भारतीय सेना जल्दी ही कश्मीर में पत्थरबाजों और आतंकवादियों से निपटने के लिए रोबोट्स तैनात करने वाली है. ये रोबोट्स आतंकवादियों के दांत तो खट्टे करेंगे ही साथ ही पत्थरबाजों से भी निपटेंगे. कोई एक दो नहीं बल्कि 500 से अधिक रोबोट्स का दस्ता घाटी में इस काम के लिए तैनात किया जा सकता है. ये सभी रोबोट्स ऐसे होंगे जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए काम को बखूबी अंजाम देंगे.
ग्रेटर कश्मीर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार डिफेंस मिनिस्ट्री काउंटर टेरर आपरेशंस और ऐसे दूसरे आपरेशंस के लिए रोबोटिक्स हथियारों की तैनाती करने को लेकर गंभीर है. दरअसल घाटी में सैनिकों के घायल या शहीद होने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए ये कदम उठाया जा सकता है. रिपोट्र्स ये भी कहती हैं कि सेना ने घाटी के लिए 544 रोबोट्स का प्रपोजल दिया था, जिसे डिफेंस मिनिस्ट्री ने हरी झंडी दिखा दी है.
एक बड़े अंग्रेजी नेशनल डेली के अनुसार, वो दिन दूर नहीं जब सेना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए सीमा पर सक्षम रोबोट्स की तैनाती कर देगी, सेना गंभीरता से इस दिशा में काम कर रही है. भविष्य के वारफेयर के मद्देनजर भारतीय सेना के तीनों अंगों को यथासंभव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीनों और रोबोट्स से लैस किया जाएगा.
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बदल जाएगी सीमा पर तस्वीर
ये रोबोट्स ना केवल हर हलचल का बखूबी जायजा ले सकेंगे बल्कि तुरंत पोजीशन लेकर दुश्मन पर कार्रवाई भी कर सकेंगे. ऐसा होने के बाद भारतीय सीमा की तस्वीर बदल जाएगी. दरअसल पूरी दुनिया में उन्नत तकनीक से लैस कई देश अब इसी दिशा में काम कर रहे हैं. भविष्य में आप देखेंगे कि रोबोट्स सेना के टैंक और विमान चलाएंगे और दुश्मन का काम तमाम करके लौटेंगे.

सीएआईआर लैब में तैयार किए जा रहे खास रोबोट्स, जो भारतीय सेना के काम आएंगे (फाइल फोटो)
डीआरडीओ की लैब इस पर काम कर रही हैं
ये सब कल्पना की बातें नहीं हैं बल्कि हकीकत में बदलने वाली हैं. करीब दो साल से डीआरडीओ से जुड़ी लैब सीएआईआर यानी सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स इस पर काम कर रही है. ये सेना के लिए कई तरह के रोबोट्स तैयार कर रही है. इन्हें मल्टी एजेंट रोबोटिक्स फ्रेमवर्क (एमएआरएफ) कहा जा रहा है.
मोटे तौर पर इतना समझ लीजिए कि भविष्य में अगर कहीं पठानकोट जैसा हमला हुआ तो जवाब सैन्य बेस के सैनिक नहीं बल्कि अलग-अलग तरह से काम करने वाले रोबोट्स देंगे. अमेरिका जैसे देश ने तो खास तरीके से तैयार रोबोट्स सीमा पर तैनात भी कर दिए हैं. इनका इस्तेमाल उसने अफगानिस्तान में भी किया था.
ना केवल बचाव करेंगे बल्कि अचूक हमला भी
सेना के काम आने वाले खास तरह के रोबोट्स कई काम एक साथ करेंगे. वो ना केवल ये भांप सकते हैं कि दुश्मन कितनी दूर है या उसने कैसी पोजीशन ली हुई है बल्कि ये भी भांप लेंगे कि वो किस तरह मूवमेंट बदल रहा है. इसी के मद्देनजर वो तुरंत रणनीति बनाकर अटैक कर देंगे. ये रोबोट्स बखूबी बचाव भी कर लेंगे. यकीनन उनकी तेज प्रतिक्रियाएं दुश्मन को हैरान कर देंगी.
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कहने का मतलब ये है कि आने वाले समय में युद्ध वो सेना जीतेगी, जिसका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ज्यादा दमदार होगा और जिसके रोबोट्स मल्टीटास्किंग में ज्यादा निपुण होंगे.

