देग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) दुनिया भर में बर्फ को पिघलाती जा रही है. यह सिलसिला 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में रफ्तार पकड़ चुका है. इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तर में आर्कटिक के साथ ग्रीनलैंड और दक्षिण में अंटार्कटिका (Antartica) हुए हैं. लेकिन नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ऐसी बात का पता लगाया है जिससे अंटार्कटिका में बर्फ के नुकसान की जगह फायदा हो सकता है. उनका कहना है कि समुद्री बर्फ (Sea Ice) अंटार्किटिका के प्रायद्वीप की ओर आ रही है जो अंटार्कटिका में पिघलती बर्फ की भरपाई कर सकती है या फिर उसे कम कर सकती है.
20 सालों में हो रहा है यह बदालव
अध्ययन में पाया गया है कि तैरते बर्फ की चट्टानें पिछले 20 सालों में किनारे की ओर आ रही है. यह चट्टानें जमीन पर स्थित बर्फ की चादरों को मजबूती प्रदान करने का काम करती हैं जिससे महासागर में द्वीपों की बर्फ का जाकर मिलना नियंत्रित रहता है. पूर्वी अंटार्कटिका प्रायद्वीप में बढ़ती गर्मी के कारण 1995 में लार्सन ए और 2002 में लार्सन बी चट्टानें गिर कर नष्ट हो गई थीं.
समुद्री बर्फ बढ़ेगी या घटेगी
इन दो घटनाओं ने ही महासागरों की ओर बर्फ के बहाव में तेजी ला दी थी जिससे अंटार्कटिका के पास समुद्र का जलस्तर भी तेजी से बढ़ गया था. फिलहाल जलवायु परिवर्तन के चलते अंटार्कटिका के आसपास समुद्री बर्फ कैसे विकसित होती है. जहां कुछ जलवायु प्रतिमान बड़े पैमाने पर समुद्री बर्फ के दक्षिणी महासागर में मिलने का पूर्वानुमान लगा रहे हैं. कुछ का कहना है कि समुद्री बर्फ में इजाफा होगा.
क्या किया अध्ययन में
अब यूके की न्यूकासल और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और न्यूजीलैंड की कैंटबरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ऐतिहासिक सैटेलाइट मापन, के साथ महासागरों और वायुमडंल के रिकॉर्ड का उपयोग कर 1400 किलोमीटर लंबे पूर्वी अंटार्कटिका प्रायद्वीप में बर्फ के हालात के बदलाव को विस्तार से जानने का प्रयास किया.
हवा की भूमिका
अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि अंटार्कटिका के इस हिस्से में बर्फ की चट्टानों का 85 प्रतिशत परिमाप 2000 के दशक की शुरुआत से ही आगे बढ़ गया है. इससे पहले के दो दशकों में यह तेजी से पीछे जाता दिखाई दे रहा था. इस बदलाव की वजह दशकों के पैमाने पर होने वाले वायुमंडलीय प्रवाहों में हुए बदलाव को माना जा रहा है जिससे हवा के जरिए और ज्यादा समुद्री बर्फ तटों तक आ रही है.
यह भी पढ़ें: क्यों मर रही हैं दुनिया भर में व्हेल शार्क, वैज्ञानिकों ने खोजा कारण
समुद्री बर्फ की क्षमताएं
इस अध्ययन के नतीजे नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं जिसस पता चलता है कि समुद्री बर्फ बर्फीली चट्टानों को स्थायित्व प्रदान करने में अहम भूमिका निभाती हैं और बर्फ की चादरों को पिघलने से रोकने में भी सहायक होती है. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और कैम्ब्रिज के स्कॉट पोलर रिसर्च इंस्टीट्यूट (SPRI) के डॉ फ्रेर क्रिस्टी ने बताया कि उन्होंने पाया है कि समुद्री बर्फ में बदलाव अंटार्कटिका की बड़ी बर्फ की चट्टानों से हिमशैल बनाने की प्रक्रिया से रक्षा कर सकता है या फिर इसे शुरू कर सकता है.
एक अभियान में पड़ताल
समुद्री बर्फ अंटार्कटिका के गर्म होती जलवायु में कैसा भी बदालव ला रही है. शोधकर्ताओं के अवलोकन यही रेखांकित करते हैं कि अंटार्कटिका की बर्फ की चट्टान के स्वास्थ्य में समुद्री बर्फ की विविधता के महत्व को नजरअंदाज ही किया गया है. 2019 में क्रिस्टी और उनके साथियों ने SPRI की अगुआई में तहत वेडेल सागार तट पर अभियान में हिस्सा लिया.
यह भी पढ़ें: साल में ही डेढ़ डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म हो सकती है दुनिया- रिपोर्ट
शोधकर्ताओं ने सैटेलाइट के पुराने आंकड़ों और आज के बर्फ की चट्टानों की स्थिति का अध्ययन करने पर पाया कि इनमें काफी बदलाव आ गया है. इसका कारण जानने के प्रयास में शोधकर्ताओं ने पायाकिपिछले 20 सालों से स्थानीय पवन स्वरूपों में बदलाव आया है जिससे समुद्री बर्फ चट्टानों की ओर धकेली जा रही है. जबकि 1985 से 2002 तक इसका उलटा प्रभाव था. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह चलन अब फिर से पलट सकता है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Antarctica, Climate Change, Global warming, Research, Science