इंसानी दिमाग (Human Brain) को समझने के लिए वैज्ञानिक बहुत से प्रयोग करते हैं. लेकिन इसके लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का उपोयग बहुत ही कम होता रहा है. हाल के वर्षों में इसका उपयोग भी इस क्षेत्र में काफी बढ़ गया है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मदद से शोधकर्ताओं ने एआई का उपयोग कर एक बैक्टीरियल प्रोटीन (Bacterial Protien) को नए शोध उपकरण (Research Tool) में बदला है जो वैज्ञानकों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है.
बहुत ही कारगर है ये सेंसर
सेल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उन्नत जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग इस नए शोध उपकरण को विकसित करने के लिए किया है जो वैज्ञानिकों को सरोटोनिन ट्रांस्फर पर बहुत बेहतर विश्वसनीयता के साथ निगरानी रखने में मददगार होगा. यह सेंसर अभी तक उपयोग में लाई जाने वाली पद्धतियों से बहुत कारगर है.
कब कब सेरोटोनिन के स्तर को पहचान सकता है ये सेंसर
शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए गए प्रीक्लीनिकल प्रयोगों में पाया ये सेंसर सोते समय, डर के समय और सामाजित अंतरक्रियाओं के दौरान दिमाग के सेरोटोनिन स्तरों के वास्तविक बदलाव की पहचानकर सकते हैं. इसके अलावा वे नई साइकोएक्टिव दवाओं के प्रभावोत्पादकता का भी परीक्षण कर सकते हैं.
यह था उद्देश्य शोध का
इस शोध को एनआईएच के ब्रेन रिसर्च थ्रू एडवांसिंग इनोवेटिव न्यूरोटोक्नोलॉजीस (BRAIN) इनिशिएटव का आंशिक आर्थिक सहयोग था जिसका उद्देश्य स्वस्थ और बीमार स्थितियों में दिमाग को समझने के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाना है. यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रमुख अन्वेषणकर्ता लिन तियान की लैब के शोधकर्ताओं की अगुआई में हुआ था.

सेरोटोनिन (Serotonin) दिमाग के बहुत सारी गतिविधियों में अहम भूमिका निभाने वाले हारमोन है.
क्या होता है ये सेरोटोनिन
सेरोटोनिन एक खास हारमोन है जो हमारे मूड को स्थिर करने, हमें अच्छा और खुश महसूस करने में प्रमुख भूमिका निभाता. यह हारमोन हमारे पूरे शरीर पर प्रभाव डालता है. इसके अलावा यह हमारे दिमाग की कोशिकाओं और नर्वस सिस्टम की कोशिकाओं को संचार में सक्षम बनाने के साथ सोने खाने और पाचन क्रिया में भी मदद करता है.
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पुरानी पद्धतियों से बेहतर कैसे
फिलहाल जो पद्धतियां उपयोग में लाई जाती हैं वे केवल सेरोटिनिन संकेतों में बड़े बदलावों की पहचान कर सकती हैं. इस अध्ययन में शोधकर्तां ने पोषक पकड़ने वाले बैक्टीरियल प्रोटीन को एक उच्च संवेदनशील सेंसर में बदल दिया जिसके सेरोटोनिन पकड़ते ही उसमें फ्लोसेंट प्रकाश सी चमक आ जाती है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जरूरत
इससे पहले वर्जीनिया के लॉरेन एन लूगर की लैब के वैज्ञानिकों ने परंपरागत जेनिटिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग कर बैक्टीरियल प्रोटीन को न्यूरोट्रांसमिटर एसिटाइलकोलाइन के सेंसर में बदला था. OpuBC प्रोटीन आमतौर पर न्यूट्रिएंट कोलाइन को पकड़ लेता है जिसका आकार एसिटाइलकोलाइन जैसा ही है. इस अध्ययन के लिए तियान की लैब के शोधकर्ताओं ने डॉ लोगर की टीम और विवायाना ग्रैडिनारू की लैब के साथ काम किया और दर्शाया कि उन्हें OpuBC को सेनेटोनिन कैचर की तरह फिर से डिजाइन करने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की सहायता की जरूरत है.

यह उपकरण (Tool) भविष्य में दिमाग (Brain) पर होने वाले शोधों के लिए बहुत उपयोगी होगा.. (तस्वीर: Pixabay)
2.5 लाख डिजाइन में एक का चुनाव
शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग एल्गॉरिदम की मदद से कमप्यूटर निर्मित 2.5 लाख नई डिजाइन में से एक का चयन किया. उन्हें इसके शुरुआती नतीजे अच्छे मिले. शोधकर्ताओं ने चूहों पर भी प्रयोग किया. उनके अध्ययन ने पाया कि यह सेंसर अलग अलग स्तर के सेरोटोनिन को पहचान सकता है यहां तक कि वह कई दवाओं की वजह से हुए सेरोटोनिन स्तरों के बदलाव भी पहचान सकता है.
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अब शोधकर्ता इस सेंसर को इस तरह से विकसित कर रहे हैं कि उसे दूसरे वैज्ञानिक आसानी से इस्तेमाल कर सकें. उन्हें लगता है कि इससे शोधकर्ताओं को हमारे दैनिक जीवन और बहुत से मनोवैज्ञानिक स्थितियों में सेरोटोनिन की भूमिका की बारे में बेहतर समझ और जानकारी हासिल हो सकेगी.undefined
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Tags: Artificial Intelligence, Health, Research, Science
FIRST PUBLISHED : December 26, 2020, 17:04 IST