आने वाले कुछ ही सालों में ऐसे रोबोट्स सीमा पर तैनात दिखेंगे, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस होंगे और दुश्मन पर भारी पड़ेंगे (फाइल फोटो)
तैयार किए जा चुके हैं कई तरह के रोबोट्स
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट कहती है कि हो सकता है कि सीमाओं की जिम्मेदारी पूरी तरह से रोबोट्स को सौंपने में समय लगे लेकिन भारतीय सेना और इससे जुड़े विज्ञान प्रतिष्ठान चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी भारतीय सेना को ऐसे रोबोट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को उपलब्ध कराया जाए, जो सेना के काम आ सके.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कुछ रोबोट्स भारतीय सेना तैयार भी कर चुकी है, अगर उन्हें ढंग से काम में लाया जाए तो वो सेना के साथ बढ़िया टीम साबित होंगे. सीएआईआर जब उन्हें और बेहतर कर लेगा तो सेना को कई अलग-अलग काम करने वाले रोबोट्स मिल जाएंगे, जो टीम के रूप में काम कर सकेंगे. ये रोबोट्स पहियों पर दौड़ने वाले, सांप की तरह रेंगने वाले, पैरों पर चलने वाले, दीवार पर चढ़ जाने वाले या अन्य तरह के भी हो सकते हैं.
कैसे कैसे रोबोट्स
मसलन सेंट्री रोबोट्स मोबाइल रोबोट हैं, जो चलते हुए निशाना लगाते हैं. तो स्नैक रोबोट्स 14 ज्वाइंट्स से जुड़े रहते हैं, कहीं भी घुसकर मिशन को पॉसिबल कर सकते हैं.
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सीएआईआर इससे भी एक कदम आगे बढ़कर जो रोबोट तैयार कर रहा है, वो खुद पूरी तरह सक्षम होगा, ये आईए आधारित होगा. कई काम एक साथ कर सकेगा. कुल मिलाकर इसका उद्देश्य भारतीय सेना को मजबूत बनाना तो है ही साथ ही कई ऐसी पोजीशंस में जहां सैनिकों को दिक्कत होती है, वहां ये बखूबी सेना की मदद कर सकते हैं.

अमेरिका से लेकर यूरोप तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित रोबोटिक्स हथियार बनाने में जमकर धन लगा रहे हैं (फाइल फोटो)
चीन से लेकर अमेरिका में हो रही ये कवायद
वो दिन भी दूर नहीं जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए तैयार किए जाने वाले रोबोट्स सेना के आपरेशंस में टैंक, वाहन, टोही नौकाएं और फाइटर जेट चलाते नजर आएंगे. फिलहाल हमारी आर्मी नेक्स्ट जेनरेशन वारफेयर से निपटने के लिए एयरफोर्स, नेवी और आर्मी को तैयार करने में लगी है. ताकि हम चीन से मिलने वाली चुनौती से बखूबी निपट सकें. ये बात ध्यान रखने वाली है कि चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से अपनी पूरी आर्मी को तेजी से बदलने में लगा है. चीन इस समय बड़े पैमाने पर एआई में अरबों डॉलर निवेश कर रहा है. इसी तरह अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और यूरोपीय यूनियन भी एआई में खासा पैसा लगा रहे हैं.
देश के डिफेंस प्रोडक्शन सेक्रेटरी अजय कुमार ने पिछले दिनों एक अंग्रेजी नेशनल से बातचीत में कहा था कि सरकार ने सेना के तीनों अंगों में व्यापक तौर पर एआई लाने का फैसला किया है.
कैसे होंगे सीमा पर गश्ती रोबोट!
सीमा पर गश्त के लिए ऐसे रोबोट तैनात करने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे हमारे जांबाज सैनिकों की शहादत या उनके घायल होने की घटनाएं कम होंगी. बेल की बेंगलुरु और गाजियाबाद स्थित सेंट्रल रिसर्च लाइब्रेरी के साथ बेंगलुरु के बेल सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी सेंटर के वैज्ञानिक और इंजीनियर इसे तैयार कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 28, 2019, 20:58 IST