मेट करने के लिए जमीन पर आता है वरना धरती के अंदर ही रहता है.इस फिल्म को कई महत्वपूर्ण पुरस्कार मिले हैं. जिसमें से कांस कॉरपोरेट टीवी एंड मीडिया अवार्ड सबसे प्रमुख है. अजय और विजय बताते हैं कि वे अपने परिवार में वाइल्डलाइफ फिल्ममेकिंग की तीसरी पीढ़ी हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे वे भारत की पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में मेढ़कों को ढूंढ़ते रहते थे. इस दौरान उनके बूट में पानी भर जाने से वे ठिठुरते रहते थे और उनके हाथ-पैर भी सफेद हो जाते थे. वे दोनों जुड़वां भाई हैं और दोनों ने ही मात्र 5 साल की उम्र से अपने पिता के साथ वाइल्डलाइफ फिल्ममेकिंग के लिए सहयोग करना शुरू कर दिया था.

विजय और अजय बेदी (साभार: बेदी यूनिवर्सल)
वे कहते हैं कि उनका सबसे कठिन असाइनमेंट कंचनजंघा की पहाड़ियों पर रेड पांडा को शूट करना था. उनके दादा डॉ रमेश बेदी भारत के प्रसिद्ध वाइल्डलाइफ फिल्ममेकर रहे हैं.
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